भारत में करोड़ों लोग अपनी आजीविका के लिए खेती पर निर्भर हैं, लेकिन आज के जमाने में खेती करने में लोगों को बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. सबसे ज्यादा लोगों को पानी की परेशानी है. तेजी से घटता भूजल स्तर लगातार चिंता की वजह बना हुआ है. इस कारण किसानों को सिंचाई के लिए भूजल का उपयोग करने के लिए महंगे और प्रदूषण फैलाने वाले डीजल पंपों पर निर्भर रहना पड़ता है.
हालांकि, पिछले कुछ सालों में इस क्षेत्र में सोलर पंप के इनोवेशन होने से लोगों की समस्या कुछ हद तक कम हुई है. सरकार ने सोलर पंप को पॉपुलर करने के लिए स्कीम्स भी चलाई हैं. लेकिन इसके बावजूद लोग सोलर पंप नहीं लगा रहे क्योंकि खेतों से सोलर पंप चोरी हो जाते हैं. ऐसे में, किसानों को बड़ा नुकसान होता है. और भारतीय किसानों की इस समस्या को हल कर रहे हैं दो अमेरिकी.
आज 'सूरज से स्वावलंबन' सीरिज में हम आपको बता रहे हैं एक खास स्टार्टअप, Khethworks के बारे में,जो किसानों के लिए माइक्रो सोलर पंप बनाता है. इस स्टार्टअप को शुरू किया है कैटी टेलर और विक्टर लेस्नीवस्की ने. ये दोनों मूल रूप से अमेरिका के रहने वाले हैं और MIT जैसे ग्लोबल संस्थान से पढ़े हैं. अपनी मास्टर्स के दौरान उन्हें Tata Trusts के एक प्रोजेक्ट से जुड़ने का मौका मिला और इस प्रोजेक्ट के जरिए भारत के किसानों के साथ उन्होंने काम शुरू किया.
भारतीय किसानों के लिए बनाया सोलर पंप
विक्टर ने GNT Digital से बात करते हुए कहा कि वह पिछले सात साल से पुणे में रह रहे हैं. इस दौरान वह लगातार किसानों के साथ काम कर रहे हैं. उनका ज्यादातर काम ओडिशा और झारखंड में है. यहां पर उन्होंने किसानों के साथ खेतों पर समय बिताया ताकि उनकी जरूरत को समझ पाएं और रिसर्च करते-करते उन्होंने अपनी टीम के साथ मिलकर किसानों के लिए सोलर पंप बनाया है. उन्होंने एक सौर-ऊर्जा संचालित सिंचाई प्रणाली विकसित की है जो किसानों को मौसमी बारिश या महंगे ईंधन पर निर्भर हुए बिना अपनी फसलों को पानी देने की अनुमति देती है.
विक्टर कहते हैं कि उन्होंने किसानों से बात करते हुए समझा कि छोटे किसानों के लिए सिंचाई के साधन लगा पाना बहुत मुश्किल होता है. पहले पंप और इंजन के कनेक्शन लगवाने का खर्च और फिर हर बिजली या डीजल की लगातार जरूरत. इसलिए उन्होंने सौर ऊर्जा को एक्सप्लोर करने का फैसला किया. भारत आने के बाद कैटी और विक्टर ने बहुत सी चीजें की जैसे शुरुआती फंडिंग जुटाना, अपने पंप डिजाइन के लिए भारतीय सरकार से पेटेंट लेना और पुणे में अपनी मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट लगाना.
खेतवर्क्स को अपने काम को विस्तार देने में पॉवरिंग लाइवलीहुड्स, सीईईडब्ल्यू-विलग्रो की पहल, के तहत सहायता मिल रही है. पाॅवरिंग लाइवलीहुड्स का उद्देश्य आजीविका के लिए स्वच्छ ऊर्जा आधारित तकनीक को बढ़ावा देकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाना है.
किसानों तक पहुंचा चुके हैं 900 सोलर पंप्स
खेतवर्क्स के बनाए माइक्रो सोलर पंप की सबसे बड़ी खासियत है कि इसे कोई भी किसान अपने घर से खेत तक ले जा सकता है, वहां आसानी से शुरू कर सकता है और फिर अपने पंप को खोलकर वापस ला सकता है. महिलाओं को भी इस पंप को लाने-जाने में और लगाने में कोई समस्या नहीं आती है. यह ओपन-वेल समर्सिबल पंप है और इसे इस्तेमाल करना बहुत आसान है.
पंप को चलाने के लिए, किसान पैनल, पंप और कंट्रोलर को जोड़ते हैं, फिर पंप को खेत में पाइपिंग से जोड़ते हैं, पंप को पानी में डालते हैं, और स्विच ऑन कर देते हैं. झारखंड की एक किसान, अकली तुडु ने बताया कि एक साल पहले तक वह डीजन वाला इंजन पंप इस्तेमैल करती थी जिसमें काफी ज्यादा खर्च होता था. लेकिन सोलर पंप अपनाने से उन्हें कई फायदे मिले हैं. सबसे पहले तो इसे लगाना आसान है. और हर सीजन में उनकी 10 से 12 हजार रुपए की बचत हो रही है.
विक्टर का कहना है कि उनका माइक्रो सोलर पंप किसानों के लिए एक बार की इंवेस्टमेंट है. इसके बाद, उनकी लागत काफी कम हो जाती है. क्योंकि आपको डीजल या बिजली पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं पड़ती है और सोलर पंप की मदद से आप अपने हिसाब से सिंचाई कर सकते हैं.