Apple Smartwatch: दिमाग की इस बीमारी का पता लगा सकेगी Apple Watch...लक्षण जानकर करेगी अलर्ट

ऐप्पल ऐसी घड़ी बनाने पर काम कर रही है जो आने वाले समय में दिमाग में होने वाली एक बीमारी का पता लगा सकेगी. इस बीमारी में लोगों को हाथ पैर कांपने, मांस पेशियों को चलाने में दिक्कत होने जैसी तकलीफ होती है. अगर ऐप्पल की वॉच इसका पहले से ही पता लगा लेगी तो व्यक्ति को समय रहते इसकी जानकारी मिल जाएगी.

Apple Watch
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 21 जून 2022,
  • अपडेटेड 10:27 AM IST
  • लोगों को पहले ही कर देगी अगाह
  • बीमारी के लक्षण करेगी ट्रैक

स्मार्टवॉच और फिटनेस ट्रैकर्स में हेल्थ ट्रैकिंग फीचर्स एक ऐसी चीज है जिस पर खरीदार नजर रखते हैं. ऐप्पल उन ब्रांडों में से एक रहा है जो हमेशा अपने पहनने वाले गैजेट्स में नई स्वास्थ्य संबंधी सुविधाओं को जोड़ने के मामले में सबसे आगे रहा है. अब, ऐसा लगता है कि अगली ऐप्पल वॉच पहनने वाले में पार्किंसंस रोग (Parkinson's disease) का पता लगाने में सक्षम हो सकती है.  दरअसल PCMag की एक रिपोर्ट के अनुसार यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने किसी ऐसे व्यक्ति से लक्षण-संबंधी डेटा एकत्र करने के लिए ऐप्पल वॉच ऐप को मंजूरी दे दी है जिसे पार्किंसंस रोग का निदान किया गया है.

क्या होते हैं लक्षण
इस ऐप को स्ट्राइवपीडी कहा जाता है. इसे सैन फ्रांसिस्को, कैलिफ़ोर्निया में स्थित एक स्टार्टअप Rune Labs द्वारा विकसित किया गया है. पार्किंसंस रोग के कुछ प्रमुख लक्षण उंगली, अंगूठे, हाथ या ठुड्डी का कांपना, संतुलन का खोना, अंगों को चलाने में धीमापन होना (ब्रैडीकिनेसिया), मांसपेशियों में कठोरता आदि हैं. पार्किंसंस के कारण अनैच्छिक और बेकाबू बॉडी मूवमेंट्स होते हैं जिनके कारण काफी नुकसान हो सकता है. यह रोगी की चलने, पलक झपकने, मुस्कुराने या बोलने की उनकी क्षमता को प्रभावित करता है.रिपोर्ट में कहा गया है, "Rune लैब्स इस बीमारी पर अधिक डेटा प्राप्त करना चाहता है ताकि वो इसकी दवा के विकास और उपचार में तेजी ला सके." 

कैसे करेगी काम

ऐप्पल वॉच का उपयोग करके अन्य बीमारियों को भी ट्रैक करने में मदद मिल सकती है. टेक एनालिस्ट जॉन प्रॉसेर ने 'गियर्ड अप' पॉडकास्ट में दावा किया था कि आने वाला WatchOS फीचर ऐप्पल वॉच को यह पता लगाने में मदद कर सकता है कि पहनने वाला हाइपरवेंटिलेटिंग (hyperventilating) है या नहीं. तकनीकी विश्लेषक के अनुसार, यह हृदय गति और रक्त में ऑक्सीजन सेचुरेशन लेवल को मापकर किया जाएगा.

 

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