दुनियाभर में काम करने के दिन कम करने पर बात हो रही है. 5 दिन की जगह 4 दिन वर्किंग करने के लिए लगातार चर्चा चल रही है. इसमें आपका साथ ChatGPT दे सकता है. ChatGPT के आ जाने से 4 दिन वर्किंग हो सकता है. यानि आपको दो नहीं बल्कि 3 वीक-ऑफ मिल सकते हैं. दरअसल, ये हमारा नहीं बल्कि नोबेल प्राइज विनर क्रिस्टोफर पिसाराइड्स का कहना है.
ChatGPT बढ़ाएगा काम की प्रोडक्टिविटी
ChatGPT और दूसरे जनरेटिव AI टूल्स की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है. वैश्विक स्तर पर लोग इनका फायदा ले रहे हैं. ऐसे में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के आ जाने से कुछ नौकरियों के जाने का भी खतरा है. लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना ऐसा नहीं है. Google के सीईओ सुंदर पिचाई और माइक्रोसॉफ्ट के प्रमुख सत्या नडेला सहित कई का मानना है कि टेक्नोलॉजी की मदद से काम को आसान किया जा सकता है. अब क्रिस्टोफर पिसाराइड्स जिन्हें नोबेल प्राइज मिल चुका है, उनका कहना है कि ChatGPT हमारे काम की प्रोडक्टिविटी बढ़ा सकता है.
टेक्नोलॉजी को लेकर काफी आशावादी हैं
लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में प्रोफेसर के रूप में काम कर रहे क्रिस्टोफर पिसाराइड्स ने एक सम्मेलन में कहा कि एआई हमारे काम की प्रोडक्टिविटी को बढ़ा सकता है और यहां तक कि हमारे वर्किंग डेज को चार दिन भी कर सकता है. बता दें, अभी दुनियाभर में बहुत कम ऐसी कंपनियां है जो इसे लागू कर पाई हैं. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, प्रोफेसर क्रिस्टोफर ने ग्लासगो में एक सम्मेलन में ये बात कही है. वे इस टेक्नोलॉजी को लेकर काफी आशावादी हैं. प्रोफेसर क्रिस्टोफर ने कहा, "मैं इसे लेकर बहुत आशावादी हूं. इससे काम की प्रोडक्टिविटी को बढ़ाया जा सकता है. हम अपने लिए इसका फायदा ले सकते हैं.”
सिक्योरिटी को लेकर भी हैं
हालांकि, कई लोग हैं जो सुरक्षा को लेकर चिंता में हैं. इसपर बात करते हुए, क्रिस्टोफर ने कहा कि चैटजीपीटी जैसे एआई चैटबॉट्स टेक्नोलॉजी एक "दुर्भावनापूर्ण मोड़" ले सकती है, हालांकि वे इसे लेकर काफी आशावादी हैं. उन्होंने कहा, "वे बहुत सारी उन उबाऊ चीजों को भी आपके हिस्से से ले सकते हैं, जिनपर आप काम नहीं करना चाहते.”
मेनस्ट्रीम में आ गई है ये टेक्नोलॉजी
ChatGPT के OpenAI के पब्लिक लॉन्च के बाद से, ये टेक्नोलॉजी मेनस्ट्रीम में आ गई है. माइक्रोसॉफ्ट ने बिंग चैट लॉन्च किया है जो जीपीटी 3.5 और जीपीटी 4 जैसे OpenAI पर चलता है. ऐसे ही Google ने अपनी एलएलएम टेक्नोलॉजी भी बनाई है और इसे अपने चैटजीपीटी-जैसे चैटबॉट बार्ड में शामिल किया है. इतना ही नहीं बल्कि कई दूसरी कंपनियां भी अपने चैटबॉट्स के लिए ओपन-सोर्स तकनीक का इस्तेमाल कर रही हैं. हालांकि, इटली, रूस और क्यूबा जैसे कुछ देशों ने ChatGPT पर बैन कर दिया है.