क्या आप भी 123 या abc जैसे पासवर्ड रखते हैं! कहीं ये ना बना दें आपको डार्क वेब का शिकार

डार्क वेब को आप इंटरनेट का अंडरवर्ल्ड कह सकते हैं. डार्क वेब पर सारे बुरे काम होते हैं, जिसका समाज पर काफी बुरा असर होता है. इस पर आतंकी गतिविधियां, असलहों व नशीले पदार्थ की तस्करी, पोर्नोग्राफी, चाइल्ड पोर्नोग्राफी, सेक्सटॉर्शन और ब्लैकमेलिंग होती है.

डार्क वेब
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 23 मार्च 2022,
  • अपडेटेड 1:55 PM IST
  • इंटरनेट का अंडरवर्ल्ड है डार्क वेब
  • कभी ना रखें आसान से पासवर्ड

आजकल दुनिया डिजीटल हो रही है. जहां एक तरफ इंटरनेट ने लोगों का जीवन आसान कर दिया है, वहीं दूसरी तरफ इसके कई तरह के नुकसान भी हैं. इंटरनेट पर सबसे बड़ा खतरा है प्राइवेसी का, अक्सर ही अपने डेटा को प्रोटेक्ट करने के लिए आप पासवर्ड लगाते हैं. आमतौर पर लोग ऐसे पासवर्ड लगाते हैं जो याद करने में आसान हो, और टाइप करना भी आसान हो. जैसे कि- 1234, ILoveyou, abc. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ऐसे पासवर्ड आपको डार्क वेब का शिकार बना सकते हैं. 

हाल ही में इंटरनेशनल नारकोटिक्स कंट्रोल बोर्ड (INCB) द्वारा जारी की गई एक रिपोर्ट में पता चला है कि भारत और दक्षिण एशिया में डार्क वेब के जरिए नशीली पदार्थों की तस्करी खूब हो रही है. यहां तक की INCB को इसके पुख्ता सबूत भी मिले हैं. दरअसल डार्क वेब की नजर लोगों के पासवर्ड पर बनी हुई है. सिक्योरिटी कंपनी लुकआउट की रिसर्च रिपोर्ट में ये खुलासा हुआ है कि डार्क वेब पर लाखों लोगों की पर्सनल डिटेल, उनकी ईमेल आईडी और पासवर्ड लीक हुए हैं. डार्क वेब पर लीक हुए 20 पासवर्ड कॉमन हैं. सबसे पहले जान लेते हैं कि ये डार्क वेब क्या है. 

क्या है डार्क वेब?
डार्क वेब (Dark web) को आप इंटरनेट का अंडरवर्ल्ड कह सकते हैं. डार्क वेब पर सारे बुरे काम होते हैं, जिसका समाज पर काफी बुरा असर होता है. इस पर आतंकी गतिविधियां, असलहों व नशीले पदार्थ की तस्करी, पोर्नोग्राफी, चाइल्ड पोर्नोग्राफी, सेक्सटॉर्शन और ब्लैकमेलिंग होती है. इस वेब पर लोगों के क्रेडिट कार्ड/डेबिट कार्ड के डीटेल्स, ई-मेल एड्रेस आसानी से मिल जाते हैं. दरअसल जिस इंटरनेट का इस्तेमाल हम रोज करते हैं, वो बहुत छोटा सा हिस्सा है, इसके बड़े हिस्से तक आम लोग पहुंच ही नहीं पाते हैं, इसी को डार्क वेब कहा जाता है. 

डार्क वेब से कैसे खुद को बचाएं?

  • ज्यादातर हैकर किसी नामी कंपनी के नाम का इस्तेमाल करते हैं. कंपनी की स्पेलिंग और कंपनी के लोगों में थोड़ा हेर-फेर करके ये लोगों को बेवकूफ बनाते हैं. इसे एक बार में देखकर आम आदमी समझ नहीं पाता है. इसलिए ये सलाह दी जाती है कि किसी भी वेबसाइट पर अपना अकाउंट खोलने या लिंक करने से पहले ये चेक कर लें कि ये असली है या नकली.
  • ज्यादातर हैकर आपके बैंक अकाउंट की सुरक्षा की धमकी देते हैं, उनके चंगुल में फंसे और तुरंत किसी साइबर एक्सपर्ट से बात करें.
  • किसी भी ऐप को डाउनलोड करने से पहले परमिशन चेक कर लें. उसका रिव्यू और रेटिंग जरूर देखें. अगर किसी ऐप पर 50 हजार से कम डाउनलोड हो तो उसे ना इंस्टॉल करें.
  • फोन या मैसेज पर अपनी पर्सनल डिटेल किसी को ना दें. फोन को हमेशा लॉक ही रखें. 
  • अपने सिस्टम को शटडाउन या बैंकिंग वेबसाइट को लॉग आउट करने के बाद ही बाहर आएं.
  • अगर कभी भी आईडेंटिटी थेफ्ट की आशंका हो तो तुरंत अपना पासवर्ड बदल दें.

पासवर्ड बदलते वक्त ना करें ये गलती
ज्यादातर लोग पासवर्ड भूल जाने के डर से काफी आसान पासवर्ड रखते हैं. अक्सर लोग पासवर्ड में अपना नाम, डेट ऑफ बर्थ या अपना निक नेम आदि रखते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि उसी आसान पासवर्ड के जरिए डार्क वेब लोगों की प्राइवेसी में दखल दे रहा है. सिक्योरिटी कंपनी लुकआउट की रिपोर्ट के मुताबिक 80 प्रतिशत लोग 123, 1234, i love you जैसे पासवर्ड रखते हैं.

हैकर कैसे बनाते हैं निशाना
आजकल हर चीज के लिए मोबाइल ऐप होती है. इन दिनों लोग पानी पीना याद रखने के लिए मोबाइल ऐप का इस्तेमाल करते हैं. ऐसे में कई सारे ऐप को एक साथ मैनेज करने के लिए आप कोई आसान सा पासवर्ड रखते हैं. इसके अलावा बार-बार पासवर्ड ना डालने पड़े इसके लिए उसे अपने सिस्टम में सेव भी कर देते हैं. कोई भी ऐप इस्तेमाल करने के लिए आप बिना पढ़े कोई भी नोटीफिकेशन अलाउ कर देते हैं. कई ऐप्स में अगर आप डिनाई करते हैं, तो आगे नहीं बढ़ पाएंगे. बस यहीं से आपकी प्राइवेसी में सेंध लगती है.


 

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