India Today Conclave: भारत के पास है AI की कुंजी? भविष्य में इंसानों को गुलाम बना सकती हैं मशीनें? जानिए क्या बोले ऑस्ट्रेलिया के दिग्गज AI Scientist Toby Walsh

एआई ने निश्चित ही बहुत तेज़ी से विकास किया है. और यह विकास निरंतर जारी है. लेकिन क्या इसका मतलब है कि एआई जल्द ही दुनिया पर कब्ज़ा कर सकती है? क्या भारत एआई के विकास की दौड़ में बाकी दुनिया की रफ्तार पकड़ सकता है? जानिए क्या कहते हैं टोबी वॉल्श.

Toby Walsh - Chief Scientist, UNSW.ai
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 08 मार्च 2025,
  • अपडेटेड 2:51 PM IST
  • न्यू साउथ वेल्स यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं वॉल्श
  • एआई नहीं, इंसानों को बताया इंसानों के लिए खतरनाक

बीते कुछ सालों में आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस (AI) ने तकनीक की दुनिया को बड़े स्तर पर बदल दिया है. एक समय पर जहां एआई लोगों के लिखे हुए चिट्ठों की गलतियां ठीक करती थी, वहीं अब यह उनके बदले पूरी की पूरी किताब लिख सकती है. सिर्फ यही नहीं, एआई की मदद से आप घर बैठे इंसान, चरिंद और परिंद की हूबहू तस्वीरें तैयार कर सकते हैं. 

एआई ने निश्चित ही बहुत तेज़ी से विकास किया है. और यह विकास निरंतर जारी है. लेकिन क्या इसका मतलब है कि एआई जल्द ही दुनिया पर कब्ज़ा कर सकती है? आइए जानते हैं इस सवाल के जवाब में क्या कहते हैं ऑस्ट्रेलिया के मशहूर एआई वैज्ञानिक टोबी वॉल्श. 

भविष्य में एआई, गुलाम होगा या बादशाह? 
न्यू साउथ वेल्स यूनिवर्सिटी के एआई इंस्टीट्यूट के चीफ साइंटिस्ट टोबी वॉल्श से जब पूछा गया कि क्या इंसानों को भविष्य में एआई से डरने की जरूरत है, तो उन्होंने ना में जवाब दिया. वॉल्श ने कहा कि इंसानों को मशीनों से नहीं, बल्कि खुद से डरने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि मशीन हमेशा वैसे ही काम करेगी, जैसा इंसान चाहेंगे. 

वॉल्श ने यूक्रेन और गज़ा की मिसाल दी, जहां एआई का इस्तेमाल युद्ध में किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि अगर इंसान एआई का सही इस्तेमाल करते हैं तो इससे डरने की ज़रूरत नहीं है. उन्होंने इंसानों को एआई पर ज़रूरत से ज़्यादा निर्भर होने से भी चेताया. उन्होंने सोशल मीडिया कि मिसाल देते हुए कहा कि इंसानों को इसके बाद चौकन्ना हो जाना चाहिए था. 

वॉल्श ने कहा, "सोशल मीडिया के बाद इंसानों को चौकन्ना हो जाना चाहिए थे. वे जिस तरह इसके आदी हो गए हैं. सोशल मीडिया या कोई और तकनीक इंसानों को आदी बनाने के लिए नहीं थी. अब एआई हमारे लिए ईमेल लिख रहा है. हमारे भाषण लिख रहा है. मुझे डर है कि इंसान अपनी समन्वय करने की काबिलियत खो सकते हैं." 

क्या एआई की दौड़ में पीछे रह गया है भारत?
क्या भारत AI की दौड़ में पीछे रह गया है? इस सवाल के जवाब में वॉल्श ने कहा कि भले ही गूगल और ओपनएआई जैसी कंपनियों ने एआई में बाकी लोगों से पहले विकास कर लिया हो, लेकिन लंबी दौड़ में यह ज्यादा मायने नहीं रखेगा. उन्होंने कहा, "यह बिजली की तरह है. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि बिजली की खोज कहां हुई. अब यह पूरी दुनिया के पास है." 

वॉल्श ने कहा, "इसी तरह भले ही गूगल बाकी सब से थोड़ा आगे निकल गया है, लेकिन लंबी दौड़ में यह मायने नहीं रखेगा. आपको बस इसपर काम करते रहना है."

भारत के पास है सफलता की कुंजी
वॉल्श ने कहा कि एआई के क्षेत्र में उत्कृष्टता हासिल करने के लिए दो चीजों की जरूरत है. पहली, उसे तैयार करने वाले लोग. और दूसरी, उसे ट्रेन करने के लिए डेटा. भारत के पास ये दोनों चीजें हैं.

वॉल्श ने कहा, "भारत के पास एआई के क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए युद्ध सामग्री है. एआई निर्माण में दो युद्ध सामग्री हैं, इसे बनाने वाले लोग और डेटा. भारत में 140 करोड़ लोग हैं. यानी भारत के पास बहुत सारा डेटा है."

Read more!

RECOMMENDED