आज के जमाने में हर किसी के पास जरूरत से ज्यादा इंफर्मेशन है, जो कहीं न कहीं लोगों के नीरस जीवन का कारण भी बन रही है. लोग इस बात से परेशान हैं कि 24 घंटे उन्हें जानकारी मिलती रहती है और इसका कारण है उनका स्मार्टफोन. और इसलिए स्मार्टफोन से तंग आकर लोग नॉन-टच डिस्प्ले, बटन के साथकीपैड और सीमित प्रोसेसर पावर वाले बेसिक फीचर फोन (डंब फोन) की तरफ वापसी कर रहे हैं.
कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स सेल पर मिले डेटा से पता चलता है कि भले ही स्मार्टफोन के उदय के कारण फीचर फोन की बिक्री में गिरावट आई है और अगले कुछ वर्षों तक ऐसा होता रहेगा. लेकिन इस बीच कई लोग पुराने 'डंबफ़ोन' को अपना रहे हैं.
'डंबफ़ोन' की वापसी के कारण
इन बेसिक फोन की वापसी का कारण है बहुत ज्यादा स्क्रीन टाइम. स्मार्टफोन जीवन का अभिन्न अंग बन गए हैं और हमारी जिंदगी बहुत ज्यादा हमारे स्मार्टफोन पर निर्भर हो गई है. 'व्हाट्स द बिग डेटा' के लेटेस्ट डेटा के अनुसार, एक औसत व्यक्ति दिन में लगभग पांच घंटे अपने स्मार्टफोन पर स्क्रॉल करते रहते हैं. यह एक महीने में लगभग छह दिन के बराबर है और एक जिंदगी में 12 साल के बराबर है. बहुत से लोग स्क्रीन टाइम कम करने के लिए फीचर फोन पर स्विच कर रहे हैं.
दूसरी ओर, डंब फोन की वापसी का ट्रेंड नॉस्टेलजिया (पुरानी यादों का हिस्सा) से जुड़ा है. स्टेटिस्टा डेटा के अनुसार, Gen Z के बीच 'डंबफ़ोन' को अपनाने के पीछे पुरानी चीजों के लिए प्यार भी एक कारण है. इसके साथ बहुत सी दूसरी समस्याएं साथ आती हैं- जैसे नींद की कमी, अवसाद, और कुछ असामाजिक व्यवहार के मामले. यहां तक कि जिन लोगों ने फीचर फोन पर स्विच नहीं किया है, वे भी ऐसे ऐप्स अपना रहे हैं जो स्मार्टफोन को मिनिमलिस्टिक डिवाइस में बदला रहा है.
मिनिमलिस्ट फोन एप
मिनिमलिस्ट फ़ोन एप, एंड्रॉइड मोबाइल फोन्स पर काफी पॉपुलर हो रही है. यह एप रंगीन आइकनों को कम से कम नोटिफिकेशन या डिस्टर्बेंस के साथ ग्रेस्केल बैकग्राउंड बदल देता है. डिजिटल डाउनग्रेड जैसी टर्म्स भी युवाओं को अपनी चपेट में ले रही हैं. यूएसए टुडे ने ऐसे कई लोगों का साक्षात्कार लिया जो या तो किसी फीचर पर स्विच कर चुके हैं या ऐसा करने पर विचार कर रहे हैं. उनमें से ज्यादातर में 'सेल्फ-इंप्रुवमेंट' को कारण बताया तो बहुत से लोगों ने कहा कि ऐसा करने के बाद उन्हें 'सशक्तीकरण' महसूस हुआ.