18 साल का हुआ फेसबुक…. हार्वर्ड के कॉलेज नेटवर्क के तौर पर हुई थी शुरुआत….विवादों से रहा है गहरा नाता

जुकरबर्ग और सह-संस्थापक एडुआर्डो सेवरिन, एंड्रयू मैककॉलम, डस्टिन मोस्कोविट्ज़ और क्रिस ह्यूजेस द्वारा "द फेसबुक" को लाइव किए जाने के छह दिन बाद, उन्हें कैमरन और टायलर विंकलेवोस और दिव्य नरेंद्र द्वारा आरोपों का सामना करना पड़ा कि साइट का विचार उनसे चुरा लिया गया था. विंकलेवोस ट्विंस और नरेंद्र के अनुसार, उन्होंने हार्वर्ड के छात्रों के लिए "हार्वर्डकनेक्शन" नामक एक सोशल नेटवर्क बनाने में उनकी सहायता के लिए जुकरबर्ग से संपर्क किया था.

Facebook 18th Birthday
अंजनी
  • नई दिल्ली,
  • 04 फरवरी 2022,
  • अपडेटेड 3:49 PM IST
  • ‘फेसमैश’ से हुई थी शुरुआत 
  • जुकरबर्ग पर आइडिया चोरी करने का लगा था आरोप 
  • समय के साथ बढ़ा दायरा 
  • बाजार में आ गए हैं नए प्रतिद्वंदी 

2004 में, हावर्ड कॉलेज के दोस्तों के एक ग्रुप ने हार्वर्ड के छात्रों को एक ऑनलाइन कम्युनिटी के माध्यम से जोड़ने के उद्देश्य से एक नया सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म बनाया था. कुछ सालों में ही यह दुनिया का सबसे प्रभावशाली सोशल नेटवर्क बन गया. हॉवर्ड से शुरू हुए इस नेटवर्किंग साइट के आज लगभग 290 करोड़ मासिक उपयोगकर्ता हैं. फेसबुक का आज जन्मदिन है और आज यह 18 साल का हो चुका है. 2004 में आज ही के दिन यानी 4 फरवरी को फेसबुक को लॉन्च किया गया था. 18 साल बाद अकेले भारत में ही इसके करीब 40 करोड़ यूजर्स हैं. आइए जानते हैं इसके रोमांचक सफर के बारे में 

‘फेसमैश’ से हुई थी शुरुआत 

यह सब 2003 में शुरू हुआ, जब फेसबुक के संस्थापक और सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने "फेसमैश" नामक एक ऑनलाइन कार्यक्रम बनाया, जो चेहरे की तस्वीरों की तुलना करके बताता था कि कौन ज्यादा हॉट है. इसके बाद  जुकरबर्ग को हार्वर्ड प्रशासन से सजा का सामना करना पड़ा और वो बस अपनी प्रतिभा की वजह से कॉलेज से पूरी तरह निष्कासित होने से बच गए. यही "फेसमैश" फेसबुक का आधार बना. उस समय हार्वर्ड में ऑनलाइन "फेस बुक्स" पहले से मौजूद थी. ये ऑनलाइन निर्देशिकाएं थीं जिनमें छात्रों के बारे में कुछ जानकारी के साथ उनकी तस्वीरें भी शामिल होती थीं. हार्वर्ड विश्वविद्यालय के पूरे छात्र निकाय के लिए एक भी "फेस बुक" नहीं था, यही वजह है कि जुकरबर्ग एक बनाने का विचार लेकर सामने आए.

जुकरबर्ग पर आइडिया चोरी करने का लगा था आरोप 

4 फरवरी 2004 को, फेसबुक के पहले वर्जन का जन्म हुआ, जिसे तब thefacebook.com के नाम से जाना जाता था और इसे विशेष रूप से हार्वर्ड के छात्रों के लिए उपलब्ध कराया गया था. हालांकि, तीन हार्वर्ड छात्रों की भागीदारी के कारण, फेसबुक के बारे में सच्चाई पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है. जुकरबर्ग और सह-संस्थापक एडुआर्डो सेवरिन, एंड्रयू मैककॉलम, डस्टिन मोस्कोविट्ज़ और क्रिस ह्यूजेस द्वारा "द फेसबुक" को लाइव किए जाने के छह दिन बाद, उन्हें कैमरन और टायलर विंकलेवोस और दिव्य नरेंद्र द्वारा आरोपों का सामना करना पड़ा कि साइट का विचार उनसे चुरा लिया गया था. विंकलेवोस ट्विंस और नरेंद्र के अनुसार, उन्होंने हार्वर्ड के छात्रों के लिए "हार्वर्डकनेक्शन" नामक एक सोशल नेटवर्क बनाने में उनकी सहायता के लिए जुकरबर्ग से संपर्क किया था. जुकरबर्ग के खिलाफ दायर एक मुकदमे के बाद, आखिरकार तीनों को एक समझौते के बाद 2008 में कंपनी में 1.2 मिलियन शेयर दे दिए गए.

समय के साथ बढ़ा दायरा 

26 सितंबर 2006 तक, दुनिया में कोई भी अपना फेसबुक अकाउंट बना सकता था. हालांकि इसके लिए उनका  कम से कम 13 साल का होना और  उनके पास एक वैध ईमेल पता होना जरुरी था. इससे एक साल पहले, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म आधिकारिक तौर पर "फेसबुक" बन गया था, जैसा कि पहले जाना जाता था. जैसे-जैसे फेसबुक के सदस्य बनने वालों की संख्या बढ़ती गई, वैसे-वैसे कंपनी के लिए काम करने वाले लोगों की संख्या भी बढ़ती गई. 18 साल के इस सफर के दौरान फेसबुक को कई विवादों का भी सामना करना पड़ा. हाल ही में इसका नाम बदलकर मेटा कर दिया गया है. 

आ गए हैं नए प्रतिद्वंदी 

पहले सोशल नेटवर्किंग में सिर्फ फेसबुक का ही बोलबाला था लेकिन आजकल टिकटॉक और यूट्यूब जैसे इसके कई प्रतिद्वंदी सामने आ गए हैं और लोगों द्वारा पसंद भी किए जा रहे हैं. हाल ही में फेसबुक ने 18 साल में पहली बार, बड़ी संख्या में दैनिक उपयोगकर्ताओं को खो दिया है. उम्मीद से कम विज्ञापन वृद्धि की रिपोर्ट करते हुए, इसके स्टॉक लगभग 20 प्रतिशत तक गिर गए. बड़े पैमाने पर स्टॉक ड्रॉप ने इसके बाजार मूल्य को लगभग 200 बिलियन डॉलर नीचे गिरा दिया. अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में, फेसबुक के दैनिक सक्रिय उपयोगकर्ता जुलाई-सितंबर के दौरान 1.930 बिलियन से घटकर 1.929 बिलियन हो गए. यह नुकसान मुख्य रूप से अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के योगदान में गिरावट के कारण हुआ.


 

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