एयरोस्पेस से लेकर ऑटोमोबाइल सेक्टर तक… अपनी डिजिटल टेक्नोलॉजी से गरीब और अमीर के बीच की खाई को पाटने का काम कर रहा भारत

इंटरनेट कनेक्टिविटी को बढ़ाना और विश्व स्तर पर एक डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर वर्कफोर्स बनाना विकासशील देशों के लिए डिजिटल विभाजन को पाटने का काम कर सकता है. भारत डिजिटल टेक्नोलॉजी की इस दौड़ में कहीं आगे है. 

India and IT industry
अपूर्वा सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 06 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 12:23 PM IST

आप छोटा या बड़ा सामान लेने जाते हैं और पेमेंट करने के लिए पॉकेट में हाथ देते हैं… लेकिन आप बटुए से पैसे नहीं निकाले… फोन निकालते हैं. और बस एक क्लिक से आप पेमेंट कर देते हैं. कोई बड़ा मॉल हो या सब्जी वाले की ठेली आपको केवल अपने फोन और इंटरनेट की जरूरत होती है. 
वहीं, आप इंस्टाग्राम खोलते हैं और स्क्रॉल करते हैं… स्क्रॉल करते हुए आपको अलग-अलग रील्स दिखाई देते हैं. इन रील्स में आपको केवल एक तबके के लोग नहीं बल्कि छोटे से छोटे गांव के इन्फ्लुएंसर्स दिखते हैं. साइकिल चला रहे आम आदमी से लेकर ऑडी और बीएमडब्ल्यू से चल रहे बड़े-बड़े सेलिब्रिटीज आपको इन रील्स में दिख रहे हैं. 

डिजिटल क्रांति ने कई मायनों में भारत के गरीब और अमीर के बीच की खाई को पाटने का काम किया है. और सभी को एक प्लेटफॉर्म पर लाकर खड़ा कर दिया है. 

हालांकि, सब देशों में हालत ऐसे नहीं है. कई विकासशील देश इसमें पिछड़ रहे हैं. गरीब और अमीर के बीच का डिजिटल गैप बढ़ता जा रहा है. लेकिन कई व्यापक वैश्विक चुनौतियों के बावजूद, भारत इन मुश्किलों को दूर करने में एक लीडर के रूप में उभर रहा है. डिजिटल युग में भारत सबसे आगे खड़ा है. 

दुनियाभर में बढ़ता डिजिटल गैप
दुनिया भर के विकासशील देश डिजिटल क्रांति के साथ तालमेल बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. कई बड़े देश इंटरनेट इंफ्रास्ट्रक्चर और डिजिटल टेक्नोलॉजी पर निवेश कर रहे हैं. हाल के आंकड़ों के अनुसार, 2022 में ज्यादा इनकम वाले देशों में 90% से अधिक लोगों ने इंटरनेट का उपयोग करते हैं, जबकि कम इनकम वाले देशों में केवल 25% लोगों के पास ही इंटरनेट तक पहुंच है. 

विशेषज्ञों का मानना ​​है कि इंटरनेट कनेक्टिविटी को बढ़ाना और विश्व स्तर पर एक डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर वर्कफोर्स बनाना विकासशील देशों के लिए डिजिटल विभाजन को पाटने का काम कर सकता है. भारत डिजिटल टेक्नोलॉजी की इस दौड़ में कहीं आगे है. 

भारत ने किया है लंबा सफर तय 
भारत ने अपनी डिजिटल यात्रा में एक लंबा सफर तय किया है. 2000 के दशक की शुरुआत में, भारत का आईटी बूम ज्यादातर आउटसोर्सिंग पर केंद्रित था. बेंगलुरु, मुंबई और दिल्ली जैसे प्रमुख शहरों में कॉल सेंटर उभरें. इसका कारण था कि पश्चिमी कंपनियों को भारत में श्रम की लागत अपने देशों से कम लगी. इस बैक-ऑफिस वर्क ने भारत की अर्थव्यवस्था को बढ़ने में काफी मदद की और लाखों नौकरियां पैदा कीं. 

आज, भारतीय इंजीनियर न केवल बुनियादी तकनीकी मुद्दों को सुलझा रहे हैं, बल्कि एयरोस्पेस और ऑटोमोबाइल में नए-नए इन्वेंशन कर रहा है. 
कभी भारत को कॉल सेंटरों के लिए जाना जाता था. लेकिन आज ये देश एयरोस्पेस और ऑटोमोटिव क्षेत्रों में एडवांस टेक्नोलॉजी देने के लिए जाना जाता है. 

जैसे-जैसे व्हीकल और एयरक्राफ्ट डिजिटल सिस्टम पर निर्भर हो रहे हैं, भारत ने डिजिटल इंजीनियरिंग की अपनी पूरी प्रतिभा तैयार कर ली है. साथ ही इसने खुद को एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया है. 

ऑटोमोबाइल सेक्टर में भारत कर रहा निवेश 
ऑटोमोटिव क्षेत्र में, वाहनों में सॉफ्टवेयर को लेकर काफी चीजें विकसित की जा रही हैं. ऐसे में डिजिटल इंजीनियरिंग टैलेंट की काफी मांग बढ़ी है. स्मार्ट कॉकपिट, इलेक्ट्रिक मोटर, कार इंफोटेनमेंट सिस्टम और ऑटोमैटिक ड्राइविंग एल्गोरिदम जैसे सिस्टम ऑटोमोटिव इकोसिस्टम का अभिन्न अंग बन रहे हैं. रेनॉल्ट, बीएमडब्ल्यू, जगुआर लैंड रोवर और होंडा सहित प्रमुख ऑटोमोटिव ओरिजिनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर्स (OEMs) अपने डिजिटल कंटेंट के लिए भारत का रुख कर रहे हैं.

जेपी मॉर्गन की एक रिपोर्ट में भारत और इंजीनियरिंग रिसर्च एंड टेक्नोलॉजी को लेकर बात की गई है. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, एलएंडटी टेक्नोलॉजी सर्विसेज (LTTS), टाटा एलेक्सी, KPIT टेक्नोलॉजीज और साइरिएंट जैसी भारतीय कंपनियां ऑटोमोटिव इंडस्ट्री में डिजिटल सामान की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए डिजिटल इंजीनियरिंग, स्किल डेवलपमेंट में काफी निवेश कर रही है.   

एयरोस्पेस इंडस्ट्री में भारत बढ़ रहा आगे 
एयरोस्पेस इंडस्ट्री भी लंबे समय से भारत की डिजिटल शक्ति पर निर्भर रहा है. भारतीय एयरोस्पेस तकनीक में शुरुआती सफलता की कहानियों में से एक रॉकवेल कॉलिन्स थी. इसने 2000 में भारत से सॉफ्टवेयर टेस्टिंग की सोर्सिंग शुरू की थी. लगभग उसी समय, बोइंग ने फ्लाइट टेस्ट के लिए सॉफ्टवेयर बनाने के लिए चेन्नई में एचसीएल के साथ एक सेंटर बनाया. पिछले दो दशकों में, एयरोस्पेस क्षेत्र में भारत की भूमिका केवल मजबूत हुई है.

दुनिया के दो प्रमुख एयरोस्पेस निर्माता, बोइंग और एयरबस ने इंजीनियरों के लिए भारत का रुख किया है. सिएटल ऑफिस के बाद बोइंग का दूसरा सबसे बड़ा वर्कफोर्स भारत में स्थित है. हर साल लगभग 15 लाख इंजीनियरिंग छात्रों के ग्रेजुएट होने के साथ, भारत अपनी मैन्युफैक्चरिंग और इंजीनियरिंग क्षमताओं को बढ़ा रहा है. 

इतना ही नहीं भारतीय इंजीनियरों ने फ्यूल की खपत को कम करने वाले एडवांस  एयरक्राफ्ट इंजनों को डिजाइन करने में बड़ी भूमिका निभाई है. बता दें, GEnx इंजन, जनरल इलेक्ट्रिक (GE) एविएशन के इतिहास में सबसे तेजी से बिकने वाला हाई-थ्रस्ट जेट इंजन है.

भारतीयों की इंटरनेट तक पहुंच 
भारतीय आईटी और सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री ने देश को आर्थिक तौर पर आगे बढ़ाने में भी काफी मदद की है. 2023 में भारत की जीडीपी का 7.5% था. 2025 तक, इस क्षेत्र का भारत की जीडीपी में 10% योगदान होने की उम्मीद है. वहीं भारत की आईटी-बीपीएम (बिजनेस प्रोसेस मैनेजमेंट) इंडस्ट्री वित्त वर्ष 2023-24 के आखिर तक 254 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है, जिसमें कुल निर्यात लगभग 200 बिलियन अमेरिकी डॉलर होगा. 

आज, 76 करोड़ से ज्यादा भारतीयों की इंटरनेट तक पहुंच है, जिससे भारत दुनिया के सबसे बड़े इंटरनेट यूजर बेस में से एक बन गया है. 

 

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