Chinese Smartphone makers Conflict: कंपनियों में भारतीय मैनेजमेंट से लेकर लोकल कंपनियों के सहयोग तक… चीनी स्मार्टफोन निर्माताओं को सरकार ने दिए ये 3 निर्देश

चीनी स्मार्टफोन कंपनियों और भारतीय रेगुलेटरी अथॉरिटी के बीच पिछले कुछ समय से तनाव देखा जा रहा है. सीमा शुल्क चोरी और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों ने इन तकनीकी दिग्गजों की इमेज को कहीं न कहीं प्रभावित किया है. इसीलिए ये ठोस प्रयास किए जा रहे हैं.

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gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 11 मार्च 2024,
  • अपडेटेड 3:54 PM IST
  • सरकार का तीन सूत्रीय एजेंडा
  • लोकल मैन्युफेक्चरिंग को बढ़ावा देना 

पिछले कुछ समय से भारत में काम करने वाले चीनी स्मार्टफोन कंपनियां शक के घेरे में हैं. उन पर सीमा शुल्क चोरी से लेकर मनी लॉन्ड्रिंग तक के आरोप लग चुके हैं. लेकिन अब वीवो (VIVO) और ओप्पो (OPPP) ने भारत सरकार की चिंताओं को दूर करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है. इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, दोनों स्मार्टफोन कंपनियां अब हर राज्य में भारतीय वितरकों (Indian distributors) को नियुक्त करने की दिशा में काम कर रही हैं. इस कदम का उद्देश्य लंबे समय से चले आ रहे विवाद के मुद्दों को हल करना है.

सरकार का तीन सूत्रीय एजेंडा

दरअसल, भारतीय वितरकों को नियुक्त करने का निर्णय भारत सरकार की एक व्यापक रणनीति का हिस्सा है. इसमें 3 शर्तें हैं. सबसे पहले और सबसे जरूरी, सरकार इन चीनी स्मार्टफोन ब्रांडों के भीतर टॉप मैनेजमेंट के भारतीयकरण पर जोर देती है. इसमें यह सुनिश्चित करना शामिल है कि कंपनी के संचालन के संचालन के लिए जिम्मेदार प्रमुख अधिकारी भारतीय नागरिक हों.

डिस्ट्रीब्यूशन स्ट्रक्चर क्या हो? 

दूसरा, सरकार डिस्ट्रीब्यूशन स्ट्रक्चर के स्थानीयकरण की वकालत करती है. अभी तक चीनी स्मार्टफोन ब्रांड चीनी स्वामित्व वाली कंपनियों के नेटवर्क पर निर्भर रहे हैं. इन्हें आमतौर पर एजेंट कहा जाता है, जो प्रत्येक राज्य के भीतर काम करते हैं. फिर ये एजेंट स्थानीय वितरकों के माध्यम से खुदरा विक्रेताओं को उत्पाद देते हैं. हालांकि, अब इस मॉडल को बदलने की बात हो रही है.

वीवो ने दिल्ली, पंजाब और हरियाणा में अपने एजेंटों को भारतीय वितरकों से बदलने की योजना की घोषणा की है. ओप्पो ने इस पहल को देश भर में शुरू करने के इरादे से दिल्ली में भी इसी तरह का एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है. जबकि Xiaomi और Realme जैसे ब्रांडों ने शुरुआत से ही इस रणनीति को अपना लिया है. 

लोकल मैन्युफेक्चरिंग को बढ़ावा देना 

आखिर में, भारत सरकार चाहती है कि चीनी स्मार्टफोन कंपनियां लोकल मैन्युफेक्चरिंग को बढ़ावा दे. हालांकि, ओप्पो, वीवो और रियलमी जैसी कंपनियों ने इन निर्देशों का ध्यान रखते हुए डिक्सन टेक्नोलॉजीज और कार्बन ग्रुप जैसे भारतीय कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफेक्चरर्स के साथ स्मार्टफोन बनाना शुरू कर दिया है. 

गौरतलब है कि ये कदम तब उठाए गए हैं जब चीनी स्मार्टफोन कंपनियों और भारतीय रेगुलेटरी अथॉरिटी के बीच पिछले कुछ समय से तनाव देखा जा रहा है. सीमा शुल्क चोरी और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों ने इन तकनीकी दिग्गजों की इमेज को कहीं न कहीं प्रभावित किया है. इसी लिए ये ठोस प्रयास किए जा रहे हैं.


 

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