Sarvagn Pathak: 21 साल के गुजराती लड़के ने किया देश का नाम रोशन! WHO, NASA जैसे संस्थानों की वेबाइट्स में पकड़ा बग

सर्वग्न वर्तमान में अमेरिका के न्यू जर्सी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में साइबर सिक्योरिटी एंड प्राइवेसी में मास्टर्स की पढ़ाई कर रहे हैं.

Sarvagn Pathak
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 23 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 8:47 AM IST

गुजरात में राजकोट के 21 वर्षीय सर्वग्न पाठक ने अपनी साइबर सुरक्षा में विशेषज्ञता से NASA, WHO, UNESCO, Education department of America,अमेरिका के Department of Energy व नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्टैंडर्ड एंड टेक्नोलॉजी जैसी विश्व स्तरीय संस्थाओं की वेबसाइट्स को हैक करके दिखाया और उसमें मौजूद खामियों (बग्स) को खोज निकाला. सर्वग्न ने इन संस्थाओं को यह खामियां सूचित कीं, जिसके बाद उन्हें इन संस्थाओं के प्रशंसा-पत्र और ‘हॉल ऑफ फेम’ जैसे सम्मान प्राप्त हुए.

साइबर सिक्योरिटी में अद्वितीय उपलब्धि
साइबर वर्ल्ड में राजकोट का यह युवक आज एक जाना-पहचाना नाम बन गया है. नासा, WHO, UNESCO और अमेरिका की साइबर सिक्योरिटी से जुड़ी संस्थाओं को सर्वग्न ने जिन त्रुटियों से अवगत कराया, वे इतनी गंभीर थीं कि यदि समय पर इन्हें ठीक न किया जाता, तो वेबसाइट्स को आसानी से हैक किया जा सकता था. इन उत्कृष्ट कार्यों के लिए नासा, WHO, UNESCO, अमेरिका और नीदरलैंड सरकार ने उन्हें प्रशंसा पत्र और हॉल ऑफ फेम में शामिल किया है. 

Appreciation certificate

शिक्षा और परिवार
सर्वग्न वर्तमान में अमेरिका के न्यू जर्सी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में साइबर सिक्योरिटी एंड प्राइवेसी में मास्टर्स की पढ़ाई कर रहे हैं. उनका परिवार राजकोट में रहता है. माता शीतलबेन गृहिणी हैं, पिता देवर्षि पाठक फोटोग्राफर हैं और बहन प्रेक्षा इंजीनियरिंग में अपना करियर बना रही हैं. 10वीं तक की पढ़ाई के बाद उन्होंने उत्कर्ष स्कूल से 11वीं-12वी कक्षा की पढ़ाई साइंस स्ट्रीम से की. इसके बाद उन्होंने गांधीनगर के धीरूभाई अंबानी इंस्टिट्यूट से ICT में बीटेक किया और साइबर सिक्योरिटी में रिसर्च के साथ साइबर क्लब की स्थापना की. दिल्ली के DRDO में उन्होंने 6 महीने की इंटर्नशिप भी पूरी की और उनके रिसर्च पेपर्स बंगलुरु में सबमिट हुए. 

साइबर सिक्योरिटी में बग्स खोजने का बहुत महत्व है. बग का मतलब कोडिंग में हुई कोई छोटी गलती होती है, जिससे वेबसाइट हैक हो सकती है. WHO की वेबसाइट पर ऐसा ही बग मिला, जिससे वह सर्वग्न के नियंत्रण में आ गई थी. उन्होंने इस पर रिसर्च रिपोर्ट बनाकर WHO को भेजी. नासा की वेबसाइट में भी इसी तरह की खामी ढूंढ़ी, जिससे उन्हें ‘हॉल ऑफ फेम’ का सम्मान मिला. नीदरलैंड सरकार ने भी उन्हें एक टी-शर्ट और प्रशंसा-पत्र भेजा.

परिवार को है गर्व
सर्वज्ञ का पूरा परिवार राजकोट में रह रहा है और सर्वज्ञ की इतनी छोटी उम्र में इतनी बड़ी उपलब्धि को लेकर काफ़ी गर्व भी महसूस कर रहा है. सर्वज्ञ के पिता देवर्षि पाठक ने बताया कि सर्वग्न ने राजकोट, गुजरात और देश का नाम अमेरिका जैसे देश में रोशन किया है इसलिए उनकी खुशी का ठिकाना नहीं है. दूसरी और सर्वग्न की माता ने भावुक होते हुए बताया कि बेटा इतना दूर होने के कारण लंबे वक्त तक उन्हें मिल नहीं पाता है और वह उन्हें मिस करती हैं. लेकिन बेटा इतनी बड़ी उपलब्धि भी हासिल कर रहा है इसलिए खुशी भी है.

अब अमेरिका की साइबर प्रणाली में सर्वग्न पाठक का नाम ‘बग डिस्कवर’ के रूप में स्थायी रूप से दर्ज किया गया है. अमेरिका की नेशनल इंस्टिट्यूट फॉर स्टैंडर्ड एंड टेक्नोलॉजी जैसी संस्था, जो पूरे देश की साइबर सुरक्षा पर नजर रखती है, उसने सर्वग्न की पद्धति को समझते हुए उन्हें एक अनोखा स्थान दिया है. अब उनका नाम अमेरिकी सरकारी डाटाबेस में दर्ज है जो एक गर्व की बात है. 

(रोनक मजीठिया की रिपोर्ट)

 

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