ऑनलाइन शॉपिंग ने लोगों के सामान खरीदने के तरीके और अनुभव को बदल दिया है. बस एक क्लिक में आप कुछ भी खरीद सकते हैं. मैकएफी की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में लगभग 66 प्रतिशत खरीदार अच्छे ऑफर देखकर ही शॉपिंग करते हैं. कई बार ऑनलाइन इतना अच्छा डिस्काउंट मिल जाता है कि लोग अच्छी खासी शॉपिंग कर डालते हैं. खासकर होली, दिवाली के मौके पर तो 50 प्रतिशत से लेकर 70 प्रतिशत तक डिस्काउंट ऑफर आते हैं. हालांकि, इससे साइबर फ्रॉड्स को ठगी करने की नया तरीका भी मिल जाता है. होली आने वाली है और स्कैमर्स ने भी लोगों को ठगने का नया तरीका ढूंढ निकाला है.
क्या है फेक वेबसाइट स्कैम
होली के मौके पर 90 से 99% तक डिस्काउंट के ऑफर दिए जा रहे हैं, पहली नजर में ये ऑफर जानी मानी ई-कॉमर्स कंपनियों के लगते हैं. लिंक क्लिक करने पर हूबहू वेबसाइट खुलती है. लेकिन ये वेबसाइट फर्जी होती है. ये लिंक आमतौर पर फिशिंग गिरोहों द्वारा त्योहारों के दौरान भेजी जाती हैं. अब तक कई लोग इनके झांसे में फंसकर अपनी मेहनत की कमाई गवां चुके हैं.
कैसे अंजाम दिया जाता है ये फ्रॉड
आजकल लोग खूब ऑनलाइन शॉपिंग करते हैं, ऐसे में अब जालसाज बड़ी ई कॉमर्स कंपनियों के नाम पर ऑफर भेजकर लोगों को निशाना बना रहे हैं. इसके लिए वे पूरी की पूरी नकली साइट डेवलेप करते हैं. इन साइटों में अक्सर ऐसे यूआरएल होते हैं जो काफी हद तक जाने-माने ब्रांडों से मिलते-जुलते हैं, जिससे ग्राहक यह सोचकर शॉपिंग करते हैं कि ये असली हैं लेकिन वे नकली होते हैं. इन लिंक्स के जरिए स्कैमर्स अकाउंट नंबर और पासवर्ड हैक कर लेते हैं फिर इसका दुरुपयोग आसानी से किया जा सकता है.
ये हो सकते हैं रेड फ्लैग
जरूरत से ज्यादा डिस्काउंट: कई बार किसी ऑफर को देखकर दिमाग में आता है कि यह सच नहीं हो सकता है, तो आपका सोचना बहुत बार बिल्कुल सही हो सकता है. हाई-डिमांड वाली चीजों का बहुत कम दाम होने का मतलब है रैड फ्लैग. आपको इस तरह के स्कैम से बचना चाहिए.
खराब वेबसाइट डिजाइन: खराब डिजाइन वाली वेबसाइट या नकली वेबसाइट की फोटोज की खराब क्वालिटी, भाषा में ग्रामर की गलतियां और अधूरे प्रोडक्ट डिस्क्रिप्शन होते हैं.
कॉन्टैक्ट डिटेल न होना: जानी मानी ई कॉमर्स वेबसाइट फिजिकल एड्रेस और ग्राहक सेवा फोन नंबर सहित कॉन्टैक्ट डिटेल देती हैं. उन साइटों से सावधान रहें जो सिर्फ कॉन्टेक्ट फॉर्म या ईमेल पता देती हैं.
पेमेंट मेथड पर गौर: स्कैमर्स अक्सर वायर ट्रांसफ़र, गिफ्ट कार्ड या क्रिप्टोकरेंसी जैसे अज्ञात तरीकों से भुगतान मांगते हैं. क्रेडिट कार्ड और पेपल जैसी सुरक्षित पेमेंट तरीकों पर टिके रहें, जो खरीदार को सुरक्षा प्रदान करते हैं.
आप खुद को कैसे सेफ रख सकते हैं?
ऑनलाइन कुछ भी खरीदने से पहले उसकी रेटिंग जरूर चेक करें.
अगर ऑप्शन है तो ओपन बॉक्स डिलीवरी जरूर चुनें.
सोशल मीडिया पर फोटोज और दूसरी डिटेल्स को शेयर करते हुए थोड़ी सावधानी बरतें.
हमेशा विश्वसनीय स्रोतों से लिंक पर क्लिक करें.
वेबसाइट फेक तो नहीं है, इसके लिए उसकी स्पेलिंग सावधानीपूर्वक चेक करें.
फेक वेबसाइट में http लिखा होता है, जबकि ये https होना चाहिए. s का अर्थ सिक्योर है.
अज्ञात वेबसाइटों पर व्यक्तिगत जानकारी या लॉगिन डिटेल साझा न करें.
किसी भी वेबसाइट पर विजिट करते हुए उसका URL चेक जरूर करें.
ट्रांजेक्शन के बाद कुकीज डिलीट करना न भूलें.
धोखाधड़ी के शिकार होने पर अपने बैंक के संबंधित अधिकारी को तुरंत सूचित करें.