IIT Bombay के प्रोफेसर ने खोज निकाली क्वांटम कंप्यूटर की ये नई तकनीक, Covid-19 सहित गंभीर बीमारियों के इलाज की खोज में मिलेगी मदद

गोपाल ने 4 सदस्यीय शोधकर्ताओं की टीम का नेतृत्व करते हुये पिछले 2 सालों में कड़ी मेहनत से क्वांटम कंप्यूटर को सामान्य तापमान में कार्य करने की टेक्नोलॉजी का विकास किया है. उनकी टीम में भारत के एक पीएचडी के शोधकर्ता व जर्मनी के 2 शोधकर्ताओ ने अपना अहम योगदान दिया है

गोपाल दीक्षित
gnttv.com
  • बांदा,
  • 06 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 10:54 AM IST
  • आईआईटी चेन्नई से की है पढ़ाई
  • पिछले 2 साल से कर रहे हैं कड़ी मेहनत

टेक्नोलॉजी क्षेत्र में भारत हमेशा आगे रहा है. यहां के वैज्ञानिक बेमिसाल हैं. वैज्ञानिकों ने देश ही नही विदेशों में भी अपने शोध से नई तकनीकी का विकास किया है. ऐसे ही उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के अतर्रा कस्बे के रहने वाले आईआईटी बॉम्बे के प्रोफेसर गोपाल दीक्षित ने क्वांटम कम्प्यूटर को नार्मल टेम्परेचर में काम करने की क्षमता की नई टेक्नोलॉजी विकसित कर नया इतिहास रचा है. इसे जल्द ही लॉन्च किया जाएगा. 

क्या है ये नई टेक्नोलॉजी?

दरअसल, इस टेक्नोलॉजी से कंप्यूटर में हाई कम्प्यूटेशनल गति के साथ आण्विक सिमुलेशन, हाई डेल्टा विश्लेषण, गहन शिक्षण करना आसान हो जायेगा. इसके साथ ही यह नई दवाओं के विकास, प्रोटीन की संरचनाओं की व्याख्या में तेजी से कार्य करेगा. जिससे कोविड-19 सहित गंभीर बीमारियों के इलाज की खोज में मदद करेगा. 

क्या है क्वांटम कम्प्यूटर?

गौरतलब है कि क्वांटम कंप्यूटर,  सुपर कम्प्यूटर के साथ अन्य कम्प्यूटर से लाखों गुना तेज स्पीड से कार्य करने वाला एक विशेष प्रकार का कंप्यूटर होता है. इसका उपयोग शोध केंद्रों, मौसम विज्ञान केंद्र में प्रमुखता से किया जाता है. जानकारी के मुताबिक यह कम्प्यूटर भारत में अभी उपलब्ध नहीं है, यह केवल विदेशों में ही उपलब्ध है. 

इसका उपयोग विशेषकर भूकंप की तीव्रता मापने, बाढ़, चक्रवात का पूर्वानुमान, दवाओं के परीक्षण में तेजी व सटीकता लाने में किया जाता है. अभी तक इसके प्रयोग के लिए कमरे का तापमान -200 डिग्री सेल्सियस से कम में ही होता है. इस खोज के चलते अब सामान्य टेंपरेचर में भी इसे रखा जा सकता है और कार्य भी किया जा सकता है.

कौन हैं गोपाल दीक्षित? 

8 सालों तक विदेशों में रहने वाले युवा वैज्ञानिक गोपाल दीक्षित देश प्रेम की वजह से विदेश से वापस लौट आए. भारत में आकर वे आईआईटी बॉम्बे में साइंस विभाग में प्रोफेसर बन गए. पिछले 2 वर्षों की अथक मेहनत से उन्होंने इस क्वांटम कंप्यूटर में नई टेक्नोलॉजी विकसित की है. इसे आने समय वाले समय लॉन्च किया जाएगा हालांकि वैज्ञानिक ने इसका सफल प्रयोग कर लिया है. 

गोपाल दीक्षित

आईआईटी चेन्नई से की है पढ़ाई

उत्तर प्रदेश के सबसे पिछड़े क्षेत्र बुंदेलखंड के बांदा जिले के अतर्रा कस्बे के रहने वाले गोपाल दीक्षित ने आईआईटी चेन्नई से पढ़ाई की है. इसके बाद उन्होंने 2007 में 8 साल स्वतंत्र वैज्ञानिक के तौर पर जर्मनी में शोध का कार्य किया. देश के प्रति प्रेम एवं देश के लिए कुछ करने की अलख जगने के बाद वे भारत लौट आये और 2015 में आईआईटी बॉम्बे में भौतिक विज्ञान में प्रोफेसर बनकर शोध कार्य करने में जुट गए. 

पिछले 2 साल से कर रहे हैं कड़ी मेहनत 

गोपाल ने 4 सदस्यीय शोधकर्ताओं की टीम का नेतृत्व करते हुये पिछले 2 सालों में कड़ी मेहनत से क्वांटम कंप्यूटर को सामान्य तापमान में कार्य करने की टेक्नोलॉजी का विकास किया है. उनकी टीम में भारत के एक पीएचडी के शोधकर्ता व जर्मनी के 2 शोधकर्ताओ ने अपना अहम योगदान दिया है. वैज्ञानिक के मुताबिक, अभी तक यह कम्प्यूटर शून्य से बहुत कम टेम्परेचर (-200 डिग्री सेल्सियस या उससे कम) पर कार्य कर सकते थे, जिससे वह बहुत महंगा और लोगों के हाथ दूर होते जा रहे थे.

युवा वैज्ञानिक ने 'इंडिया टुडे' को बताया कि इसमें कंप्यूटर की वेल्ट्रॉनिक्स में बहुत ही पतली सतह की ग्राफीन के उपयोग का नायाब तरीका खोजा गया है, जिससे इस कम्प्यूटर के टेम्परेचर में टेक्नोलॉजी का विकास होगा. इस नई टेक्नोलॉजी से यह कंप्यूटर रूम टेम्परेचर में तो कार्य करेंगे ही, लेकिन इनकी स्पीड भी बहुत तेज रहेगी. 

(सिद्धार्थ गुप्ता की रिपोर्ट)

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