Research: आईआईटी मंडी का कमाल...अब दुश्मनों के रडार में नहीं आ पाएंगे सैन्य उपकरण, जानिए कैसे काम करता है आर्टिफिशियल स्ट्रक्चर

आईआईटी मंडी के शोधकर्ताओं ने ऐसा आर्टिफिशियल मटेरियल तैयार किया है, जो हमारे खुफिया सैन्य वाहनों और खुफिया ठिकानों को दुश्मनों के रडार की नजरों से बचा सकता है.

आईआईटी मंडी के शोधकर्ताओं ने किया रिसर्च (फोटो ट्विटर)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 07 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 7:54 PM IST
  • शोधकर्ताओं का दावा-यह मटेरियल रडार फ्रीक्वेंसी की बड़ी रेंज को एब्जॉर्ब करने में है सक्षम 
  • कांच के पैनलों को सुरक्षा कवच देने के लिए भी किया जा सकता है उपयोग

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मंडी के शोधकर्ताओं ने एक और कमाल किया है. उन्होंने ऐसा आर्टिफिशियल मटेरियल तैयार किया है, जो हमारे खुफिया सैन्य वाहनों और खुफिया ठिकानों को दुश्मनों के रडार की नजरों से बचा सकता है. शोधकर्ताओं का दावा है कि यह मटेरियल रडार फ्रीक्वेंसी (सिग्नल) की बड़ी रेंज को एब्जॉर्ब करने में सक्षम है. चाहे, रडार के सिग्नल जिस दिशा से उनके टारगेट को निशाना बनाएं. इसका उपयोग खुफिया सैन्य वाहनों और खुफिया सैन्य ठिकानों की खिड़कियों व कांच के पैनलों को सुरक्षा कवच देने के लिए भी किया जा सकता है. इस शोध कार्य के निष्कर्ष को एक जर्नल में प्रकाशित किया गया है.

कांच के पैनलों को सुरक्षा कवच दे सकता है
इस शोध को डॉ. जी श्रीकांत रेड्डी, सहायक प्रोफेसर, स्कूल ऑफ कंप्यूटिंग एंड इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, आईआईटी मंडी और उनकी टीम के डॉ. अवनीश कुमार और ज्योति भूषण ने मिल कर किया है. श्रीकांत रेड्डी ने बताया कि आर्टिफिशियल स्ट्रक्चर/मटीरियल का उपयोग खुफिया सैन्य वाहनों और खुफिया सैन्य ठिकानों की खिड़कियों या कांच के पैनलों को सुरक्षा कवच देने के लिए भी किया जा सकता है, जिनका रडार की नजर से बचना जरूरी है. इस टेक्नोलॉजी का विकास फ्रीक्वेंसी सेलेक्टिव सर्फेस (एफएसएस) के आधार पर किया है, जो रडार द्वारा उपयोग किए जाने वाली फ्रीक्वेंसी की बड़ी रेंज को एब्जॉर्ब करती है जिसके परिणामस्वरूप यह सर्फेस रडार को नहीं दिखता है।

इस तरह काम करता है उपकरण
आईआईटी मंडी के डॉ. जी श्रीकांत रेड्डी ने बताया कि हमने इस टेक्नोलॉजी का विकास फ्रीक्वेंसी सेलेक्टिव सर्फेस एफएसएस के आधार पर किया है, जो राडार द्वारा उपयोग किए जाने वाली फ्रीक्वेंसी की बड़ी रेंज को एब्जार्व करती है जिसके परिणामस्वरूप यह सर्फेस राडार को नहीं दिखता है. इस डिजाइन में ऑप्टकली ट्रांस्परेंट आईटीओ-कोटेडपीईटी शीट का उपयोग किया गया है. इस पीईटी शीटपर एफएसएस पैटर्न बनाए जाते हैं. पीईटी शीट पर लेजर इन्ग्रेविंग टेक्नोलॉजी से एफएसएस पैटर्न बनाए गए और एफएसएस पैटर्न के सिमेट्रिकल और ग्लॉसी होने के कारण यह एब्जार्वर पोलराइजेशन इंसेंसिटव हो जाता है और यह सी, एक्स और क्यूबैंड में ईएम तरंगों की फ्रीक्वेंसी की बड़ी रेंज को एब्जार्व कर लेता है.

सार्वजनिक क्षेत्रों में भी उपयोग होगा शोध
इस शोध का उपयोग सार्वजनिक क्षेत्रों में भी निगरानी और नेविगेशन के लिए किया जा सकता है. डॉ. अवनीश ने बताया कि इससे विमानों, जल जहाजों, जमीन पर चलने वाले वाहनों और गुप्त ठिकानों में होने वाली गतिविधियों का पता चलता है. रडार की नजरों से बचना सैन्य सुरक्षा की अहम रणनीति है और रडार से बच कर निकलने की क्षमता हो तो दुश्मन के हथियारों का निशाना बनने का खतरा कम हो सकता है. रडार की नजरों से बचाने की तकनीक व्यावसायिक क्षेत्र की इमारतों से रेडियेशन का खतरा कम करने और उनकी सुरक्षा बढ़ाने में भी उपयोगी हो सकती है. 

क्या होता है रडारा और क्यों होता है इस्तेमाल
रडार का उपयोग सैन्य और सार्वजनिक क्षेत्रों में भी निगरानी और नेविगेशन के लिए किया जाता है. इससे विमानों, जल जहाजों, जमीन पर चलने वाले वाहनों और गुप्त ठिकानों में होने वाली गतिविधियों का पता चलता है.इस तरह निगरानी रखना आसान होता है. रडार की नजरों से बचना सैन्य सुरक्षा की अहम रणनीति है और रडार से बच कर निकलने की क्षमता हो तो दुश्मन के हथियारों का निशाना बनने का खतरा कम हो सकता है. 


 

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