Heat waves से इंटरनेट को कैसे बचा रहीं Google, Oracle जैसी कंपनियां, समझें गर्मी से Internet का क्या कनेक्शन

पहले Oracle ने इस बात की जानकारी देते हुए लिखा कि यूके (लंदन) में असाधारण उच्च तापमान के चलते उसके डेटा सेंटर के दो कूलिंग सिस्टम फेल हो गए, परिणामस्वरूप डेटा सेंटर का तापमान बढ़ने लगा जिसके चलते कुछ सिस्टम बंद हो गए.

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gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 22 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 1:32 PM IST
  • सर्वर को डेटा सेंटर में होस्ट किया जाता है

बीते मंगलवार को ब्रिटेन (UK) ने उच्चतम तापमान के अपने सारे रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए. रिकॉर्ड हीट वेव के चलते जैसे ही ब्रिटेन के अधिकांश हिस्सों में तापमान चरम पर पहुंचा वैसे ही Google और Oracle जैसे टेक दिग्गजों के लंदन स्थित डेटा सेंटर का काम कुछ समय के लिए ठप्प हो गया. कंपनियों के डेटा सेंटर का कूलिंग सिस्टम फेल हो गया और उन्हें आउटेज का सामना करना पड़ा.    

पहले Oracle ने इस बात की जानकारी देते हुए लिखा कि यूके (लंदन) में असाधारण उच्च तापमान के चलते उसके डेटा सेंटर के दो कूलिंग सिस्टम फेल हो गए, परिणामस्वरूप डेटा सेंटर का तापमान बढ़ने लगा जिसके चलते कुछ सिस्टम बंद हो गए. बढ़ते तापमान ने लंदन स्थित गूगल क्लाउड डेटा सेंटर को भी प्रभावित किया. कंपनी ने सूचित किया कि कूलिंग सिस्टम फेल होने के बाद मशीन को खराब होने से बचाने के लिए उसके कुछ सिस्टम को बंद करना पड़ा.  दोनों ही कंपनियों ने थोड़ी देर बाद बताया कि समस्या हल हो गई है.         

डेटा सेंटर हमारे लिए कितने अहम
अब इंटरनेट के बिना जिंदगी सोचना भी मुश्किल है. इस पूरे इंटरनेट सिस्टम को चलाने में सर्वर महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. ये सर्वर हमें सर्च इंजन, ईमेल, सोशल मीडिया, यूट्यूब और बाकी कई सारे सर्विसेस देते हैं.  इन सभी सर्वर को डेटा सेंटर में होस्ट किया जाता है, यानि ये सर्वर जहां रखे होते हैं और जहां से काम करते हैं उस जगह को डेटा सेंटर कहते हैं. कई सारी ऑनलाइन  सर्विसेस जैसे गेम्स, 3D ग्राफिक्स और इंटरनेट ऑफ थिंग्स सबको पहाड़ जितना डेटा प्रोसेस करने के लिए शक्तिशाली सर्वर की जरूरत होती है. Google, Apple, Facebook, Amazon और Oracle जैसी बड़ी कंपनियों द्वारा चलाए जा रहे डेटा सेंटर में हजारों IT डिवाइस और सर्वर होते हैं जों पानी की तरह बिजली पीते हैं.  

डेटा सेंटर को ठंडा करने की क्या जरूरत 
डेटा सेंटर में डेटा स्टोरेज, इंटरनेट, प्रोसेसिंग यूनिट से जुड़े हजारों डिवाइसेस काम करते हैं. ये सब पानी की तरह बिजली पीते हैं और खूब गर्मी फेंकते हैं. अगर इनको ठंडा नहीं किया गया तो सब जलकर राख हो जाएंगे. मजे की बात ये है कि इनको ठंडा करने वाला कूलिंग सिस्टम भी बिजली पर ही चलता है और वो खुद भी भयंकर गर्मी फेकता है. गूगल, ओरेकल जैसी कंपनियां अपने डेटा सेंटर में लगने वाली कुल बिजली का 50 फीसदी कूलिंग के लिए इस्तेमाल करती हैं.   

डेटा सेंटर को कैसे ठंडा रखती हैं कंपनियां     
अधिकांश कंपनियां अपने डेटा सेंटर को पानी, एयर-कूल्ड चिलर प्लांट, सेंट्रल एसी सिस्टम, इन-रैक कूलिंग समेत अन्य कई तरीकों से कूल रखती हैं.   

इस मामले में भारत का क्या हाल
भारत में अधिकांश डेटा सेंटर चेन्नई और मुंबई जैसी जगहों पर स्थित हैं. जैसे-जैसे भारत डिजिटाइजेशन की तरफ बढ़ रहा है आने वाले समय में भारत में डेटा सेंटर की संख्या बढ़ने वाली है.   चेन्नई और मुंबई में अक्सर तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के पार जाता रहता है, लेकिन कुशल कूलिंग सिस्टम होने की वजह से ये बिना किसी समस्या के काम करते हैं.       

माइक्रोसॉफ्ट के प्रोजेक्ट नैटिक ने तो अपना नॉर्दर्न आइल्स डेटा सेंटर समुद्र से 117 फीट नीचे तैनात बना रखा है. इसका मकसद है कि समुद्र के पानी से मिलने वाली ठंडक से पूरे सिस्टम को ठंडा रखा जा सके. 

 

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