Remotely Operated Vehicle: मशीन बनी मसीहा! 200 मीटर पानी में उतरकर शव निकाल सकता है यह आरओवी, अब गोताखोरों की भी जरूरत नहीं... जानिए कैसे करती है काम

इस आरओवी में एक तार लगा है, जिसके एक सिरे पर क्लिप है. इसके साथ एक कैमरा भी जुड़ा हुआ है. इसकी मदद से समंदर के अंदर की जांच की जा सकती है और अगर कोई शव या भारी ऑबजेक्ट है तो उसे निकाला जा सकता है. इस मशीन के कारण अब पानी में गोताखोरों के उतरने की भी ज़रूरत नहीं.

त्रिवेदी फिलहाल आरओवी के लिए कोई चार्ज नहीं कर रहे हैं.
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 15 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 12:23 PM IST

गुजरात के अहमदाबाद में सामाजिक कार्यकर्ता जय त्रिवेदी जब पानी में अपना रिमोटली ऑपरेटेड व्हीकल (Remotely Operated Vehicle) उतारते हैं तो पहली नजर में यह किसी साई-फाई फिल्म का हिस्सा लगता है, लेकिन दरअसल यह असली है और लोगों की जिंदगियां बचा रहा है. 

यह व्हीकल छोटा है लेकिन इतना ताकतवर है कि 200 मीटर गहराई तक गोता लगाकर 100 किलो तक वज़न उठा सकता है. सिर्फ यही नहीं, यह पानी से शव भी बरामद कर सकता है. अहमदाबाद में इस हाई-टेक गैजेट का इस्तेमाल जय त्रिवेदी आपराधिक जांच और बचाव कार्यों में मदद के लिए कर रहे हैं.

कैसे काम करता है यह आरओवी?
इस आरओवी में एक तार लगा है, जिसके एक सिरे पर क्लिप है. इसके साथ एक कैमरा भी जुड़ा हुआ है. इसकी मदद से समंदर के अंदर की जांच की जा सकती है और अगर कोई शव या भारी ऑबजेक्ट है तो उसे निकाला जा सकता है. इस मशीन के ना होने पर यह काम गोताखोरों से करवाया जाता है. हालांकि यह उनके लिए भी खतरनाक हो सकता है. 

सामाजिक कार्यकर्ता जय त्रिवेदी ने अपनी मशीन के बारे में कहा, "हमारा जो डिवाइस है यह पानी के नीचे 200 मीटर तक जाता है और आपको लाइव वीडियो ऊपर दिखाता है. कोई भी 100 किलो का अगर शव है या कोई ऑब्जेक्ट पानी के नीचे है तो उसको खींचकर ऊपर ले कर आ सकता है." 

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उन्होंने बताया, "पहले हमने कई बार डिजास्टर साइट्स पर इसकी मदद ली है. जैसे मोरबी (ब्रिज दुर्घटना), हरणी (झील दुर्घटना) और जम्मू कश्मीर की हेलीकॉप्टर क्रैश साइट पर भी हमने प्रशासन की मदद की थी. वहां हमने अपनी मशीन का इस्तेमाल करके कई शव पानी से निकाले थे और सरकार की मदद की थी."  

मुफ्त में कई बलों की कर चुके हैं मदद
सतह से संचालित आरओवी गहराइयों से वास्तविक समय में फुटेज भेजता है. इससे एनडीआरएफ, नौसेना, अग्निशमन सेवा और सीबीआई जैसी एजेंसियों को काफी मदद मिलती है. जय ने बताया, "अभी इसके लिए हम कुछ चार्ज नहीं करते. धीरे-धीरे वह मॉडल भी हम सोच रहे हैं. हालांकि अभी शवों के लिए हम कोई पैसे नहीं लेते. यह हमारा काम है." 

उन्होंने कहा, "पानी में उतरना एक बहुत रिस्की काम है. अगर गोताखोर भी अंदर जाता है तो उसकी जिन्दगी पर भी जोखिम होता है. हम डाइवर को ना भेजकर, मशीन को भेजते हैं और काम को अंजाम देने की कोशिश करते हैं. हमने एनडीआरएफ, मार्कोस नेवी, इंडियन आर्मी, गुजरात पुलिस, अहमदाबाद फायर और सीबीआई जैसे अनेक बलों की मदद की है." 

दमकल विभाग ने भी की तारीफ
अहमदाबाद के दमकल विभाग ने इस तकनीक की खुलकर तारीफ की है. इसके क्रियाकलाप को दमकल कर्मचारियों और बचाव दलों के लिए बेहद कारगर बताया है. अहमदाबाद फायर एंड इमरजेंसी सर्विसेज के डिविजनल फायर ऑफिसर एस. बी. जडेजा ने कहा, "अहमदाबाद फायर ब्रिगेड की जो रेस्क्यू ऑपरेशन टीम है, उसमें खासकर पानी से जुड़ी चुनौतियां होती हैं." 

उन्होंने कहा, "जब हमारी टीम पानी से जुड़े ऑपरेशन करने जाती है तो रात में पानी में उतरना चुनौती भरा होता है. हमारी टीम डीप डाइव करके शवों को पानी से निकालती है. हमने कई जिन्दा लोगों को भी बचाया है. उसमें यह तकनीक हमारी टीम की मदद करती है. यह तकनीक हमारी जरूरत के लिए बहुत आधुनिक है." 

हाल में प्रयागराज में हुए महाकुंभ के दौरान भी जल पुलिस ने आरओवी की सेवा ली थी. महाकुंभ दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में एक था. अपनी निस्वार्थ सेवा और अत्याधुनिक तकनीक के इस्तेमाल से जय त्रिवेदी जांच प्रक्रिया में मजबूती और सार्वजनिक सुरक्षा में शानदार योगदान दे रहे हैं. 
 

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