Meta's Strategy to Combat Misinformation: चुनावों के लिए तैयार है Meta, सेफ्टी से लेकर फैक्ट चेकिंग और लोगों को शिक्षित करने तक में कर रहा मदद  

गलत सूचना का तेजी से प्रसार होता है. इससे कभी कभी जनता की राय भी प्रभावित हो सकती है. सोशल मीडिया पर फैल रही बिना नाम वाली सूचनाएं भी कई बार हिंसा भड़काने का काम करती हैं. ऐसे में इन मुद्दों को संबोधित करना जरूरी हो जाता है. 

Elections (Photo: Getty Images)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 26 मार्च 2024,
  • अपडेटेड 3:23 PM IST
  • चुनावों में गलत सूचना की चुनौती
  • लोगों को शिक्षित करने में कर रहा मदद  

भारत जैसे-जैसे 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए खुद को तैयार कर रहा है वैसे वैसे मेटा भी खुद को तैयार कर रहा है. फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया हैंडल्स पर फैल रही गलत सूचना से निपटने, चुनावी अखंडता सुनिश्चित करने और अपने प्लेटफार्मों पर पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए मेटा ने नई रणनीति अपनाई है. 

चुनावों में गलत सूचना की चुनौती

गलत सूचना, चाहे वह ऑडियो, वीडियो, इमेज या टेक्स्ट के रूप में हो, चुनाव के दौरान एक महत्वपूर्ण खतरा पैदा करती है. डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से इसका तेजी से प्रसार होता है. जिससे कभी कभी जनता की राय भी प्रभावित हो सकती है. इतना ही नहीं बल्कि या चुनावी प्रक्रियाओं में विश्वास को कम कर सकता है और यहां तक ​​कि हिंसा भी भड़का सकता है. सोशल मीडिया पर फैल रही बिना नाम वाली सूचनाएं भी कई बार हिंसा भड़काने का काम करती हैं. ऐसे में इन मुद्दों को संबोधित करना जरूरी हो जाता है. 

सरकारी आदेश और मेटा की प्रतिक्रिया

चुनाव से पहले इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय ने सोशल मीडिया प्लेटफार्मों को सलाह जारी की है. इसमें आईटी नियमों के पालन और डिजिटल नागरिकों को गलत सूचना और डीपफेक से बचाने के महत्व पर जोर दिया गया है. MoS राजीव चंद्रशेखर ने भारतीय दंड संहिता के तहत कानूनी परिणामों को लागू करने में विफलता के साथ, गलत सूचना फैलने से रोकने के लिए प्लेटफार्मों के कानूनी दायित्व पर जोर दिया है.

बता दें, प्राइवेसी और सेफ्टी पर ध्यान केंद्रित करने वाले लगभग 40,000 व्यक्तियों के समर्पित कार्यबल के साथ, मेटा ने 2016 से 20 बिलियन डॉलर से अधिक का निवेश किया है. इसमें 20 भारतीय भाषाओं सहित कई भाषाओं में कुशल 15,000 कंटेंट reviewers शामिल हैं. 

पारदर्शिता और सहयोग

मेटा ने राजनीतिक विज्ञापनों के लिए और उनके चेक करने के लिए भारत में 16 भाषाओं को कवर करने वाले थर्ड पार्टी फैक्ट चेकर्स के साथ भी पार्टर्नशिप की है. इसके अलावा, मेटा यूजर्स को फेक कंटेंट पहचानने और उससे खुद को बचाने के लिए शिक्षित भी कर सकता है. मिसइनफॉर्मेशन कॉम्बैट अलायंस के साथ सहयोग करते हुए, मेटा ने एक व्हाट्सएप हेल्पलाइन शुरू की है. 

जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आएंगे, मेटा मार्च के आखिर में 'प्रत्येक वोट का जश्न मनाएं' (Celebrate Each Vote) अभियान शुरू करने वाला है. रचनाकारों के साथ सहयोग करते हुए, इस पहल का उद्देश्य वोटर्स को जागरूक करना है. 

 

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