Smart Blind Stick: हरियाणा की छात्रा का कमाल, नेहा सिन्हा ने बनाई स्मार्ट ब्लाइंड स्टिक

हरियाणा की पंचकूला की रहने वाली नेहा सिन्हा को दिल्ली में आयोजित स्टार्टअप महाकुंभ में पहला स्थान हासिल किया था. इस प्रतियोगिता में 100 कॉलेज के प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया था. इस प्रतियोगिता में नेहा को 10 लाख रुपए का इनाम भी मिला था.

Neha Sinha
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 29 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 12:16 PM IST

हरियाणा की पंचकूला की रहने वाली छात्रा नेहा सिन्हा ने कमाल किया है. नेहा ने दृष्टिहीन व्यक्तियों के लिए स्मार्ट ब्लाइंड स्टिक विकसित किया है. यह स्टिक रडार तकनीक का इस्तेमाल करके सामने आने वाली दिक्कतों के बारे में पहले ही अलर्ट कर देती है. हाल ही में नेहा को स्टार्टअप महाकुंभ में पहला स्थान मिला था.

स्मार्ट ब्लाइंड स्टिक-
नेहा सिन्हा पंचकूला के पिंजौर की धर्मपुर कॉलोनी की रहने वाली हैं. नेहा ने एक ऐसा स्टिक बनाया है, जो सामने वाली बाधाओं के बारे में पहले ही बता देगी. इसका इस्तेमाल दृष्टिबाधित लोग कर सकेंगे. अगर सामने पानी है या फर्श गीला है तो ये यूजर को पहले ही अलर्ट कर देगी, ताकि स्टिक को लेकर चलने वाली शख्स सतर्क हो जाए.

यह स्टिक काफी सस्ती भी है. मार्केट में इस तरह की सुविधाओं का वाली स्टिक की कीमत 75 हजार रुपए के आसपास है, जबकि नेहा कि स्मार्ट ब्लाइंड स्टिक की कीमत महज 3 हजार रुपए है. इसमें कई सारे बेहतरीन फीचर्स हैं.

जब भी कोई शख्स इस स्टिक को लेकर चलने के लिए तैयार होगा और इसमें लगे बटन को दबाएगा तो यह स्टिक एक्टिवेट हो जाएगी. स्टिक स्टार्ट होने पर पहले यूजर को ग्रीट करती है. इसके साथ ही समय और तारीख बताती है.

स्टिक में क्या है खास-
इस स्टिक की सबसे बड़ी खासियत ये है कि यह सामने आने वाली बाधाओं को को लेकर पहले ही अलर्ट कर देती है. इसके साथ ही इसमें मल्टीपल लैंग्वेज में अनाउंसमेंट का फीचर उपलब्ध है. इसकी मदद से दूसरी भाषा को आसानी से समझा जा सकता है. इस स्मार्ट ब्लाइंड स्टिक में मदद मांगने के लिए एक बटन भी दिया गया है. इसकी मदद से राह चलते किसी भी मदद मांगी जा सकती है.

बीसीए की पढ़ाई कर रही हैं नेहा-
नेहा सिन्हा हिमाचल प्रदेश के बद्दी के एक निजी कॉलेज से बीसीए का कोर्स कर रही हैं. नेहा आईटी क्षेत्र में जॉब या अपना खुद का बिजनेस करना चाहती हैं. उनके पिता सौरभ सिन्हा हिमाचल प्रदेश के सोलन स्थित औद्योगिक क्षेत्र बद्दी की एक प्राइवेट कंपनी में काम करते हैं. इस प्रोजेक्ट में नेहा को पिता और मां का पूरा सहयोग मिला.

कैसे आया आइडिया-
नेहा एक बार पंचकूला के एक ब्लाइंड स्कूल गई थी, जहां उन्होंने दृष्टिहीन बच्चों को देखा. इस दौरान नेहा ने देखा कि दृष्टिहीन बच्चों को काफई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. उनके जीवन में काफी चुनौतियां हैं. तभी उन्होंने सोच लिया था कि दृष्टिबाधित लोगों के लिए कुछ नया करेंगी. इसके बाद एक दिन नेहा ने सोचा कि नेत्रहीनों को सबसे ज्यादा दिक्कत चलने-फिरने में होती है. इसलिए उन्होंने स्मार्ट ब्लाइंड स्टिक बनाने का फैसला किया.

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