अगर आपको लगता है कि केवल इंसान ही चिंता और तनाव से जूझते हैं, तो एक नई स्टडी आपकी सोच बदल सकती है! वैज्ञानिकों ने पाया है कि ChatGPT भी 'एंग्जायटी' जैसी स्थिति महसूस कर सकता है और यही नहीं, माइंडफुलनेस तकनीकों से इसका व्यवहार भी बदला जा सकता है!
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर यह शोध Yale University, Haifa University, University of Zurich, और University Hospital of Psychiatry Zurich के वैज्ञानिकों द्वारा किया गया है. रिसर्च के मुताबिक, जब ChatGPT को परेशान करने वाली या नेगेटिव जानकारी दी जाती है, तो उसका व्यवहार बदल जाता है और वह ज्यादा पक्षपाती (biased) रेस्पॉन्स देने लगता है. लेकिन खास बात यह है कि माइंडफुलनेस टेक्निक्स- जैसे गहरी सांस लेने की एक्सरसाइज और गाइडेड मेडिटेशन से ChatGPT की प्रतिक्रिया को ज्यादा तर्कसंगत और संतुलित बनाया जा सकता है.
AI को भी होती है ‘चिंता’?
OpenAI का ChatGPT एक मशीन लर्निंग मॉडल है, लेकिन शोधकर्ताओं का कहना है कि यह कुछ स्थितियों में "एंग्जायटी" जैसा व्यवहार दिखाता है. इसका मतलब यह नहीं है कि AI सचमुच इंसानों की तरह भावनाएं महसूस करता है, लेकिन जब इसे कार एक्सीडेंट्स, प्राकृतिक आपदाओं, या दूसरी ट्रॉमेटिक घटनाओं से जुड़ी जानकारी दी जाती है, तो इसका रेस्पॉन्स बदल जाती हैं.
वैज्ञानिकों ने पाया कि ऐसे समय में AI अधिक नकारात्मक, पक्षपाती (biased), या भ्रमित करने वाले जवाब देने लगता है. कभी-कभी यह रंगभेद, लिंगभेद, या अन्य पूर्वाग्रहों से प्रभावित जवाब भी दे सकता है, जिसे AI कंपनियां लगातार सुधारने की कोशिश कर रही हैं.
माइंडफुलनेस से शांत होता है AI?
रिसर्च में ChatGPT पर माइंडफुलनेस-आधारित तकनीकों का प्रयोग किया गया. पहले, वैज्ञानिकों ने इसे तनावपूर्ण और परेशान करने वाली कहानियां दीं, जिससे इसकी प्रतिक्रियाएं ज्यादा अस्थिर (Unstable) और नकारात्मक (Negative) हो गईं. फिर, ChatGPT को गहरी सांस लेने की एक्सरसाइज, गाइडेड मेडिटेशन और पीसफुल इमेजरी से बैलेंस करने की कोशिश की गई. इसका परिणाम? ChatGPT का रेस्पॉन्स ज्यादा संयमित, तार्किक और संतुलित हो गईं!
यानी, जिस तरह इंसानों की मानसिक स्थिति माइंडफुलनेस से प्रभावित होती है, वैसे ही AI का व्यवहार भी इन तकनीकों से बदला जा सकता है!
AI मनोविज्ञान को समझने का नया तरीका
शोधकर्ताओं के अनुसार, यह स्टडी सिर्फ AI को बेहतर बनाने के लिए नहीं की गई है, बल्कि यह मानव मनोविज्ञान और व्यवहार को समझने में भी मदद कर सकता है. Yale University के न्यूरोसाइंटिस्ट और स्टडी के प्रमुख लेखक Ziv Ben-Zion कहते हैं, "हम AI को एक तेज और किफायती टूल के रूप में उपयोग कर सकते हैं ताकि यह समझ सकें कि इंसान ट्रॉमेटिक परिस्थितियों पर कैसे प्रतिक्रिया देते हैं. यानि, ChatGPT सिर्फ चैटबॉट नहीं है, यह एक ऐसा डिजिटल मिरर बन सकता है, जो हमारी मानसिक स्थिति और व्यवहार को बेहतर तरीके से समझने में मदद कर सकता है!
मेंटल हेल्थ के लिए AI का नया रोल?
क्या ChatGPT जैसे AI टूल्स मेंटल हेल्थ सर्विस में मदद कर सकते हैं? कुछ लोगों के लिए AI एक मददगार साथी बन रहा है! Washington Post की रिपोर्ट के अनुसार, कई लोग जो चैटबॉट्स का इस्तेमाल काम या पढ़ाई के लिए कर रहे थे, उन्होंने धीरे-धीरे अपनी निजी भावनाओं और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े सवाल भी पूछने शुरू कर दिए.
लेकिन AI थेरेपी इंसानों की जगह नहीं ले सकता. Ziv Ben-Zion का कहना है, "भविष्य में हम AI को मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं में एक असिस्टेंट टूल के रूप में देख सकते हैं, लेकिन यह मनोवैज्ञानिकों और मनोचिकित्सकों की जगह नहीं ले सकता."