OpenAI o1: बोलने से पहले 'सोचता' है यह नया एआई मॉडल, ChatGPT से 4 गुना ज्यादा समझदार... जानिए इसकी खासियत

OpenAI o1: ओपनएआई का यह नया मॉडल न सिर्फ तर्क करने के मामले में पुराने मॉडलों से बेहतर है, बल्कि इसके आने वाले अपडेट्स में यह इंटरनेट ब्राउज करने और आपके कंप्यूटर में फाइल्स मैनेज करने जैसे काम भी अंजाम दे सकेगा.

OpenAI o1 and OpenAI o1 Mini unveiled
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 14 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 9:28 AM IST

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की दुनिया को डॉल-ई और चैटजीपीटी जैसे एआई मॉडल देने वाली कंपनी ओपनएआई (OpenAI) ने 'ओपनएआई ओ1'  नाम का अपना नवीनतम एआई मॉडल रिलीज कर दिया है. यह मॉडल तर्क के आधार पर जवाब देने वाला पहला मॉडल है. ओपनएआई का कहना है कि वह आने वाले समय में ऐसे कई अन्य मॉडल रिलीज करेगा. लेकिन फिलहाल जवाब देने से पहले ओपनएआई ओ1 के 'सोचने' के तरीके की बहुत चर्चा हो रही है. 

कैसे काम करता है नया एआई मॉडल?
ओपनएआई की वेबसाइट बताती है कि नए एआई मॉडल को इस तरह तैयार किया गया है कि यह किसी सवाल का जवाब देने से पहले सोचने में ज्यादा समय बिताए. जैसे कि कोई इंसान सोचता है. यानी जहां चैट जीपीटी एक लैंग्वेज मॉडल के तौर पर अपने पास मौजूद डेटा के आधार पर सीधा जवाब देता था. वहीं ओ1 ट्रेनिंग के जरिए अपने सोचने के तरीके को समय के साथ सुधारता जाएगा, नई रणनीतियां अपनाएगा और अपनी गलतियों को भी सुधारेगा. 

पिछले मॉडलों से कितना बेहतर?
ओपनएआई के अनुसार, ओ सीरीज का अगला मॉडल बायोलॉजी, केमिस्ट्री और फिजिक्स में मुश्किल कामों पर पीएचडी छात्रों जैसा प्रदर्शन कर सकता है. टेस्टिंग में यह भी पाया गया कि यह मॉडल गणित और कोडिंग जैसे मुश्किल काम भी कर सकता है. अंतर्राष्ट्रीय गणित ओलंपियाड (International Maths Olympiad) के लिए एक क्वालिफिकेशन परीक्षा में जीपीटी-4ओ (ChatGPT-4o) जहां सिर्फ 13% समस्याओं को सही ढंग से हल कर सका, वहीं ओ सीरीज के मॉडल ने 83% स्कोर किया. ओ सीरीज के आने वाले मॉडल इंटरनेट सर्च करने और कंप्यूटर में मौजूद फाइल्स मैनेज करने जैसे कामों को भी अंजाम दे सकेंगे. 

बात करें सुरक्षा की, तो ओ1 मॉडल को इस तरह ट्रेनिंग दी गई है कि यह अपनी तर्क करने की काबिलियत की मदद से सुरक्षा दिशानिर्देशों का पालन कर सके. एआई मॉडल की सुरक्षा से जुड़े ओपनएआई के सबसे कठिन टेस्ट में चैटजीपीटी के सबसे नवीनतम मॉडल (GPT-4o) ने जहां 100 में से 22 अंक हासिल किए, वहीं ओ1 को 84 अंक मिले. 

क्या नौकरियों और रिसर्च पर डालेगा असर?
ओपनएआई ओ1 मॉडल फिलहाल तर्क के जरिए सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट, कोडिंग, डेटा एनालिसिस जैसे कई कामों को तेजी से अंजाम दे सकता है. ऐसे में इन्फोर्मेशन टेक्नोलॉजी, फाइनैंस और इंजीनियरिंग में जैसे पेशों में कई कामों में इंसानों का दखल कम हो सकता है. साथ ही फिजिक्स, बायोलॉजी या गणित में रिसर्च करने वाले भी इसकी मदद से अपने काम की रफ्तार बढ़ा सकते हैं.

ओपनएआई की वेबसाइट कहती है, "ओ1 का इस्तेमाल हेल्थकेयर रिसर्चर सेल अनुक्रमण डेटा की व्याख्या के लिए कर सकते हैं. फिजिसिस्ट क्वांटम ऑप्टिक्स के लिए जरूरी जटिल गणितीय सूत्र बनाने के लिए इसका इस्तेमाल कर सकते हैं. और सभी क्षेत्रों में डेवलपर्स मल्टी-स्टेप वर्कफ़्लो बनाने के लिए भी इससे काम ले सकते हैं." 

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