पंजाबी विश्वविद्यालय, पटियाला ने चेहरे की तस्वीरों से असली भावों की पहचान करने के लिए एक प्रभावी तकनीक विकसित की है. यह कंप्यूटर विज्ञान विभाग की प्रोफेसर रेखा भाटिया की देखरेख में शोधकर्ता नवीन कुमारी के हालिया अध्ययन से संभव हुआ है.
प्रोफेसर भाटिया ने कहा कि चेहरे की भावनाओं के माध्यम से संचार करने को एक प्रकार का नॉन-वर्बल कम्युनिकेशन बताया. यह किसी व्यक्ति के आंतरिक विचारों, मानव व्यवहार और मानसिक स्थिति को दर्शाता है. किसी भी इंसान की भावनाओं को परखने में चेहरे की अभिव्यक्ति एक बड़ी भूमिका निभाती है. उन्होंने कहा कि यह तकनीक हेल्थकेयर, टीचिंग, आपराधिक जांच, मानव रोबोट इंटरफेस आदि कई क्षेत्रों से संबंधित अनुप्रयोगों में बहुत उपयोगी है.
क्या है उद्देश्य?
उन्होंने कहा कि इस मामले में पहले से उपलब्ध हर एप्लिकेशन की अपनी चुनौतियां हैं. इस शोध के माध्यम से लाई गई तकनीक का मुख्य लक्ष्य मानवीय भावनाओं जैसे खुशी, दुख, आश्चर्य, भय, क्रोध, घृणा आदि की पहचान करने के संदर्भ में इन चुनौतियों पर काबू पाना है. उन्होंने कहा कि इस तकनीक का उद्देश्य कम-रिज़ॉल्यूशन, यानी खराब गुणवत्ता वाली चेहरे की तस्वीरों के मामले में उपयोगी होकर अभिव्यक्ति पहचान की सटीकता को बढ़ाना है.
कई जगह बढ़ जाएंगी संभावनाएं
शोधकर्ता नवीन कुमारी ने कहा कि प्रस्तावित तकनीक में कई यूनीक एपलिकेशन हैं जो दुनिया को एक बेहतर जगह बनाने में योगदान दे सकते हैं. इस तकनीक में बिक्री और निगरानी, उत्पाद डिजाइनिंग आदि की काफी संभावनाएं हैं. यह अध्ययन स्वास्थ्य सेवा और ऑनलाइन शिक्षा जैसे क्षेत्रों में बड़ा सकारात्मक प्रभाव डाल सकती है. उन्होंने कहा, "इसके अलावा यह तकनीक कई अन्य कार्यों में भी उपयोगी हो सकती है जो एआई की मदद से मानव व्यवहार का अध्ययन करके समाज की बेहतरी में योगदान करते हैं."