भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने डिजिटल भुगतान को सत्यापित करने के लिए एक नए तरीके की घोषणा की है. रिजर्व बैंक के गवर्नर ने बताया कि अभी तक SMS आधारित का उपयोग ट्रांजेक्शन को वेरिफाई करने के लिए किया जाता है. लेकिन अभी प्रिंसिपल बेस्ड ऑथेंटिकेशन के फ्रेमवर्क पर काम चल रहा है. केवल एसएमएस-आधारित ओटीपी (OTP) का उपयोग करने के बजाय, वे एक सिद्धांत-आधारित प्रमाणीकरण ढांचा पेश कर रहे हैं. यह बदलाव बदलते डिजिटल भुगतान परिदृश्य और बेहतर सुरक्षा की आवश्यकता के कारण है. इससे ग्राहकों को ट्रांजेक्शन करते समय अतिरिक्त सुरक्षा मिल सकेगी.
आरबीआई गवर्नर ने अपने मौद्रिक नीति (monetary policy) संबोधन में कहा, “पिछले कुछ वर्षों में, रिजर्व बैंक ने डिजिटल भुगतान को सुरक्षित करने के लिए अतिरिक्त प्रमाणीकरण कारक (AFA) जैसे विभिन्न तंत्रों की शुरूआत में सक्रिय रूप से मदद की है. अभी तक रिजर्व बैंक द्वारा कोई विशेष तंत्र निश्चित नहीं किया गया था, एसएमएस-आधारित ओटीपी बहुत लोकप्रिय हो गया है. इसके जरिए डिजिटल पेमेंट वेरिफिकेशन आसान हुआ है. लेकिन सुरक्षा को और मजबूत करने के लिए प्रिंसिपल बेस्ड ऑथेंटिकेशन फ्रेमवर्क को ट्राई किया जा रहा है. केंद्रीय रिजर्व बैंक इस नए वेरिफिकेशन सिस्टम के बारे में अच्छे से बताने के लिए अलग से निर्देश जारी करने की योजना बना रहा है. लेकिन ये कैसा होगा इसके बारे में अभी पर्याप्त जानकारी नहीं है.
अभी क्या है सिस्टम?
वर्तमान में, जब आप ऑनलाइन लेनदेन शुरू करते हैं तो आपको अपने रजिस्टर्ड नंबर पर आपको एक ओटीपी प्राप्त होता है, जिसे आपको लेनदेन को प्रमाणित करने के लिए एक निश्चित समय के भीतर दर्ज करना होता है. इसको दर्ज करते ही आपका ट्रांजेक्शन पूरा होता है. अधिकांश बैंक और ऋणदाता डिजिटल भुगतान के लिए इस एसएमएस-आधारित ओटीपी प्रमाणीकरण सिस्टम पर भरोसा करते हैं. हालांकि, केंद्रीय बैंक डिजिटल लेनदेन को प्रमाणित करने के लिए एक नई रूपरेखा का प्रस्ताव कर रहा है.
अभी तक ओटीपी बेस्ड ट्रांजेक्शन पर ज्यादा फोकस था. हालांकि, इस नए ढांचे के साथ, आरबीआई कड़े सुरक्षा मानकों को बनाए रखते हुए नए समाधान तलाशने के लिए व्यवसायों को सशक्त बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है.