Right to Repair: इस कानून की मदद से नया फोन या लैपटॉप खरीदने को मजबूर नहीं कर सकतीं कंपनियां... पुराने को ही करना होगा रिपेयर, सरकार कर रही है विचार 

Right to Repair: केंद्र सरकार ऐसा कानून लाने पर विचार कर रही है जिसकी मदद से मोबाइल फोन, टैबलेट, इलेक्ट्रॉनिक का सामान रिपेयर किया जा सकेगा. कंपनी या दुकानदार उपभोक्ता को नया फोन या नया उपकरण लेने के लिए मजबूर नहीं कर सकेगी. इसे राइट टू रिपेयर कानून नाम दिया जा रहा है.

Right to Repair
अपूर्वा सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 16 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 10:52 AM IST
  • कानून पहुंचाएगा लोगों को फायदा
  • पूरा मॉडल बनाने के लिए एक समिति का भी गठन कर दिया है

फोन में हल्की सी भी दिक्कत होने पर हमें अक्सर दुकानदार द्वारा नया फोन खरीद लेने की सलाह दी जाती थी. लेकिन अब सरकार मोबाइल फोन, टैबलेट या लैपटॉप रिपेयरिंग के लिए एक कानून लाने का सोच रही है. देश में “राइट टू रिपेयर” लाने के लिए तेजी से काम चल रह है. उपभोक्ता मामलों के विभाग ने राइट टू रिपेयर का एक पूरा मॉडल बनाने के लिए एक समिति का भी गठन कर दिया है. 

मंत्रालय ने एक बयान में कहा है, "बैठक के दौरान जिन प्रमुख मुद्दों पर प्रकाश डाला गया उनमें कंपनियां मैनुअल के पब्लिकेशन से परहेज करती हैं जो कस्टमर को आसानी से रिपेयरिंग करने में मदद कर सकती हैं."

चलिए जानते हैं कि आखिर ये कानून क्या है यह लोगों को कैसे फायदा पहुंचाएगा 

दरअसल,शुरुआत में इसमें मोबाइल फोन, टैबलेट, इलेक्ट्रॉनिक का सामान, ऑटोमोबाइल और कृषि उपकरण शामिल हैं. अगर आपके ये सामान ख़राब हो जाते हैं और नॉर्मल रिपेयरिंग से उसको फिर से ठीक करके यूज किया  जा सकता है. ऐसे में अगर दुकानदार या सर्विस सेंटर वाले ये कहते हैं कि यह ठीक नहीं हो सकता. इसका सामान या पुराना कल-पुर्जा आना बंद हो गया. इस तरह आपको सामान खरीदने के लिए मजबूर किया जाता है. जबकि कुछ पैसे लगाकर आपका सामान फिर चालू हो सकता था.

क्या है इस कानून का उद्देश्य? 

मंत्रालय के अनुसार, राइट टू रिपेयर पर एक ढांचा विकसित करने का उद्देश्य उपभोक्ताओं और खरीदारों को सशक्त बनाना है. इसकी मदद से देश में ई-कचरे को कम किया जा सकेगा. इसके अलावा, कानून का उद्देश्य ओरिजिनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर (OEM) और थर्ड पार्टी खरीदारों और विक्रेताओं के बीच व्यापार में सामंजस्य स्थापित करने में मदद करना है. इसकी मदद से नए रोजगार भी पैदा किये जा सकेंगे. 

कंपनी बताएगी रिपेयरिंग के उपाय 

गौरतलब है कि आए दिन कंपनियां अलग-अलग मॉडल लॉन्च करती है और जब कोई ग्राहक उसे ठीक करवाने के लिए आता है उसे कह दिया जाता है कि इसके पार्ट्स आने बंद हो गए हैं, ये ठीक नहीं हो पाएगा. ऐसे में ग्राहक के पास नया मॉडल खरीदने के अलावा कोई और ऑप्शन नहीं रहता है. लेकिन इस कानून के आ जाने के बाद कंपनी को उसकी मरम्मत के उपाय भी बताने पड़ेंगे और पार्ट भी उपलब्ध करवाने पड़ेंगे.

कौन से देश हैं जहां राइट टू रिपेयर लागू है?

आपको बता दें, अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ सहित दुनिया भर के कई देशों में  राइट टू रिपेयर को मान्यता दी गई है. हाल ही में, ब्रिटेन ने एक कानून पारित किया था जिसमें सभी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण निर्माता शामिल हैं जो उपभोक्ताओं को स्वयं या स्थानीय मरम्मत की दुकानों द्वारा मरम्मत के लिए स्पेयर पार्ट्स प्रदान करते हैं. ऑस्ट्रेलिया में रिपेयर कैफे हैं जो मूल रूप से फ्री मीटिंग स्पेस हैं जहां वॉलेंटियर रिपेयरमैन करने वाले अपनी रिपेयरिंग स्किल्स को साझा करने के लिए इकट्ठा होते हैं. 

 

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