कोविड-19 के आ जाने के बाद से टेक्नोलॉजी को अपनाने में लगातार तेजी आ रही है. ऐसे में बच्चों के स्कूल और कॉलेज भी ऑनलाइन ही चलाये जा रहे हैं. शैक्षिक संस्थान हाइब्रिड मोड में पढ़ाने पर जोर दे रहे हैं और इसीलिए नए-नए तरीकों को भी आजमाया जा रहा है. अब इसी में आगे बढ़ते हुए स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी ने एक ऐसी क्लास शुरू की है जो पूरी तरह से वर्चुअल रियलिटी (VR) में चलाई जायेगी. यह यूनिवर्सिटी के इतिहास में पहली वीआर क्लास है.
टीचर और बच्चे जुड़ रहे हैं वर्चुअल माध्यम से
दरअसल, यूनिवर्सिटी में पढ़ाने वाले कम्युनिकेशन प्रोफेसर जेरेमी बेलेंसन ने जब क्लास को फॉर्मेट किया तब उन्हें नहीं पता था कि ये टेक्नोलॉजी और सॉफ्टवेयर अभी लॉन्च करने के लिए तैयार है या नहीं. प्रोफेसर बेलेंसन पिछले 20 साल से यूनिवर्सिटी में पढ़ा रहे हैं. जब उन्होंने पहली बार इस मोड में मई में क्लास शुरू की तो ये बिना किसी परेशानी के ये शुरू हो गयी. अब इस सॉफ्टवेयर की मदद से टीचर्स और छात्र वर्चुअल मीडियम से जुड़ पा रहे हैं और पढ़ाई कर पा रहे हैं.
हर सेशन को रखा गया 30 मिनट का
वर्चुअल क्लास में पढ़ाने वाले एक टीचर सियान डेवो ने बताया कि वीआर की मदद से आज लोग जो चीज असंभव है उसकी भी कल्पना कर पा रहे हैं. वे कहते हैं, "इस असाइनमेंट की बस एक ही लिमिट है और वो है किसी छात्र की अपनी कल्पना, उसकी अपनी इमेजिनेशन. क्लास की डिजाइनिंग के बारे में बात करते हुए सियान बताते हैं कि क्लास को इस तरह से डिजाइन किया गया था कि छात्रों को ज्यादा देर तक इसके सामने बैठने की जरूरत न पड़े. सिम्युलेटर बीमारी से बचने के लिए हर एक सेशन को 30 मिनट तक सीमित किया गया था.
FB दे छात्रों के Fake account बनाने की अनुमति
प्रोफेसर बैलेंसन ने फेसबुक से छात्रों को उनकी प्राइवेसी को बचाये रखने के लिए फेक एकाउंट्स उपयोग करने की अनुमति देने के लिए कहा है. इसके बदले में उन्होंने फेसबुक की मूल कंपनी मेटा (Meta) की सहायक कंपनी ओकुलस के हेडसेट का उपयोग करने की पेशकश की है.
आपको बता दें, बैलेंसन और सियान ने अब तक दो क्लास ली हैं जिसमें 3,000 घंटे से अधिक डेटा इकठ्ठा किया गया है. उन्हें अब उम्मीद है कि डेटा से और वीआर की मदद से शिक्षा में बेहतर बदलाव हो सकेगा.
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