भारत को पहली फ्लेक्स-फ्यूल कार मिलने वाली है. इसकी घोषणा खुद केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने की है. बता दें, ऑटो दिग्गज कंपनी टोयोटा भारत की पहली फ्लेक्स-फ्यूल कार बुधवार को लॉन्च कर रही है. फ्लेक्स-फ्यूल कार की खासियत है कि ये गाड़ी दो तरह के फ्यूल पर चलेगी. जैसे एथेनॉल और पेट्रोल जैसे ही अन्य ईंधन. आमजन को ये पेट्रोल-डीजल कारों से सस्ती पड़ने वाली है क्योंकि भारत में इथेनॉल 55 रुपये प्रति लीटर पर बिक रहा है. हालांकि, फ्लेक्स-फ्यूल कार कोई नया कांसेप्ट नहीं है. अमेरिका में 2 करोड़ से ज्यादा कारें फ्लेक्स-फ्यूल आधारित हैं.
भारत टॉप ग्लोबल प्रोड्यूसर बन जाएगा
सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सियाम) के अध्यक्ष केनिची आयुकावा ने कहा कि भारत ने वाहन के सभी सेगमेंट में टॉप ग्लोबल प्रोड्यूसर बनने का लक्ष्य रखा है. ऐसे में फ्लेक्स-फ्यूल कार एक छोटी सी पहल है. अगर इसी स्पीड से भारत तरक्की करता रहा तो टॉप ग्लोबल प्रोड्यूसर बनने के लक्ष्य को आने वाले 25 वर्षों में ही हासिल कर लेगा. बताते चलें कि टोयोटा के अलावा, भारत में कई अन्य ऑटोमोबाइल कंपनियां भी फ्लेक्स-फ्यूल वाहन लॉन्च करने की योजना बना रही हैं.
क्या है ये टेक्नोलॉजी और लोग कब खरीद सकेंगे?
भारत में लोगों को इन कारों को शोरूम से खरीदने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ेगा. वहीं, अगर इस टेक्नोलॉजी की बात करें, तो जैसा कि नाम से पता चलता है, फ्लेक्सिबिलिटी यानि लचीलापन. दरअसल, फ्लेक्स-फ्यूल टेक्नोलॉजी वाली कार पेट्रोल सहित 83% इथेनॉल मिश्रण के साथ फ्यूल पर चलेंगी. ऐसी कारें मौजूदा समय में अमेरिका, ब्राजील और कनाडा जैसे देशों में चल रहीं हैं.
ये कार पेट्रोल वाली कारों से कैसे अलग है?
यूं तो इस कार के ज्यादातर हिस्से पेट्रोल वाली कार से मिलते-जुलते हैं. लेकिन फ्लेक्स फ्यूल वाली कारों में एक इंटरनल कंबशन होता है जो पेट्रोल या 83% तक इथेनॉल मिक्स्ड फ्यूल पर भी काम कर सकता है. हालांकि, इसके कुछ कंपोनेंट्स केवल इथेनॉल फ्यूल के अनुकूल ही बनाए गए हैं.
लोगों को फ्यूल पर करना होगा कम खर्च
इन कारों की बेस्ट चीज ये होगी कि फ्लेक्स-फ्यूल कार मालिक जब चाहें अपने वाहन को इथेनॉल में बदल सकते हैं. उनके पास पेट्रोल वाहनों से ज्यादा विकल्प होंगे और वे सस्ता फ्यूल चुन सकेंगे. भारत में जहां पेट्रोल 100 रुपये लीटर से भी ज्यादा महंगा है, वहीं इथेनॉल कुल 55 रुपये प्रति लीटर पर बिक रहा है. इन कारों के इस्तेमाल से अन्य देशों पर भारत की ईंधन निर्भरता भी कम होगी.