वर्दीधारी महिला ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग पर रखा चार दिनों तक Digital Arrest, अकाउंट से निकाले 30 लाख रुपए, जानें क्या है ये नया फ्रॉड

देश भर में, कई लोग इन घोटालों का शिकार हो चुके हैं. ये लोग बड़ी मात्रा में अपने पैसे खो चुके हैं. इस तरह के केस में अपराधी एक बड़े सिंडिकेट का हिस्सा होते हैं, जिससे उन्हें ट्रैक करना और पकड़ना काफी मुश्किल हो जाता है.

Digital Arrest (Representative Image)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 09 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 1:58 PM IST
  • वर्दीधारी महिला ने करके रखा डिजिटल अरेस्ट
  • कई मामले आ चुके हैं सामने 

हमें आए दिन नए-नए फ्रॉड की खबरें मिलती हैं. अब इसी में एक नया फ्रॉड सामने आया है. ये फ्रॉड डिजिटल अरेस्ट (Digital Arrest) है. यूपी के गोरखपुर के रामगढ़ ताल क्षेत्र के एक अधिकारी भी इसका हाल ही में शिकार हुए हैं. रिटायर्ड शिक्षा अधिकारी विजयेंद्र कुमार पांडे को इस फ्रॉड में 30 लाख का नुकसान भी हो गया.  

विजयेंद्र कुमार पांडे के खाते से साइबर जालसाजों ने 30 लाख रुपये हड़प लिए हैं. इन जालसाजों के गिरोह में वर्दीधारी एक महिला ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान विजयेंद्र को डिजिटल अरेस्ट करके रखा. 

वर्दीधारी महिला ने करके रखा डिजिटल अरेस्ट
1 जुलाई को सुबह 9:37 बजे विजयेंद्र को एक कॉल आई. फोन करने वाले ने अपने आप को एसबीआई कस्टमर सर्विस डिपार्टमेंट का बताया. साथ ही कहा कि उनका क्रेडिट कार्ड पर 1,96,000 रुपये बकाया हैं. कॉल पर विजयेंद्र को कहा गया कि वे उन्हें क्राइम ब्रांच की अधिकारी सोनल राठौर का नंबर भेज रहे हैं और उनसे बात करके मामला निपटा लें.  

इसका जवाब देते हुए बुजुर्ग विजयेंद्र ने कहा कि वे न तो मुंबई में रहते हैं और न ही उनके पास कोई क्रेडिट कार्ड है. विजयेंद्र को कहा गया कि वे बात कर लें वरना क्राइम ब्रांच की टीम उनके घर जाएगी. साइबर जालसाज महिला ने उनसे कहा कि उनके क्रेडिट कार्ड का प्रयोग मनी लॉन्ड्रिंग में किया गया है. जालसाजों ने धीरे-धीरे विजयेंद्र का माइंड वाश किया और डरा-धमकाकर बुजुर्ग के खाते से 30 लाख रुपए ट्रांसफर कर लिए. 

डिजिटल अरेस्ट के कई मामले आ चुके हैं सामने 
डिजिटल अरेस्ट के बारे में कम ही लोग जानते हैं. राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (NCRP) में इस तरह के कई घोटाले रिपोर्ट किए गए हैं. इसमें साइबर अपराधी पुलिस अधिकारियों, केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI), नारकोटिक्स विभाग, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI), एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट से होने का दावा करते हैं. 

कैसे होता है ये घोटाला?
ये साइबर अपराधी अपने पीड़ितों को बरगलाने के लिए कई तरह के हथकंडे अपनाते हैं. जैसे-

1. फर्जी कॉल: जालसाज लॉ एनफोर्समेंट एजेंसी से होने का बहाना करके अपने पीड़ितों को कॉल करते हैं. वे दावा करते हैं कि पीड़ित ने पार्सल भेजा या प्राप्त किया है जिसमें ड्रग्स, नकली पासपोर्ट, या दूसरी अवैध चीजें हैं. या फिर वे कहते हैं कि पीड़ित के परिवार का कोई करीबी सदस्य किसी अपराध में शामिल है या किसी दुर्घटना का शिकार हुआ है और अब उनकी हिरासत में है.

2. पैसे की मांग: एक बार पीड़ित का ध्यान आकर्षित होने पर, घोटालेबाज मामले को निपटाने या कानूनी परेशानी से बचने के लिए पैसे की मांग करते हैं. अगर पीड़ित उनकी बात नहीं मानता है तो वे गिरफ्तारी या दूसरे  गंभीर परिणामों की धमकी देते हैं.

3. डिजिटल गिरफ्तारी: कुछ मामलों में, जालसाज "डिजिटल अरेस्ट” करने की बात कहते हैं. इसमें पीड़ित को स्काइप या किसी दूसरे प्लेटफॉर्म के माध्यम से वीडियो कॉल पर रख जाता है, जिससे पीड़ित को ऐसा लगता है कि मांगें पूरी होने तक वे हिरासत में हैं.

4. नकली स्टूडियो और वर्दी का उपयोग: अपने घोटाले को और ज्यादा असली दिखाने के लिए, अपराधी अक्सर नकली स्टूडियो बनाते हैं जो पुलिस स्टेशनों या सरकारी ऑफिस से मिलते जुलते होते हैं. वे अपनी विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए पुलिस या आधिकारिक वर्दी भी पहन सकते हैं.

पीड़ितों पर पड़ता है प्रभाव
देश भर में, कई लोग इन घोटालों का शिकार हुए हैं और बड़ी मात्रा में अपने पैसे खो चुके हैं. इस तरह के केस में अपराधी एक बड़े सिंडिकेट का हिस्सा होते हैं, जिससे उन्हें ट्रैक करना और पकड़ना मुश्किल हो जाता है.

साइबर अपराध से लड़ने के लिए अलग-अलग उपाय किए जा रहे हैं. माइक्रोसॉफ्ट के सहयोग से, साइबर क्राइम कोर्डिनेशन सेंटर स्कैमर्स द्वारा उपयोग की जाने वाली 1,000 से अधिक स्काइप आईडी को ब्लॉक कर चुके हैं. साथ ही जिनका इस्तेमाल धोखाधड़ी में हुआ है, उन  सिम कार्ड, मोबाइल डिवाइस और बैंक खातों (जिन्हें "म्यूल अकाउंट" के रूप में जाना जाता है) को ब्लॉक किया जा चुका है. 

अपनी सुरक्षा कैसे करें?
हर किसी के लिए जरूरी है कि वे इस तरह के घोटालों से अवगत रहें. आप इनसे बचने के लिए अलग-अलग उपाय कर सकते हैं-

1. कॉल करने वाले को वेरीफाई करें: अगर आपके पास किसी ऐसे व्यक्ति की कॉल आती है तो फोन काट दें और आधिकारिक चैनलों के माध्यम से उनकी पहचान वेरीफाई करें. वेरीफाइड फोन नंबर या ईमेल का उपयोग करके सीधे एजेंसी से संपर्क करें. 

2. पैसे के लिए अनुरोधों पर संदेह करें: घोटालेबाज अक्सर आपको जल्दी निर्णय लेने के लिए मजबूर करते हैं. अगर कोई आपके साथ ऐसा ही कर रहा है तो इससे सावधान रहें, खासकर अगर यह धमकी या धमकी के साथ हो.

3. व्यक्तिगत जानकारी साझा करने से बचें: कभी भी किसी ऐसे व्यक्ति के साथ फोन पर या वीडियो कॉल पर व्यक्तिगत या वित्तीय जानकारी साझा न करें जिन्हें आप जानते नहीं हैं. 

4. संदिग्ध गतिविधि की रिपोर्ट करें: अगर आपको संदेह है कि आपको किसी घोटाले का निशाना बनाया गया है, तो तुरंत इसकी रिपोर्ट करें. आप सहायता के लिए साइबर क्राइम हेल्पलाइन 1930 पर संपर्क कर सकते हैं या वेबसाइट cybercrime.gov.in पर जा सकते हैं. 

(इनपुट-गजेंद्र त्रिपाठी)
 

 

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