Direct-to-Mobile: क्या है D2M जिसकी मदद से बिना सिम कार्ड और इंटरनेट के मोबाइल पर वीडियो देख सकेंगे यूजर्स, जल्द होगा ट्रायल

अभी तक आपको मोबाइल पर अगर कोई वीडियो देखनी होती है तो आप इंटरनेट की मदद लेते हैं और इसके लिए आपके फोन में सिम भी होना जरूरी है. लेकिन अब आप बिना इंटरनेट के भी वीडियो देख पाएंगे. यह सबकुछ संभव हो पाएगा ‘डायरेक्ट-टू-मोबाइल’ (सीधे मोबाइल तक) प्रसारण की मदद से.

D2M Technology
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 17 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 12:43 PM IST

क्या आपने कभी सोचा है कि अगर आपके फोन में सिम न हो तो वो उसमें इंटरनेट या अन्य चीजें कैसे काम करेंगी? लेकिन जल्द ही ये वास्तविकता हो सकता है जब बिना सिम कार्ड या इंटरनेट कनेक्शन के आप वीडियो स्ट्रीम कर सकेंगे. यह सब Direct to mobile की मदद से संभव हो पाएगा. सूचना एवं प्रसारण सचिव अपूर्व चंद्रा ने एक प्रसारण सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि घरेलू डायरेक्ट-टू-मोबाइल (D2M) टेक्नोलॉजी का जल्द ही ट्रायल होगा, जिसकी शुरुआथ 19 शहरों से होगी. इस उभरती टेक्नोलॉजी के लिए 470-582 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल किया जाएगा.

अभी चल रहा है ट्रायल
चंद्रा ने कहा कि वीडियो ट्रैफिक का 25-30 प्रतिशत डी2एम पर शिफ्ट होने से 5जी नेटवर्क की रुकावट दूर हो जाएगी, जिससे देश के डिजिटल विकास में तेजी आएगी और कंटेंट डिस्ट्रीब्यूशन का लोकतंत्रीकरण होगा. इससे करोड़ों लोगों को फायदा होगा. पिछले साल डी2एम तकनीक का परीक्षण करने के लिए परीक्षण (पायलट) परियोजना बेंगलूरु, कर्तव्य पथ और नोएडा में चलाई गई थी. चंद्रा ने बताया है कि  D2M टेक्नोलॉजी उन घरों तक भी पहुंचेगी, जहां अभी तक टीवी भी नहीं पहुंची है. यह संख्या करीब 8-9 करोड़ की है. भारत में करीब 280 मिलियन घर हैं जिनमें से सिर्फ 190 मिलियन लोगों के घरों में ही टीवी है.

80 करोड़ स्मार्टफोन हैं
चंद्रा ने कहा कि देश में 80 करोड़ स्मार्टफोन हैं और उपयोगकर्ताओं द्वारा एक्सेस की जाने वाली 69 प्रतिशत सामग्री वीडियो फॉर्मेट में है. चंद्रा ने बताया कि ज्यादा वीडियो लोड होने की वजह से नेटवर्क स्लो हो जाता है और डिवाइस बफरिंग करने लग जाता है. आधा ट्रैफिक D2M पर शिफ्ट हो जाने से ये सुचारू रूप से चल पाएगा. अब ये फ्री होगा या इसके लिए चार्ज लिया जाएगा इसके बारे में अभी पर्याप्त जानकारी नहीं है. सरकार टीवी कंटेंट को ज्यादा लोगों तक भेजने के लिए फोन को सबसे बड़ा प्लेटफॉर्म मान रही है. सरकार इससे शिक्षा और इमरजेंसी सेवाओं का प्रसारण करना चाहती है. हालांकि इससे एक सवाल ये भी उठ रहा है कि मोबाइल ऑपरेटर इसका विरोध कर सकते हैं, क्योंकि D2M से उनका डेटा रेवेन्यू प्रभावित होना तय है. उनका 80 प्रतिशत ट्रैफिक वीडियो से आता है.

कैसे काम करेगी?
यह ब्रॉडबैंड और ब्रॉडकास्ट का मिक्सचर होगा. मोबाइल पर जिस टेक्नोलॉजी से एफएम रेडियो प्रसारित होता है, डी2एम वैसा ही है. फोन में लगा रिसीवर रेडियो फ्रीक्वेंसी पकड़ेगा. इसके लिए 526-582 मेगाहर्ट्स बैंड का प्रयोग करने की तैयारी है. इस बैंड का उपयोग अभी टीवी ट्रांसमीटर के लिए होता है. इस तकनीक की मदद से जिस तरह आप बिना इंटरनेट के घर पर टीवी चैनलों का आनंद लेते हैं, ठीक वैसे ही मोबाइल फोन पर ले सकेंगे. बहुत ही कम दाम पर OTT कंटेंट भी देख सकेंगे, वो भी बिना किसी डेटा पैक के. ये टेक्नोलॉजी डी2एच की तरह है.

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