उत्तर प्रदेश सरकार के सीनियर आईएएस अनुराग श्रीवास्तव के क्रेडिट कार्ड की क्लोनिंग कर ₹50,000 निकालने के मामले में पुलिस ने तीन ठगों को गिरफ्तार किया है. इन तीनों के पास से तीन मोबाइल फोन और एक लैपटॉप बरामद किया गया है. अनुराग श्रीवास्तव ने साइबर क्राइम ब्रांच को बताया था कि उनके क्रेडिट कार्ड से पैसे निकाल लिए गए हैं. बाद में उन्होंने क्रेडिट कार्ड को ब्लॉक करवाकर शिकायत दर्ज कराई थी. ठगों ने नमामि गंगे वेबसाइट से अनुराग श्रीवास्तव की मेल आईडी हासिल की. इसके बाद उनकी निजी सूचनाएं और डाटा हैक कर लिया. हालांकि पुलिस ने तीनों ठगों को समय रहते गिरफ्तार कर लिया.
देशभर में साइबर क्राइम के मामले दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं. कार्ड क्लोनिंग की वजह से लोगों को अपनी मेहनत की कमाई गवानी पड़ती है. चाहे बच्चों की स्कूल फीस भरनी हो या रिचार्ज करना हो, ज्यादातर चीज हम ऑनलाइन ही कर रहे हैं. जितनी तेजी से ऑनलाइन का चलन बढ़ रहा है, उस हिसाब से ऑनलाइन स्कैम या फ्रॉड भी खूब हो रहे हैं. ऐसे में कोई भी काम ऑनलाइन करते वक्त हमें बहुत सावधानी बरतने की जरूरत होती है.
क्या होती है कार्ड क्लोनिंग?
जालसाज एटीएम मशीन में छुपाकर कैमरे की तरह एक डिवाइस लगा देते हैं. जिससे आपके कार्ड की जानकारी और पासवर्ड आदि की जानकारी उन्हें मिल जाती है. इसके बाद ठग आपके कार्ड की सारी डिटेल कंप्यूटर या अन्य तरीकों के जरिए खाली कार्ड में डालकर कार्ड क्लोन तैयार कर लेते हैं। इसका इस्तेमाल कर ठग दूसरी जगह से पैसे निकाल लेते हैं. फ्रॉड के लिए इस्तेमाल की जाने वाली मशीनों में ऐसे सॉफ्टवेयर होते हैं, जिसमें 3 हजार कार्ड तक की जानकारी रखी जा सकती है.
कार्ड क्लोनिंग से कैसे बचें?
एटीएम में पैसे निकालने से पहले मशीन के कार्ड डालने वाली स्लॉट को देखें, यदि आपको यह स्लॉट थोड़ा ढीला लगता है तो इसमें अपना कार्ड बिल्कुल ना डालें.
शॉपिंग मॉल में भी ओटीपी के जरिए ही लेनदेन पूरा करें.
EMV चिप-बेस्ड कार्ड का उपयोग ही करें, ईएमवी कार्ड में माइक्रोचिप्स होती है जब कोईजासाज इस कार्ड को स्कैन करने की कोशिश करता है तो सिर्फ एन्क्रिप्टेड जानकारी ही मिलती है.
एटीएम से पैसे निकालें तो पासवर्ड लिखते वक्त एटीएम खाली होने पर हाथ से छुपा लें. ताकि आपका पासवर्ड न दिख सके.
अगर आपके साथ ठगी होती है तो बैंक को इसकी शिकायत करें. इसके अलावा अपना कार्ड ब्लॉक करा दें ताकि कार्ड के जरिए और ठगी न हो सके.
फिशिंग यूआरएल भी फ्रॉड का चर्चित तरीका
फिशिंग यूआरएल (URL Phishing) एक तरह का फ्रॉड लिंक होता है, जिसकी मदद से आपकी निजी जानकारी मांगी जाती है. फिशिंग यूआरएल पर क्लिक करते ही आप फेक वेब पर पहुंच जाते हैं. अगर आप इसमें अपनी जानकारी भर देते हैं तो यह हैकर के सर्वर में सेव हो जाती है. वह जब चाहे आपकी का इस्तेमाल फ्रॉड करने के लिए कर सकता है.