क्या है रो बनाम वेड मामला... नाराज अमेरिकी महिलाएं क्यों डिलीट कर रहीं पीरियड ट्रेकिंग ऐप, जानिए

1973 में अबॉर्शन को लीगल करने के बाद अमेरिका ने क्यों वापस लिया रो एंड वेड कानून. इसके बाद से कई महिलाओं ने अपने फोन से पीरियड ट्रेकिंग ऐप को डिलीट करना शुरू कर दिया.

Roe Vs Wade
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 27 जून 2022,
  • अपडेटेड 10:08 PM IST
  • पर्सनल डेटा हो सकता है शेयर
  • ऐप डिलीट कर रही महिलाएं

पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट द्वारा रो बनाम वेड को वापस लेने के बाद अमेरिका की कई महिलाओं ने अपने मोबाइल से पीरियड ट्रैकिंग ऐप को डिलीट करना शुरू कर दिया. दरअसल महिलाएं इस बात को लेकर चिंतित हैं कि पीरियड ट्रैकिंग ऐप्स के डेटा को कानून प्रवर्तन द्वारा एक्सेस किया जा सकता है और बाद में जो लोग एबार्शन करा रहे हैं उनकी जांच करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जा सकता है. यह डर की वजह से अमेरिका की कई महिलाएं अपने फोन से पीरियड ट्रैकिंग एप्लिकेशन को हटाने के लिए मजबूर हैं.

पर्सनल डेटा हो सकता है शेयर
रो बनाम वेड के फैसले की घोषणा के तुरंत बाद कई विश्लेषकों और विशेषज्ञों ने चेतावनी दी कि पीरियड ट्रैकिंग ऐप्स के जरिए डेटा एकत्र करके इसे अन्य संस्थाओं के साथ शेयर किया जा सकता है और एबार्शन कराने वाली महिलाओं की जानकारी निकालने में इसका इस्तेमाल किया जा सकता है. रो बनाम वेड के फैसले की घोषणा के बाद से कई महिलाओं ने ट्विटर पर यह बात कही थी कि वो प्रोटो जैसे पीरियड ट्रैकिंग ऐप को हटा देंगी महिलाएं न सिर्फ इन ऐप्स को डिलीट कर रही हैं बल्कि वो इस ऐप से अपने पर्सनल डेटा को भी प्लेटफॉर्म से पूरी तरह से हटा रही हैं.

Flo नाम के पॉपुलर पीरियड ट्रैकिंग ऐप में से एक ने घोषणा की है कि वह 'anonymous mode'पर काम कर रहा है, जिससे कोई भी ऐप के जरिए उनकी पर्सनल डिटेल निकाल नहीं पाएगा और वो आराम से इसका इस्तेमाल कर पाएंगी. गूगल, टेस्ला, माइक्रोसॉफ्ट, मेटा और अमेजॉन जैसी टेक कंपनियां भी रो बनाम वेड के फैसले के खिलाफ कार्रवाई कर रही हैं. एक नई ईमेल में Google ने देखा कि जिन कर्मचारियों को गर्भपात कराना पड़ता है, वे उन राज्यों में स्थानांतरित हो सकते हैं जो बिना किसी "औचित्य" के प्रक्रिया की अनुमति देते हैं.

क्या है रो बनाम वेड?
22 साल की उम्र में सुरक्षित गर्भपात का मामला सुप्रीम कोर्ट में ले जाने वालीं नोर्मा मैककोर्वे को ही ‘रो’ के नाम से जाना जाता है. नोर्मा ने 1969 में अबॉर्शन के लिए लीगल लड़ाई लड़ी थी. उन्होंने उस कानून को चुनौती दी, जिसके हिसाब से अबॉर्शन को अवैध माना जाता था. रो ने अबॉर्शन को लीगल कराने के लिए याचिका दायर की थी, जिसका सरकारी वकील हेनरी वेड ने विरोध किया था. इसी के बाद से इस मामले को दुनिया भर में रो बना वेड से जाना जाने लगा.

 

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