काम करने का तरीका हो या मिलने मिलाने का, Metaverse से क्या बदल जाएगी आपकी दुनिया. क्या बदल जाएगा रिश्तों में प्यार जताने और अहसास का तरीका. क्या मेटावर्स में बदल जाएगा जीने का तरीका. तो चलिए आज आपको बताते हैं कि क्या मेटावर्स बदल देगा इंटरनेट की दुनिया?
कोरोना महामारी ने दुनिया बदल दी है. महामारी ने लोगों को दूर कर दिया है, तो इंटरनेट की दुनिया लोगों को करीब लेकर आई. ऑफिस से लेकर मीटिंग, और जश्न मनाने से लेकर शादी तक सब कुछ ऑनलाइन हो रहा है. इसके बाद सवाल उठता है कि ऑनलाइन की इस दुनिया में और क्या-क्या हो सकता है. क्या हम घर बैठे किसी और जगह भी मौजूद रह सकते हैं. क्या दूर बैठे अपनों से मिल सकते हैं या फिर जो इस दुनिया में नहीं हैं उनसे दोबारा मिल सकते हैं. ये सब मुमकिन बनाने की कोशिश हो रही है मेटावर्स की दुनिया में. मेटावर्स के जरिए दुनिया को बदलने की तैयारी हो रही है.
क्या है मेटावर्स?
मेटावर्स को इंटरनेट का भविष्य माना जा रहा है. मेटावर्स के बारे में अभी कोई पुख्ता जानकारी तो नहीं है, लेकिन ये जरूर है ये अपने आप में एक ऑनलाइन दुनिया है. जहां लोग वर्चुअल वर्ल्ड में खेल सकते हैं, काम कर सकते हैं, बातचीत कर सकते हैं. बस इसके लिए आपको चाहिए होगा एक वर्चुअल हेडसेट. मेटावर्स को लोगों तक पहुंचाने के लिए कई बड़ी टेक कंपनियां तैयारी कर रही हैं. फेसबुक की मालिक कंपनी ने हाल ही में अपना नाम बदल कर मेटा कर लिया है. इसके पीछे की वजह ये बताई जा रही है की वो खुद की कंपनी को एक सोशल मीडिया कंपनी से बदलकर मेटावर्स की कंपनी बनाने की तैयारी में हैं. इसके लिए वो यूरोप में 10 हजार लोगों को काम पर रख रहे हैं. यहां तक की माइक्रोसॉफ्ट समेत कुछ गेमिंग कंपनियां भी इसमें बड़ा निवेश कर रही हैं.
धीरे-धीरे दुनियाभर की सरकार कर रही हैं निवेश
वैसे तो मेटावर्स कई चीजों पर काम कर रहा है, लेकिन इसके पूरी तरह इस्तेमाल में आने में अभी वक्त लगेगा. यहां तक की मेटा कंपनी का कहना है कि इसके पूरी तरह इस्तेमाल में आने में लगभग एक दशक का समय लगेगा. हालांकि कई जगहों पर इसको लेकर प्रयोग किए जा रहे हैं. दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल में कई कंपनियां इस नई डिजीटल दुनिया में नई तैयारियां कर रही हैं. जरा सोचिए की आप वर्चुअल दुनिया मेटावर्स में अपने शहर में है, और वहां पर शॉपिंग कर रहे हैं, दोस्तों से मिल रहे है. ये दिन अब दूर नहीं है. महामारी ने सियोल की सरकार को इस तकनीक को साकार करने के लिए 35 मिलियन डॉलर का निवेश करने के लिए प्रेरित किया है.
दक्षिण कोरिया ने तैयार किया पहला डिजिटल ह्यूमन
दक्षिण कोरिया में डिजीटल ह्यूमन गेम्स खेल रहे है, मनोरंजन कर रहे हैं, घर खरीद रहे हैं, और यहां तक की कुछ तो बड़े स्टार बन गए हैं. दरअसल ये स्टूडियो तब चर्चा में आया जब उन्होंने बेटी की मौत पर शोक व्यक्त करने में एक मां की मदद करने के लिए एक मृत बेटी का वर्चुअल संस्करण बनाया था. उन्होंने हाल ही में अपनी पहला डिजिटल ह्यूमन लॉन्च किया है. बीबीसी के हवाले से डिजिटल ह्यूमन बनाने वाले वाइव स्टूडियोस के सीईओ स्टानली किम ने बताया कि, "अगले तीन से पांच सालों में वर्चुअल इंफ्लूएंसर 3डी से बनाए जाएंगे, और वो AI पर आधारित होंगे. जैसे टेक्नोलॉजी आगे बढ़ेगी, वो सभी जिनका निधन हो गया है, जैसे किसी के माता-पिता या परिवार के अन्य सदस्य उन्हें इस तकनीक के माध्यम में रिस्टोर किया जा सकता है.
क्या हैं इसके फायदे?
इसके कई फायदे हैं. दक्षिण कोरिया के Zepeto ऐप को तीन साल पहले ही लॉन्च किया गया था. अब इसके सवा अरब यूजर्स हैं. फैशन के क्षेत्र में ये काफी कामयाब रहा है. कुछ लोग वर्चुअल दुनिया में डिजाइनर बनकर अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं. दक्षिण कोरिया की एक डिजाइनर का कहना है कि ये तो अभी एक शुरुआत है. धीरे-धीरे लोग इसके बारे में जानने लगेंगे. मेरी तरह कई लोग अब इस दुनिया में कदम रखेंगे." उन्होंने आगे कहा कि, "जैसा कि टेक्नोलॉजी की हर वेव के साथ होता है, नियंत्रण और नियम का पालन करना अनिवार्य है. जैसे टेक्नोलॉजी आगे बढ़ती है गोपनीयता एक बड़ा विषय बन जाता है." दक्षिण कोरिया में राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार भी जेपेटो पर अपना प्रचार करते हैं.
हालांकि मेटावर्स अभी तक लॉन्च नहीं हुआ है, लेकिन इसकी चर्चा दुनिया भर में है.