प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती है. ये बात 21 साल के युवक अमन कालरा ने साबित कर दिखाई है. मध्य प्रदेश के खरगोन में 8वीं तक पढ़े 20 साल के युवक अमन ने जुगाड़ से चश्मा बनाया है. इसकी मदद से दृष्टिहीन दिव्यांग चश्मे के सेंसर से खतरे को पहले ही भांप लेंगे. अमन इससे पहले भी रोबोट तैयार कर चुके हैं. अमन से दृष्टिहीन दिव्यांगों की तकलीफ नहीं देखी गई और उसने सस्ते में चश्मा बना दिया.
नहीं देखी गई दूसरों की परेशानी
जिला मुख्यालय से करीब 80 किलोमीटर दूर बड़वाह विधानसभा के छोटे से बांसवा गांव में रहने वाले अमन ने दृष्टिहीन दिव्यांगों को पैदल चलने के दौरान होने वाली परेशानियां नागवार गुजरी. युवक के मन में आया क्यों ना ऐसा चश्मा तैयार किया जाए जिसके सहारे दृष्टिहीन दिव्यांग सामने आने वाले खतरे को पहले ही भांप लें और सचेत हो जाएं. उन्हें किसी के सहारे की जरूरत ना पड़े और वह अपनी रोजमर्रा की जरूरतों को आसानी से पूरा कर सकें. ये सोच कर अमन ने जुगाड़ से एक ऐसा स्मार्ट चश्मा बनाया, इसकी सहायता से खतरा महसूस होने पर दृष्टिहीन को पहले ही संभालने का मौका मिल जाएगा.
बड़ा खास है ये चश्मा
इस चश्मे की खास बात ये है कि इसे लगाकर दृष्टिहीन व्यक्ति कहीं भी आ-जा सकते हैं. इसमें सेंसर लगा हुआ है. इसकी सहायता से सामने किसी भी प्रकार का कोई व्यवधान आता है तो उसमें लगे सेंसर से आवाज निकलने लगती है, जिससे दिव्यांग व्यक्ति अपना रास्ता बदल लेता है.
अगर कोई गड्ढा या कोई वाहन सामने आता है तो सेंसर से बीप की आवाज आने लगेगी जिससे दिव्यांगजन आसानी से सचेत होकर अपना रास्ता बदल सकते हैं. ये स्मार्ट चश्मा 13 फीट तक की दूरी कवर करता है. इससे आदमी को संभलने का मौका मिल सकता है. इसमें लगी बैटरी 10 से 15 घंटे तक चल सकती है.
रोबोट भी बना चुका है अमन
एक छोटे से किराए के मकान में अपने मम्मी-पापा और बहन के साथ रहने वाले अमन काफी प्रतिभाशाली हैं. अमन इससे पहल भी रोबोट बनाकर खरगोन कलेक्टर शिवराज सिंह वर्मा से पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं. अब इसबार अमन ने दिव्यांगों के लिए स्मार्ट चश्मा बनाया है.
अमन की मानें तो दिव्यांगों के लिए तैयार किए गए स्मार्ट चश्मे में ज्यादा चीजों की आवश्यकता नहीं पड़ी है. यह काफी सस्ता भी है. चश्मे को आर्डयूनो, अल्ट्रासोनिक सेंसर, बझर एवं बैटरी की सहायता से तैयार किया गया है.
आर्थिक तंगी में भी जज्बा कायम
8वीं तक पढ़े अमन कालरा ने आर्थिक तंगी के कारण पढ़ाई छोड़ दी थी. अब पिता के साथ अमन हाथ बटा रहे हैं. हालांकि, समय मिलने पर अमन कुछ नया करने की कोशिश करते रहते हैं. पिता करही में एक ढ़ाबे पर कुक का काम करते हैं.
(उमेश रेवालिया की रिपोर्ट)