नदियां हमारे लिए जीवनदायिनी हैं. लाखों लोग नदियों पर निर्भर रहते हैं. जहां नदी होती है, वहां लोगों की जिंदगी आसान होती है. शायद यही वजह है कि पुराने समय में लोग नदी किनारे बसते हैं. समय के साथ नदियों का स्वरूप जरूर बदला है लेकिन नदी का आज भी उतना महत्व है.
जब भी नदियों के संगम (River Confluences of India) की बात आती है जेहन में सबसे पहला नाम इलाहाबाद का आता है. इलाहाबाद को अब प्रयागराज (Prayagraj Sangam) के नाम से जाना जाता है. भारत में नदियों को बेहद पवित्र माना जाता है. नदियों के किनारे आरती होती है. प्रयागराज के अलावा कई अनोखी जगहें हैं जहां संगम होता है.
आइए भारत की ऐसी ही कुछ जगहों के बारे में जानते हैं जहां दो नदियों को संगम होता है.
1. लद्दाख में संगम
प्रयागराज से लगभग हजारों किमी. दूर लद्दाख में भी दो नदियों (Ladakh Sangam) का संगम होता है. लद्दाख में सिंधु और जांस्कर नदी का संगम (Sindhu Janskar Ladakh) होता है. इस जगह पर दो नदियों का संगम साफ-साफ दिखाई देता है. जांस्कर नदी सफेद रंग में बहती हुई दिखाई देगी. वहीं सिंधु नदी मटमैले रंग की दिखाई देगी.
कैसे पहुंचें?
लद्दाख की इस जगह को संगम प्वाइंट (Sangam Point Ladakh) के नाम से भी जाना जाता है. ये जगह लेह से लगभग 35 किमी. दूर है. फ्लाइट से लेह पहुंच सकते हैं. लेह से संगम प्वाइंट के लिए इलेक्ट्रिक बस भी चलती है. इसके अलावा स्कूटी को रेंट पर लेकर भी इस जगह तक पहुंच सकते हैं.
2. देवप्रयाग
उत्तराखंड को देवभूमि के नाम से जाना जाता है. उत्तराखंड में ही कई नदियों का उद्गम होता है. वैसे तो उत्तराखंड में कई जगह पर नदियों का संगम होता है लेकिन सबसे पवित्र संगम देवप्रयाग (Devprayag) में होता है.
देवप्रयाग में अलकनंदा और भागीरथी नदी ( Alaknanda Bhagirathi Devprayag) का संगम होता है. दोनों नदियों को उनके रंग से पहचाना जा सकता है. इन दोनों नदियों (Devprayag Sangam) के संगम के बाद जो एक नदी बनती है उसे गंगा के नाम से जाना जाता है जो आगे ऋषिकेश हरिद्वार के लिए चली जाती है.
कैसे पहुंचें?
देवप्रयाग पहुंचना काफी आसान है. ट्रेन या बस से ऋषिकेश पहुंचिए. ऋषिकेश से देवप्रयाग (How To Reach Dev Prayag) सिर्फ 70 किमी. दूर है. ऋषिकेश से देवप्रयाग के लिए बसों की कोई कमी नहीं है. ऋषिकेश से देवप्रयाग पहुंचने में 2 घंटे का समय लगेगा.
3. हिमाचल का अनोखा संगम
उत्तराखंड की तरह हिमाचल को भी देवभूमि कहा जाता है. हिमाचल में एक जगह है भुंतर (Bhuntar). इस जगह पर पार्वती नदी और ब्यास नदी (Parvati Beas Bhuntar) का संगम होता है. भुंतर में ब्यास नदी नीले रंग में तो पार्वती नदी का रंग अलग देखने को मिलेगा. पहाड़ों के बीच संगम का ये नजारा देखने लायक है.
कैसे पहुंचें?
भुंतर मनाली (Manali) के पास में है. दिल्ली से मनाली (Delhi To Manali) के रास्ते में भुंतर कुल्लू के पहले पड़ता है. किसी भी मनाली वाली बस में बैठेंगे तो भुंतर पहुंच ही जाएंगे. इसके अलावा फ्लाइट से भी इस जगह पर पहुंच सकते हैं. यहां पर भुंतर एयरपोर्ट भी है.
4. दार्जिलिंग में भी है संगम
दार्जिलिंग (Darjeeling) को पहाड़ों की रानी कहा जाता है. बड़ी संख्या में सैलानी इस हिल स्टेशन पर घूमने के लिए आते हैं. दार्जिलिंग में भी दो नदियों का संगम (Darjeeling Sangam) होता है. यहां पर तीस्ता नदी और रंगीत नदी (Tista Rangeet) का संगम होता है.
दार्जिलिंग में इन नदियों के संगम वाली जगह को त्रिवेणी स्पॉट (Triveni Spot Darjeeling) कहा जाता है. पहाड़ और हरियाली के बीच हो रहे नदियों का संगम देखने लायक है. इस जगह की तस्वीर लंबे समय तक आपके जेहन में रहेगी.
कैसे पहुंचें?
दार्जिलिंग तीस्ता त्रिवेणी स्पॉट शहर से लगभग 50 किमी. दूर है. इस संगम तक पहुंचने के लिए पहले दार्जिलिंग पहुंचना होगा. दार्जिलिंग पहुंचने के लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन न्यू जलपाईगुड़ी और नजदीकी एयरपोर्ट बागडोगरा है. दोनों जगह से दार्जिलिंग के लिए गाड़ी आराम से मिल जाएगी.
5. उत्तराखंड का एक और संगम
उत्तराखंड में पांच प्रयाग हैं. इनमें से एक रुद्रप्रयाग (Rudraprayag) भी है. रुद्रप्रयाग दो नदियों के संगम पर बसा हुआ है. रुद्रप्रयाग में अलकनंदा और मंदाकिनी नदी (Alaknanda Mandakini Rudraprayag) का संगम होता है. आगे जाकर अलकनंदा का संगम भागीरथी से होता है. फिर उसके बाद गंगा बनती है.
कैसे पहुंचें?
रुद्रप्रयाग से देवप्रयाग (How To Reach Rudrprayag) लगभग 65 किमी. दूर है. ऋषिकेश से रुद्रप्रयाग के लिए बसें चलती रहती हैं. ऋषिकेश ट्रेन या बस से आराम से पहुंच सकते हैं. इसके बाद अपनी संगम की यात्रा शुरू कर सकते हैं.