कर्नाटक के पर्यावरण मंत्री ईश्वर खंड्रे ने राज्य के पुष्पागिरी जंगल में कुमार पर्वत की ट्रैकिंग पर अस्थाई रूप से बैन लगा दिया है. ट्रैकिंग पर ये प्रतिबंध एक फरवरी से लागू होगा. सरकार का ये फैसला पिछले सप्ताह कुमार पर्वत पर एक साथ 4000 से ज्यादा ट्रैकर्स की मौजूदगी के बाद आया है.
वन विभाग हर एक ट्रैकिंग लोकेशन पर केवल 150 ट्रैकर्स को चढ़ने की अनुमति देता है. क्योंकि इससे ज्यादा संख्या में लोगों का वहां मौजूद होना इकोसिस्टम को प्रभावित करता है. यहां पहुंचने वाले कई लोग जंगल में प्लास्टिक, कचरा, खाना और पानी की बोतलें फेंकते हैं और इससे पर्यावरण के साथ-साथ वन्यजीवों को नुकसान पहुंच रहा है.
कुमार पर्वत ट्रैक को पुष्पगिरि ट्रेक भी कहा जाता है. ये बेस से कुल 25-28 किलोमीटर तक फैला है और आमतौर पर आप दो दिन में इसकी ट्रैकिंग पूरी कर सकते हैं. समुद्र तल से इसकी ऊंचाई 1700 मीटर है. इसे धरती का दूसरा कैलाश पर्वत भी कहते हैं.
शास्त्रों की मानें तो इस चोटी पर ही महादेव शिव प्रकट हुए थे. कुमार पर्वत की चोटी से शिव के पुत्र भगवान कार्तिकेय का अलौकिक चित्र दिखता है. स्थानीय लोगों का मानना है कि कुमार पर्वत पर चढ़ाई करने से काल सर्प दोष दूर होता है. ये भी मान्यता है कि यहां भगवान शिव कुछ देर के लिए रुके थे इसलिए इसे धरती का दूसरा कैलाश भी कहा जाता है.
इस पर्वत के शिखर तक जाने के लिए दो रास्ते हैं, सोमवारपेट रूट और कुक्के सुब्रह्मण्य रूट. पहले रूट की दूरी 7-8 किमी है और दूसरे की दूरी लगभग 14-16 किमी है. कुक्के से चढ़ने में लगभग 6 घंटे लगते हैं और उतरने में लगभग 3.5 घंटे लगते हैं.