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Last Village of India: सिर्फ चितकुल-माना नहीं, ये भी हैं भारत के आखिरी गांव, जानिए कैसे और कब जाएं

ऋषभ देव
  • नई दिल्ली,
  • 08 सितंबर 2024,
  • Updated 8:36 PM IST
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Last Villages of India: कहते हैं भारत दुनिया का सबसे खूबसूरत देश है. भारत में घूमने के लिए अलग-अलग तरह की जगहें हैं. कहीं पहाड़ हैं तो कहीं समुद्र और कुछ जगहों पर रेत ही रेत है. भारत की सीमा लगभग 15 हजार किमी. लंबी है. इसमें से 7500 किमी. समुद्री बॉर्डर है. 

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भारत अपने 7 पड़ोसियों (India Neighbouring Countries) से बार्डर शेयर करता हैं. भारत के पड़ोसियों में चीन (China), पाकिस्तान (Pakistan), भूटान (Bhutan), म्यांमार (Myanmar), बांग्लादेश (Bangladesh), नेपाल (Nepal) और अफगानिस्तान (Afganistan) है. बार्डर के पास में एक गांव होता है जिसे भारत का आखिरी गांव (India's Last Village) कहा जाता है. भारत में ऐसे लास्ट विलेज एक-दो नहीं बल्कि अनगिनत हैं.

आइए भारत के इन आखिरी गांवों के बारे में जानते हैं.

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1. चितकुल
चितकुल (Chitkul) इंडो-तिब्बत बॉर्डर (Indo Tibbet Border) पर स्थित एक इंडियन विलेज है. इसे भारत का आखिरी गांव (Chitkul Last Village) भी कहा जाता है.

चितकुल हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले (Kinnaur Himachal Pradesh) में आता है. पहले चितकुल ओल्ड तिब्बत ट्रेड रूट (Old Tibbet Trade Route) का एक अहम पड़ाव हुआ करता था. चितकुल समुद्र तल से 3,450 किमी. की ऊंचाई पर स्थित है.

कब जाएं?
सर्दियों में चितकुल (Best Time To Visit Chitkul) बर्फ से ढंक जाता है. उस समय चितकुल पहुंचना मुश्किल काम है. चितकुल जाने का सबसे बढ़िया समय मई से जुलाई का होता है.

कैसे पहुंचें?
चितकुल (How To Reach Chitkul) से सबसे नजदीकी शहर रामपुर बुशहर (Rampur Bushahr) है. दिल्ली से रामपुर के लिए बसें (Delhi To Rampur Bus) चलती हैं. रामपुर से चितकुल के लिए बसें मिल जाएंगी. इसके अलावा अपनी गाड़ी से भी चितकुल आ सकते हैं.

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2. तुरतुक
तुरतुक (Turtuk Ladakh) गिलगिट-बालटिस्तान बॉर्डर पर बसा एक गांव (Turtuk Last Village) है. तुरतुक में भारत पाकिस्तान के साथ बॉर्डर (India Pakistan Border) शेयर करता है. 

तुरतुक लद्दाख का एक छोटा-सा गांव है. 1971 से पहले तुरतुक पाकिस्तान का हिस्सा था. भारतीय सेना ने तुरतुक पर कब्जा कर लिया था. तब से तुरतुक भारत का आखिरी गांव है. यहां से पहाड़ों के बेहद सुंदर नजारे देखने को मिलते हैं.

बेस्ट टाइम:
तुरतुक लद्दाख (Best Time To Visit Turtuk) के अंदरूनी इलाकों में पड़ता है. सर्दियों में यहां के लिए गाड़ी नहीं मिलेगी. तुरतक आने का सबसे अच्छा समय जुलाई से अक्टूबर का है.

कैसे पहुंचें?
लेह से तुरतुक (Leh To Turtuk) लगभग 200 किमी. है. लेह से तुरतुक (How To Reach Turtuk) के लिए कोई बस नहीं चलती है. लेह से हुंडर के लिए बस चलती है. वहां से तुरतुक के लिए कोई न कोई साधन मिल ही जाएगा.

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3. माणा
माणा गांव (Mana Village) उत्तराखंड के चमोली जिले (Chamoli Uttarakhand) में आता है. माणा गांव इंडो-चाइना बॉर्डर (Indo China Border) से 24 किमी. दूर है. बद्रीनाथ धाम (Badrinath Temple) से माणा गांव सिर्फ 3 किमी. दूर है. माणा विलेज (Mana Last Village of India) समुद्र तल 3200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है.

कहा जाता है कि स्वर्ग जाने के दौरान पांडव माणा गांव से होकर ही गुजरे थे. यहां पर एक बड़ा-सा पत्थर है जिसे भीम पुल के नाम से जाना जाता है. माणा गांव उत्तराखंड का बेहद सुंदर गांव है. बद्रीनाथ जाएं तो इस गांव को देखने जरूर जाएं.

कब जाएं?
माणा गांव जाने का सबसे अच्छा समय (Best Time To Visit Mana)  सर्दियों के बाद और बारिश से पहले का है. आप अप्रैल से जून के दौरान माणा जाने का प्लान बना सकते हैं.

कैसे पहुंचें?
माणा विलेज हरिद्वार से (Haridwar To Badrinath) लगभग 275 किमी. दूर है. हरिद्वार और ऋषिकेश से बद्रीनाथ के लिए बस चलती है. (How To Reach Mana) बद्रीनाथ से माणा गांव सिर्फ 3 किमी. दूर है.

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4. डॉवकी
मेघायल (Meghalaya) भारत की सबसे शानदार जगहों में से एक है. मेघालय में एक सुंदर गांव है, डॉवकी (Dawki). उमंगोट नदी (Umangot Dawki) के किनारे बसा डॉवकी इंडिया का आखिरी गांव है. डॉवकी गांव से 200 मीटर दूर बांग्लादेश है.

बांग्लादेश की इस बॉर्डर से ढाका लगभग 300 किमी. दूर है. आप पैदल चलते हुए बांग्लादेश में जा सकते हैं. उमंगोट नदी एशिया की सबसे साफ नदी है.

कब जाएं?
बारिश में डॉवकी को घूमने का मजा (Best Time To Visit Dawki) नहीं आएगा. मेघालय की इस जगह पर जाने का सबसे बेस्ट टाइम नवंबर से मई का होता है.

कैसे पहुंचें?
शिलॉन्ग से डॉवकी (Shillong To Dawki) सिर्फ 90 किमी. की दूरी पर है. शिलॉन्ग से डॉवकी के लिए (How To Reach Dawki) शेयर्ड टैक्सी चलती रहती हैं. इसके अलावा कैब और टैक्सी बुक करके भी डॉवकी पहुंच सकते हैं.

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5. अटारी
अटारी भारत-पाकिस्तान के बॉर्डर (Atari Indo Pak Border) पर स्थित एक गांव है. अटारी भारत की सबसे फेमस जगहों में से एक है. इसे बाघा बॉर्डर (Wagah Border) के नाम से जाना जाता है. हर रोज हजारों लोग यहां इंडियन और पाकिस्तानी आर्मी की रिट्रीट सेरेमनी (Wagah Border Retreat Ceremony) देखने आते हैं.

अटारी-बाघा बॉर्डर अमृतसर से सिर्फ 30 किमी. और पाकिस्तान के लाहौर से सिर्फ 27 किमी. दूर है. 1947 विभाजन के बाद अटारी-बाघा बॉर्डर भारत-पाकिस्तान की एक महत्वपूर्ण जगई बन गई.

बेस्ट टाइम:
वैसे तो अटारी कभी (Best Time To Visit Wagah Border) भी जाया जा सकता है लेकिन इस जगह को अच्छे से देखने के लिए सर्दियां बेस्ट हैं. अटारी-बाघा बॉर्डर जाने का सबसे अच्छा समय नवंबर से जनवरी का होता है.

कैसे पहुंचे?
अटारी जाने के लिए सबसे पहले अमृतसर पहुंचना होगा. अमृतसर से अटारी (Amritsar To Atari) के लिए कई बसें और टैक्सी चलती रहती हैं. आप अपनी गाड़ी से भी अटारी पहुंच सकते हैं.

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6. धारचूला
धारचूला (Dharchula Uttarakhand) भारत के नेपाल बार्डर (India Nepal Border) पर बसा एक गांव है. धारचूला उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले (Pithoragarh) में आता है. खास बात ये है कि बॉर्डर के दोनों तरफ एक ही नाम के गांव हैं, धारचूला.

काली नदी के किनारे बसा धारचूला गांव समुद्र तल से 940 मीटर की उंचाई पर स्थित है. धारचूला से आदि कैलाश (Adi Kailash) की यात्रा होती है. धारचूला से आदि कैलाश (Dharchula To Adi Kailash) 130 किमी. दूर है.

कब जाएं?
धारचूला जाने का सबसे अच्छा समय (Best Time To Visit Dharchula) अप्रैल से जून का माना जाता है. इस दौरान सैलानी आदि कैलाश की यात्रा भी साथ में कर सकते हैं.

कैसे पहुंचें?
धारचूला जाने के लिए सबसे पहले पिथौरागढ़ (How To Reach Dharchula) पहुंचना होगा. पिथौरागढ़ से धारचूला (Pithoragarh To Dharchula) लगभग 90 किमी. है. पिथौरागढ़ से धारचूला के लिए बस (Pithoragarh To Dharchula Bus) चलती है.

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8. धनुषकोडी
तमिलनाडु में रामेश्वरम (Rameswaram Tamil Nadu) के पास एक गांव है, धनुषकोडी (Dhanushkodi). तमिलनाडु का धनुषकोडी गांव भारत का आखिरी गांव है. इसके बाद भारत-श्रीलंका (India Srilanka Border) का समुद्री बॉर्डर शुरू हो जाता है. 

कहा जाता है कि दशकों पहले तक इस गांव में हजारों लोग रहते थे लेकिन अब ये गांव पूरी तरह से वीरान हो चुका है. रामेश्वरम के धनुषकोडी तक आप आराम से पहुंच सकते हैं. बड़ी संख्या में लोग इस वीरान गांव को देखने के लिए जाते हैं. इस गांव की खास बात ये हैं कि यहां से श्रीलंका दिखाई देता है.

कब जाएं?
धनुषकोडी जाने का बेस्ट टाइम सर्दियां है. यहां आप जनवरी-फरवरी में आ सकते हैं.

कैसे पहुंचें?
धनुषकोडी जाने के लिए सबसे पहले रामेश्वरम पहुंचना होगा. रामेश्वरम से धनुषकोडी (Rameswaram To Dhanushkodi) लगभग 20 किमी. दूर है. रामेश्वरम से धनुषकोडी (How To Reach Dhanushkodi) के लिए कोई बस नहीं चलती है. कैब बुक करके यहां तक आ सकते हैं.