एयरपोर्ट पर जाते हुए कई लोगों को सबसे बड़ी टेंशन ये होती है कि उनका बैग कहीं गुम न हो जाए. फ्लाइट लैंड होने के बाद सबसे पहला काम बेल्ट से अपना बैग लेना होता है. लेकिन अपने बैग की अलग पहचान के लिए लोग उसपर अक्सर चमकीले रंग के रिबन लगा देते हैं. सूटकेस पर रिबन बांधने की यह सदियों पुरानी प्रथा है. इसका उद्देश्य यात्रियों को अपने बैग को तुरंत पहचानने में मदद करना है. हालांकि, एयरपोर्ट के बैगेज हैंडलर ने इसे लेकर एक खुलासा किया है.
रिबन बांधने की परंपरा
कई यात्रियों के लिए, सूटकेस में रिबन बांधना एक तरह का रूटीन है. इसे लगाने का उद्देश्य होता है कि लोगों को अपने बैग के खोने की कम चिंता करनी पड़े. चमकीले रिबन, टैग और यहां तक कि रंगीन पट्टियां ऐसे मार्कर बन गए हैं जो भीड़ भरे टर्मिनल में एक बैग को दूसरे से अलग करते हैं.
फर्स्टपोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, डबलिन एयरपोर्ट पर काम करने वाले बैगेज हैंडलर जॉन के मुताबिक ये अटैचमेंट बैगेज हैंडलिंग की स्पीड को कम कर देते हैं. हैंडलर जॉन बताते हैं, "लोग अपने सूटकेस को पहचानने में मदद के लिए जो रिबन बांधते हैं, वे बैगेज हॉल में बैग को स्कैन करने में समस्या पैदा कर सकते हैं. अगर बैग को ऑटोमेटिक रूप से स्कैन नहीं किया जा सकता है, तो यह मैन्युअली किया जाता है. जिसका मतलब यह हो सकता है कि आपका बैग फ्लाइट में नहीं पहुंच पाए."
देरी के पीछे का कारण
जब रिबन के साथ एक बैग कन्वेयर बेल्ट पर रखा जाता है, तो स्कैनर्स को बैगेज टैग को पढ़ने में परेशानी हो सकती है या रिबन मशीनरी में फंस सकता है. इसकी वजह से सिस्टम को मैन्युअल हैंडलिंग के लिए बैग को अलग करना पड़ता है. हर बैग जिसके लिए मैन्युअल प्रोसेसिंग की जरूरत होती है, देरी की वजह बनता है.
और किन बातों का रखना चाहिए ध्यान
कई और चीजें भी हैं जिनकी वजह से सामान में देरी हो सकती है. उदाहरण के लिए, यात्री को अपने बैग से किसी भी पुराने स्टिकर या लेबल को भी हटा देना चाहिए. इसके अलावा, आप जो पैक करते हैं वह इस बात पर भी प्रभाव डाल सकता है कि आपका बैग सिस्टम के माध्यम से सुचारू रूप से चलता है या आगे की चेकिंग के लिए अलग रखा जाता है.