Independence Day: भारत की आजादी की जंग की वो जगहें, जो आज भी दिलाती हैं स्वतंत्रता सेनानियों की याद

भारत की आजादी के लिए संघर्ष के किस्सों में अमृतसर के जलियांवाला बाग का दर्दनाक इतिहास भुलाया नहीं जा सकता. 1917 में चंपारण में गांधी जी ने पहला सत्याग्रह आंदोलन शुरू किया.

Freedom Struggles of India
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 14 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 4:53 PM IST

आजादी की हवा में जो हम खिलखिला रहें हैं ये कई वीरों का बलिदान और संघर्ष की देन है. देश के कई वीरों ने हमारी स्वतंत्रता के लिए अपने आप को कुर्बान कर दिया और आखिरकार 15 अगस्त 1947 में भारत को आजादी मिली. 1947 के बाद आजाद भारत को कई बड़े फैसले लेने थे और तब से लेकर अब तक भारत ने एक लंबा सफर तय किया है. आज भारत दुनिया के बाकी देशों की तरह ही आगे बढ़ रहा है लेकिन इस तरक्की में भारत के उन शूरवीरों के संघर्ष को नहीं भुलाया जा सकता.

देश के कई ऐसे हिस्से हैं जो वीरों के संघर्ष की याद दिलाते हैं.
 
1. कोलकाता, पश्चिम बंगाल
कोलकाता पश्चिम बंगाल में स्थित है. यह जगह हमेशा ही भारत की आजादी और अंग्रेजों के खिलाफ जंग का मुख्य केंद्र बनी रही. यह वही जगह है जहां आनंद मोहन बोस और सुरेंद्रनाथ बनर्जी ने 1876 में भारतीय राष्ट्रीय संघ की स्थापना की थी. 7 अगस्त 1905  गांधी जी द्वारा कोलकाता के टाउन हॉल से ही स्वदेशी आंदोलन की शुरुआत की गई थी जिसके अंतर्गत अंग्रेजी उत्पाद का बहिष्कार करने पर जोर दिया गया था. देशभक्तों के लिए कोलकाता अंग्रेजों के खिलाफ चर्चा का एक मुख्य केंद्र रहा. बढ़ते विरोध को देखते हुए 1911 में अंग्रेजों के दिल में पहली बार डर पैदा हुआ और भारत की राजधानी को कोलकाता से दिल्ली  कर दिया गया.

2. अमृतसर, पंजाब
भारत की आजादी के लिए संघर्ष के किस्सों में अमृतसर के जलियांवाला बाग का दर्दनाक इतिहास भुलाया नहीं जा सकता. 13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग में बैसाखी के लिए इकट्टा हुए लोगों पर ब्रिटिश सेना के कमांडर रेजिनाल्ड डायर ने गोलियां चलवा दी थीं. इस  घटना ने भारत की आजादी की लड़ाई को एक नया रूप दिया.

3. झांसी, उत्तर प्रदेश
झांसी भारत के इतिहास में अपना अहम योगदान देने वाली रानी लक्ष्मी बाई का जन्म स्थान है. यहां 1857 के दौरान अंग्रेजों के खिलाफ कई जंग लड़ी गई और आज भी यह जगह रानी लक्ष्मी बाई की वीरता के किस्से समेटे हुए है. रानी लक्ष्मी बाई एक सच्ची योद्धा थीं और अपनी आखिरी सांस तक देश के लिए लड़ती रहीं और झांसी की रानी कहलाई.

4.चंपारन, बिहार
1917 में चंपारण में गांधी जी ने पहला सत्याग्रह आंदोलन शुरू किया. यह अंग्रेजों के खिलाफ अपने खेतों में इंडिगो उगाए जाने के लिए दबाव के विरोध के लिए एक अहिंसक आंदोलन था. इसी आंदोलन के बाद गांधी जी को 'महात्मा' की उपाधि दी गई.

5. दांडी ,गुजरात
गुजरात का दांडी स्वतंत्रता के संघर्ष से जुड़ी एक ऐसी जगह है जिसे भुलाया नहीं जा सकता. साल 1930 में अंग्रेज सरकार ने जब नमक पर कर लगा दिया तो महात्मा गांधी ने इस कानून के ख‍िलाफ आंदोलन छेड़ा.

6. दिल्ली
भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 15 अगस्त 1947 को दिल्ली के लाल किले पर झंडा फहराकर इसे आजादी का प्रतीक बना दिया. 15 अगस्त 1947 की आधी रात को जवाहरलाल नेहरू ने लाल किले पर ही भाषण देकर दुनिया भर में भारत की आजादी की घोषणा की.

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7. पोर्ट ब्लेयर, अंडमान आईलैंड
पोर्ट ब्लेयर के सेल्यूलर जेल का इस्तेमाल अंग्रेज स्वतंत्रता सेनानियों को पकड़ कर बंद करने और उन्हें प्रताड़ित करने के लिए करते थे. स्वतंत्रता सेनानियों को यहां काफी संघर्ष करना पड़ा लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी.

 

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