आईएनएस तारिणी में सवार 2 महिला नौसेना अधिकारियों का विश्व भ्रमण जल्द ही समाप्त होने वाला है. लेफ्टिनेंट कमांडर रूपा और दिलना ने केपटाउन से गोवा के लिए अपनी यात्रा शुरू कर दी है. यह यात्रा उनके साहस और दृढ़ संकल्प की मिसाल है.
वापसी के सफर की शुरुआत-
लेफ्टिनेंट कमांडर रूपा और दिलना ने पिछले साल 2 अक्टूबर को गोवा से अपनी सागर परिक्रमा की शुरुआत की थी. अब करीब साढ़े छह महीने के सफर के बाद वे अपने इस महायात्रा के आखिरी पड़ाव के लिए निकल पड़ी हैं. मंगलवार दोपहर 2 बजे दोनों ने केपटाउन से घर वापसी का सफर शुरू किया.
यात्रा के प्रमुख पड़ाव-
इस महायात्रा के दौरान उनका पहला पड़ाव ऑस्ट्रेलिया में था. ऑस्ट्रेलिया के बाद वे न्यूज़ीलैंड में रुकीं. इसके बाद करीब 21,600 नॉटिकल माइल्स का सफर पूरा करके वे साउथ अफ्रीका के पोर्ट स्टैन्ली बंदरगाह पहुंचीं. पोर्ट स्टैन्ली के बाद उनका अगला पड़ाव केपटाउन में था.
चुनौतियों का सामना-
समंदर में इस सफर के दौरान लेफ्टिनेंट कमांडर रूपा और दिलना को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा. कभी समंदर की ऊंची लहरों ने उनके हौसलों की परीक्षा ली, तो कभी खराब मौसम ने उनकी रफ्तार पर ब्रेक लगाने की कोशिश की. लेकिन इन बहादुर सैनिकों ने हर चुनौती का सामना डटकर किया.
प्वाइंट निमो पर पहुंचीं बेटियां-
पूरी दुनिया का चक्कर लगाने के दौरान दोनों के लिए कुछ पल बेहद खास थे. 9 जनवरी को वे उस जगह पहुंचीं, जहाँ उनकी नाव धरती के पूर्वी गोलार्ध से पश्चिमी गोलार्ध में प्रवेश कर गई. इस डेडलाइन को पार करते ही उन्हें अपनी घड़ी को पूरे 24 घंटे पीछे करना पड़ा.
इस सफर में एक और खास मुकाम तब आया, जब 31 जनवरी को दोनों समंदर के पॉइंट निमो पर पहुंचीं. यह जगह समंदर में सबसे सुदूर मानी जाती है, जहाँ से जमीन का कोई भी हिस्सा हजारों मील की दूरी पर है.
कई जगह शानदार स्वागत-
अपने सफर के दौरान लेफ्टिनेंट कमांडर रूपा और दिलना जहाँ भी रुकीं, वहाँ उनका शानदार स्वागत किया गया. नौसेना प्रमुख ने भी कई बार उनका हालचाल जाना और सफर के लिए शुभकामनाएं दीं.
नौसेना की ये दोनों अधिकारी अब अपना यह महत्वाकांक्षी सफर पूरा करने से कुछ ही दिन दूर हैं. अब सभी को मई में उस दिन का इंतजार है, जब आईएनएस तारिणी के साथ दोनों गोवा के तट पर पहुँचेंगी और समंदर को नापने का उनका यह सफर पूरी दुनिया के लिए मिसाल बन जाएगा.
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