Divorce Temple in Japan: टॉक्सिक शादी से बाहर निकलने का 'आशीर्वाद' देता है यह मंदिर, जानिए इस अनोखे डाइवोर्स टेंपल के बारे में

जापान के कामाकुरा शहर में स्थित मात्सुगाओका टोकेई-जी मंदिर को तलाक का मंदिर कहा जाता है. यह जापान में 600 साल से ज्यादा पुराना बौद्ध मंदिर है.

Japan's divorce temple
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 31 जनवरी 2025,
  • अपडेटेड 12:34 PM IST

शादी-ब्याह की मन्नत पूरी करने के लिए फेसम मंदिरों के बारे में तो आपने बहुत कुछ सुना होगा लेकिन क्या कभी 'तलाक के मंदिर' के बारे में सुना है. जी हां, तलाक का मंदिर. सुनकर भले ही आपको अजीब लगे लेकिन यह सच है. जापान के कामाकुरा शहर में स्थित मात्सुगाओका टोकेई-जी मंदिर को तलाक का मंदिर कहा जाता है. यह जापान में 600 साल से ज्यादा पुराना बौद्ध मंदिर है. 

वैसे तो जापान में परिवार और रिश्तों में गहरा विश्वास है. लेकिन फिर भी सालों पहले यह मंदिर बनाया गया. दरअसल, यह मंदिर उस समय का है जब महिलाओं के पास ज्यादा अधिकार नहीं थे. घरेलु हिंसा का शिकार होने के बावजूद उनके पास अपने पतियों को छोड़ने का कोई कानूनी अधिकार नहीं था. यह वह समय था जब जापान तलाक की अवधारणा से परिचित नहीं था. तब यह मंदिर अपने पतियों के हाथों घरेलू हिंसा से पीड़ित असंख्य महिलाओं का घर था. 

क्या है मंदिर का इतिहास
1285 में, बौद्ध भिक्षुणी काकुसन शिद-नी ने कामकुरा शहर में मात्सुगाओका टोकेइ-जी मंदिर का निर्माण कराया. उस समय 1185 और 1333 के बीच, जापान में महिलाओं के पास सीमित कानूनी अधिकार के थे और उनपर कई तरह के सामाजिक प्रतिबंध थे. अपनी शादी में नाखुश, टॉक्सिक लाइफ पार्टनर से परेशानी और घरेलू दुर्व्यवहार से पीड़ित महिलाओं ने इस मंदिर के अंदर शरण ली. धीरे-धीरे यह जगह ऐसी महिलाओं के लिए दूसरा घर बन गई जिनके पास अपने अत्याचारी पति और परिवार को छोड़कर जाने के बाद कोई और ठिकाना नहीं था. 

मात्सुगाओका टोकेइ-जी मंदिर महिलाओं के लिए एक सुरक्षित आश्रय स्थल बन गया. समय के साथ, बौद्ध मंदिर ने उन महिलाओं को आधिकारिक तलाक सर्टिफिकेट देने के लिए एक अभियान चलाना शुरू कर दिया जो अपने पति को हमेशा के लिए छोड़ना चाहती थीं. इस तरह के तलाक सर्टिफिकेट को त्सुइफुकु-जी के नाम से जाना जाता था. इस सर्टिफिकेट ने इन महिलाओं को अपने पतियों से कानूनी तौर पर अलग होने में मदद की. 

पुरुष नहीं आ सकते थे मंदिर में
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उस जमाने में जापान में सिर्फ पुरुष अपनी पत्नी को तलाक दे सकते हैं जबकि महिलाएं उनके खिलाफ कुछ नहीं बोल सकती थीं. तब यह मंदिर उनका सहारा बना. कोई महिला अगर अपनी शादी में परोशानी होती और यहां आकर लगातार तीन साल रहती थी तो उसे अपने पति से अलग होने का सर्टिफिकेट दे दिया जाता था. बाद में, इस अवधि को कम करके दो साल किया गया. 

बताया जाता है कि 1902 तक तो पुरुषों को इस मंदिर में जाने की इजाजत भी थी. लेकिन फिर 1902 में एंगाकु-जी ने मंदिर की देखभाल संभआली तो उन्होंने एक पुरुष को मठाधीश रखा. आपको बता दें कि मात्सुगाओका टोकेइ-जी मंदिर सुंदर बगीचों से घिरा हुआ है और अद्भुत वास्तुकला का उदाहरण है. आज, यह मंदिर महिला सशक्तिकरण और स्वतंत्रता के एक महत्वपूर्ण प्रतीक के रूप में खड़ा है. 

 

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