Most Unique Villages of India: भारत गांव का देश है. तो आज बात गांवों की करते हैं. कहते हैं भारत को करीब से जानना है तो देश के गांवों में जाइए. भारत के गांवों में आज भी आपको अपनापन और देसीपन देखने को मिलेगा.
भारत का कल्चर और आर्ट देखना है तो देश के गांवों के करीब जाना चाहिए. भारत के गांवों में ऐसी चीजें मिलेंगी जिसे देखकर आप हैरान रह जाएंगे. भारत का एक गांव ऐसा है जहां किसी भी घर में ताले नहीं लगाए जाते हैं. एक गांव तो ऐसा है जहां हर में आपको जुड़वा बच्चे देखने को मिल जाएंगे.
भारत में ऐसे ही कई अनोखे गांव हैं. आइए इंडिया के ऐसे ही कुछ अनोखे गांवों के बारे में जानते हैं.
1. कोंगथोंग
मेघालय के इस गांव को व्हिसल विलेज (Whistle Village) के नाम से जाना जाता है. कोंगथोंग गांव मेघायल के पूर्वी खासी हिल्स (Kongthong Meghalaya) में है. इस गांव में खासी ट्राइब के लोग रहते हैं. कोंगथोंग गांव को व्हिसल विलेज के नाम से इसलिए जाना जाता है क्योंकि यहां लोग आपस में सीटी बजाकर बात करते हैं.
कोंगथोंग गांव में लोगों के दो नाम होते हैं. एक नॉर्मल नाम होता है और दूसरी व्हिसल वाला नाम होता है. इस व्हिसल के भी दो रूप होते हैं. एक लंबी व्हिसल वाला और एक छोटी धुन. लंबी धुन का इस्तेमाल परिवार में किया जाता है. ये नाम बच्चे को मां देती है. वहीं दूसरी धुन में गांव के लोग आपस में बात करते हैं.
कैसे पहुंचे?
व्हिसल विलेज कोंगथोंग शिलॉन्ग से लगभग 55 किमी.दूर है. शिलॉन्ग से कोंगथोंग के लिए सूमो और कैब चलती हैं.
2. जंबूर
जंबूर (Jamboor Gujarat) भारत के सबसे अनोखे गांव में से एक है. इस गांव को मिनी अफ्रीका के नाम से जाना जाता है. जंबूर गांव (Mini Africa of India) गुजरात के गिर (Gir Gujarat) जंगल में बसा हुआ है. गुजरात के इस गांव में सद्दी ट्राइह के लोग रहते हैं.
सिद्दी ट्राइब का संबंध अफ्रीका की बनतु कम्युनिटी से है. माना जाता है कि सिद्दी जनजाति के लोग 7वीं शताब्दी में अफ्रीका से यहां आए थे. दरअसल, ये लोग अपनी मर्जी से नहीं आए थे. इनको पुर्तगालियों के गुलाम के रूप में यहां लाए गए थे.
इनके पूर्वज गुजरात के इस जगह पर रहना शुरू किया था. तब से ये लोग यहीं बस गए. ये लोग इसको ही अपना घर मनाते हैं. इस वजह से इस गांव को मिनी अफ्रीका के नाम से जाना जाता है. जंबूर गांव के लोग गुजराती में ही बात करते हैं. गिर घूमने जाने वाले लोग जंबूर जरूर जाते हैं.
कैसे जाएं?
जंबूर जाने के लिए सबसे पहले गिर पहुंचना होगा. जंबूर से सबसे नजदीकी एयरपोर्ट दीव है. दीव से जंबूर 71 किमी. है. दीव से जंबूर जाने के लिए टैक्सी मिल जाएगी.
3. मलाणा
हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) अपनी सुंदर जगहों के लिए जाना जाता है. हिमाचल में एक ऐसा गांव है जिसका अपना कानून है. इस गांव की अपनी संसद है. मलाणा (Malana Kullu) कुल्लू जिले में पड़ता है. इस गांव को लिटिल ग्रीस के नाम से जाना जाता है.
इस गांव में टूरिस्ट के कुछ भी छूने पर बैन है. घूमने आए लोग इस गांव की किसी भी सामान को नहीं छू सकते हैं. हिमाचल के इस गांव में आने वाले सैलानी दुकान के बाहर से सामान खरीदते हैं. दुकानदार सामान बाहर रख देता है और टूरिस्ट पैसे भी जमीन पर रखता है.
इस गांव के सिकंदर के सैनिकों का गांव भी कहा जाता है. माना जाता है कि जब सिकंदर ने भारत पर हमला किया था तो उसके सैनिक इसी गांव में रूक गए थे. मलाणा गांव के लोग कनाशी नाम की भाषा बोलते हैं जो दुनिया में और कहीं नहीं बोली जाती है.
कैसे पहुंचें?
मलाणा हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले का एक छोटा-सा गांव है. कुल्लू से मलाणा लगभग 50 किमी. दूर है. कसोल से मलाणा सिर्फ 20 किमी. दूर है. आपको कसोल से मलाणा के लिए गाड़ी मिल जाएगी.
4. मावलिनॉन्ग
चमचमाती सड़कें, रास्ते में गंदगी का कोई नाम नहीं. ये किसी शहर की बात नहीं हो रही है. ये मेघालय का एक छोटा-सा गांव है. मेघालय का मावलिनॉन्ग (Mawlynnong Meghalaya) भारत की नहीं एशिया का साफ गांव है.
साल 2003 में में इसे एशिया का सबसे साफ गांव (Cleanest Village of Asia) का दर्जा मिला था. साल 2005 में मावलिनॉन्ग गांव को भारत का सबसे साफ गांव घोषित किया गया था. मावलिनॉन्ग गांव में गली-गली में लकड़ी के डस्टबिन रखे हुए हैं.
मावलिनॉन्ग गांव में सफाई के लिए गांव की कमेटी बनी हुई है जो गांव में सफाई का काम देखती है. इस गांव में खासी ट्राइब के लोग रहते हैं. मावलिनॉन्ग गांव में प्लास्टिक पूरी तरह से बैन है. मावलिनॉन्ग में लिविंग रूट ब्रिज भी है जिसे यूनेस्को की हेरीटेज लिस्ट में शामिल किया गया है.
कैसे जाएं?
मावलिनॉन्ग गांव शिलॉन्ग से लगभग 90 किमी. दूर है. चेरापूंजी से मावलिनॉन्ग लगभग 92 किमी. दूर है. दोनों जगहों से इस गांव के लिए कैब और टैक्सी मिल जाएंगी.
5. लोंगवा
भारत में किसी भी व्यक्ति को दो देशों की नागरिकता नहीं मिलती है लेकिन हमारे देश में एक गांव इस मामले में थोड़ा अलग है. नागालैंड में म्यांमार बार्डर पर एक गांव है, लोंगवा (Longwa Nagaland). इस गांव में पैदा होने वाले बच्चों को भारत और म्यांमार की सिटीजनशिप मिलती है.
यहां के लोग दोनों देशों में बिना वीजा के आते-जाते रहते हैं. किसी का घर भारत में है लेकिन खेती म्यांमार में है. नागालैंड क लोंगवा गांव मोन जिले में आता है. लोंगवा गांव में कोन्याग नागा ट्राइब के लोग रहते हैं. ये लोग अपनी खतरनाक युद्ध शैली के लिए जाने जाते हैं.
लोंगवा गांव के लोग म्यांमार और भारत दोनों देशों के निवासी हैं. लोंगाक गांव अपनी हरियाली और सुंदरता के लिए जाना जाता है. इस अनोखे काम को देखने के लिए आप भी जा सकते हैं.
कैसे पहुंचें?
लोंगवा गांव नागालैंड के सबसे अंदरूनी जगहों में से एक है. यहां पहुंचना बेहद मुश्किल है. इसके लिए सबसे पहले मोन पहुंचना होगा. कोहिमा से लोंगवा गांव 330 किमी. दूर है. मोन से लोंगवा के लिए कैब मिल जाएगी.