Trip to Omkareshwar: ओम आकार द्वीप पर बसा है यह ज्योतिर्लिंग मंदिर, एक बार जरूर करें यहां की ट्रिप

ओंकारेश्वर मंदिर मध्य प्रदेश में नर्मदा नदी में 'ओम आकार' द्वीप पर स्थित है. यह भगवान शिव को समर्पित एक प्रतिष्ठित हिंदू मंदिर है और 12 पवित्र ज्योतिर्लिंगों में से एक है. यह मंदिर हिंदुओं के बीच अत्यधिक धार्मिक महत्व रखता है और तीर्थयात्री भगवान शिव का आशीर्वाद लेने के लिए महाशिवरात्रि और सावन महीने जैसे त्योहारों के दौरान यहां जा सकते हैं.

Omkareshwar Jyotirlinga Temple
निशा डागर तंवर
  • नई दिल्ली,
  • 04 मार्च 2024,
  • अपडेटेड 1:21 PM IST
  • अत्यंत खास है ओंकारेश्वर मंदिर
  • आदि शंकराचार्य की विरासत है यहां 

मध्य-प्रदेश का उज्जैन महाकाल के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है. हालांकि, शायद ज्यादा लोग न जानते हों कि मध्य प्रदेश में महाकालेश्वर के अलावा एक और ज्योतिर्लिंग है-  ओंकारेश्वर. खंडवा शहर के पास मंधाता के ओंकारेश्वर को शिवपुरी के नाम से भी जाना जाता है. यह भगवान शिव के 12 प्रतिष्ठित ज्योतिर्लिंग मंदिरों में से एक है. दिलचस्प बात यह है कि मधाता द्वीप का आकार देवनागरी प्रतीक "ॐ" जैसा बताया जाता है. यहां पर ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर मुख्य मंदिर हैं. 

अत्यंत खास है ओंकारेश्वर मंदिर
यह मंदिर ओंकारेश्वर को समर्पित है, जिसका नाम "ओंकार के भगवान" या ओम ध्वनि के भगवान का प्रतीक है. यह द्वीप पर ही स्थित है.
यह नर्मदा नदी के उत्तर तट पर स्थित है. इस जगह पर 68 तीर्थ, 33 कोटि देवी-देवता विराजमान हैं और यहां पर 108 शिवलिंग हैं. मान्यता है कि भगवान शिव हर दिन तीन लोकों के भ्रमण के बाद यहां आकर विश्राम करते हैं और इस कारण उनकी शयन व्यवस्था और आरती यहां होती है. यहां भोलेबाबा के शयन दर्शन होते हैं. यह मंदिर अपनी विस्तृत और जटिल नक्काशी के साथ नागर शैली की वास्तुकला में बना है. विभिन्न आकृतियों की सुंदर बालकनियां और स्तंभ नक्काशी मंदिर की दृश्य अपील को बढ़ाती हैं. मंदिर के आधार तल पर स्थापित ज्योतिर्लिंग जल में डूबा रहता है. 

इसके अलावा, नर्मदा नदी के दक्षिण पर ममलेश्वर मंदिर स्थित है. इस मंदिर का वास्तविक नाम अमरेश्वर मंदिर है. यह एक संरक्षित स्मारक है जो प्राचीन भारत की असाधारण स्थापत्य शैली को प्रदर्शित करता है. ममलेश्वर मंदिर एक छोटे से क्षेत्र में फैला हुआ है जिसमें एक हॉल और एक गर्भगृह शामिल है. महारानी अहिल्याबाई के शासनकाल से ही इस मंदिर में 22 ब्राह्मण प्रतिदिन लिंगार्चन अनुष्ठान करते थे. हालांकि, अब ब्राह्मणों की संख्या घटाकर केवल 5 कर दी गई है. दैनिक अनुष्ठान करने के लिए लगभग 1000 शिवलिंगों को एक लकड़ी के बोर्ड पर स्थापित किया जाता है. मंदिर की दीवारें महिम्ना स्त्रोतम शिलालेखों से सुशोभित हैं. 

घाट जाना न भूलें
यहां नागर घाट, अभय घाट, अहिल्या घाट और पेशावर घाट आदि भी हैं जहां आपको जरूर जाना चाहिए. नागर घाट स्वर्गीय नदी नर्मदा के तट पर स्थित एक सुंदर स्थान है. घाट का विकास मालवा के सुप्रसिद्ध संत श्री श्री नागरजी ने करवाया था. दिव्य नर्मदा नदी में डुबकी लगाने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु स्वच्छ और सुरक्षित घाट पर जाते हैं. आप यहां नर्मदा दी में डुबकी लगाने के बाद नौका-विहार कर सकते हैं. 

अभय घाट नर्मदा नदी के तट पर स्थित है और अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए यात्रियों के बीच प्रसिद्ध है. यह एक सुरक्षित और साफ घाट होने के कारण लोकप्रिय है, जहां भक्त पवित्र नदी नर्मदा में डुबकी लगाने के लिए आते हैं. अहिल्या घाट का नाम इंदौर की महारानी राजमाता अहिल्याबाई होल्कर के नाम पर पड़ा. यह अहिल्या किले और मंदिर के सामने बना एक शाही घाट है. स्थापत्य शैली में मराठा, राजपूत और मुगल स्वरों का मिश्रण प्रदर्शित होता है. मंदिरों और शिवलिंगों से भरे इस घाट पर भक्त आमतौर पर अनुष्ठान करते नजर आते हैं. वहीं, पेशावर घाट पर आप कावेरी और नर्मदा नदी का संगम देख सकते हैं. 

आदि शंकराचार्य की विरासत है यहां 
भारत के पवित्र संत आदि शंकराचार्य से जुड़ा होने के कारण, श्री गोविंदा भगवत्पाद गुफा ओंकारेश्वर में घूमने के लिए प्रमुख स्थानों में से एक और नाम है. यह वह गुफा है जहां गुरु शंकराचार्य ने गोविंदा भगवत्पाद ग्रंथ से अपनी शिक्षा सीखी थी. ऐसा कहा जाता है कि आदि शंकराचार्य ने गोविंदा भगवत्पाद तक पहुंचने के लिए घने जंगलों, घाटियों और राजसी पहाड़ों को पार करते हुए हजारों मील की दूरी तय की थी, जिनकी प्राचीन नर्मदा के तट पर गुफा थी. 

इसके अलावा, ओंकारेश्वर मंदिर से केवल 8 किमी दूर स्थित, काजल रानी गुफाएं फोटोग्राफी के शौकीनों और प्रकृति प्रेमियों के लिए सही स्थान है. इसलिए, अपने परिवार के साथ इन गुफाओं की ओर जाएं और इस स्थान के अलौकिक दृश्यों का आनंद लें. 

जरूर करें ओंकार पहाड़ी की परिक्रमा 
तीर्थयात्री ओंकारेश्वर के दिव्य शहर में ओंकार पहाड़ी के चारों ओर परिक्रमा कर सकते हैं. पूरा द्वीप लगभग 8 किलोमीटर लंबा है और इसमें विविध आध्यात्मिक और ऐतिहासिक स्थान शामिल हैं. परिक्रमा का रास्ता मांधाता द्वीप के घाट से शुरू होता है. ऐसा कहा जाता है कि पैदल चलने से यात्रियों को सकारात्मक ऊर्जा महसूस होती है. यहां की परिक्रमा करके सुंदर प्राकृतिक सुंदरता का आनंद लेते हुए आध्यात्मिक सैर की जा सकती है. पहाड़ी के चारों ओर घूमते हुए कई मंदिरों और आश्रमों को दर्शन आप कर सकते हैं.

ओंकारेश्वर में आप 24 अवतार, गौरी सोमनाथ मंदिर, ओंकार मंधाता मंदिर, सिद्धनाथ मंदिर, और केदारेश्वर मंदिर भी घूम सकते हैं. ओंकारेश्वर जाने का बेस्ट समय है अक्टूबर से फरवरी तक, हालांकि, आप मार्च से जून तक भी यहां जा सकते हैं. यहां पर महाशिवरात्रि, कार्तिक पूर्णिमा और मकर संक्राति जैसे त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाए जाते हैं. आज फ्लाइट, ट्रेन आदि से ओंकारेश्वर तक पहुंच सकते हैं. आप इंदौर या फिर खंडवा से ओंकारेश्वर पहुंच सकते हैं.  

 

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