नवरात्रि भारत में सबसे प्रमुख हिंदू त्योहारों में से एक है, जिसे बहुत उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है. इस दौरान, माता के भक्त नौ दिनों का उपवास रखते हैं और मां शक्ति की पूजा करने के लिए प्रतिष्ठित दुर्गा मंदिरों में जाते हैं. यह वह समय भी है जब देश के प्रमुख शक्तिपीठों पर भक्तों का तांता लगा रहता है. आज हम आपको बता रहे हैं देश के कुछ मशहूर देवी मां के मंदिरों के बारे में, जहां आप ट्रिप पर जा सकते हैं.
वैष्णो देवी मंदिर, कटरा (जम्मू और कश्मीर)
यह भारत के सबसे पवित्र मंदिरों में से एक है, जहां दुनिया भर से श्रद्धालु आते हैं. जम्मू-कश्मीर के कटरा जिले में स्थित इस मंदिर में साल भर तीर्थयात्रियों की भीड़ लगी रहती है. ऐसा माना जाता है कि देवी दुर्गा यहां गुफा के अंदर निवास करती हैं. यह मंदिर कटरा से 13 किलोमीटर की चढ़ाई पर है.
कैसे पहुंचें: कटरा रेलवे स्टेशन मंदिर से लगभग 20 किमी दूर है. तीर्थयात्री मंदिर तक पहुंचने के लिए पैदल यात्रा कर सकते हैं, घोड़ा ले सकते हैं या हेलिकॉप्टर बुक कर सकते हैं.
हर सिद्धि माता मंदिर (उज्जैन)
हर सिद्धि माता मंदिर के रूप में व्यापक रूप से जाना जाने वाला, महा काली देवी मंदिर मध्य प्रदेश में क्षिप्रा नदी के किनारे एक प्राचीन शहर, उज्जैन में एक छोटी पहाड़ी पर स्थित है. हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी सती का ऊपरी होंठ उस स्थान पर गिरा था जहां आज यह मंदिर खड़ा है. गृह कालिका, महालक्ष्मी और सरस्वती अन्य देवी रूप हैं जिनकी यहां पूजा की जाती है.
कैसे पहुंचें: निकटतम हवाई अड्डा इंदौर में है, जो 56 किमी की दूरी पर स्थित है, और शहर का अपना रेलवे स्टेशन है.
कालीघाट मंदिर, कोलकाता (पश्चिम बंगाल)
कोलकाता के इस मंदिर में नवरात्रि के दौरान भव्य रूप से दुर्गा पूजा मनाई जाती है. लोकप्रिय मान्यता यह है कि जहां आज यह मंदिर है, वहां देवी सती के दाहिने पैर का अंगूठा गिरा था. कालीघाट मंदिर में अप्रैल और अक्टूबर (नवरात्रि माह) के दौरान भक्तों की भीड़ रहती है. यह प्रमुख मंदिर 2000 साल से ज्यादा पुराना है और आदि गंगा नामक एक छोटे जल निकाय के तट पर स्थित है.
कैसे पहुंचें: टैक्सी, ऑटो और बसों सहित स्थानीय परिवहन सुविधाओं से कोलकाता के किसी भी हिस्से से मंदिर तक आसानी से पहुंचा जा सकता है.
चामुंडेश्वरी मंदिर, मैसूर (कर्नाटक)
यह मैसूर में चामुंडी पहाड़ियों की चोटी पर स्थित है. यह मंदिर 18 महाशक्तिपीठों में से एक है. ऐसा कहा जाता है कि यहां सती के बाल गिरे थे और बाद में 12वीं शताब्दी में होयसल शासकों ने देवी के नाम पर एक मंदिर बनवाया था. इस मंदिर के दर्शन करें और इसकी अद्भुत वास्तुकला को देखें.
कैसे पहुंचें: यह मैसूर से 13 किमी की दूरी पर स्थित है और आप सड़क मार्ग से आसानी से मंदिर तक पहुंच सकते हैं. बेंगलुरु (लगभग 170 किमी) मैसूर का निकटतम हवाई अड्डा है, जबकि शहर का अपना रेलवे स्टेशन है जो देश के अधिकांश हिस्सों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है.
कामाख्या मंदिर, गुवाहाटी (असम)
पहाड़ी की चोटी पर स्थित यह मंदिर भारत के सबसे प्रमुख शक्तिपीठों में से एक है. ऐसा माना जाता है कि यह मंदिर उसी स्थान पर बना है जहां देवी सती की योनि गिरी थी. आपको यहां योनि की एक छोटी सी मूर्ति के साथ एक गुफा मिलेगी. नवरात्रि त्योहार यहां बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है और इस दौरान मंदिर में भारी भीड़ देखी जाती है.
कैसे पहुंचें: मंदिर गुवाहाटी रेलवे स्टेशन से केवल छह किलोमीटर और गुवाहाटी हवाई अड्डे से 20 किमी दूर है. रेलवे स्टेशन और हवाई अड्डे से स्थानीय बसें, टैक्सियाँ और ऑटो-रिक्शा आसानी से उपलब्ध हैं.