अगर आप धार्मिक पर्यटन करते हैं तो उत्तर प्रदेश के सीतापुर का ट्रिप जरूर प्लान करना चाहिए. इस शहर में नैमिषारण्य नाम का एक पवित्र तीर्थ स्थल है, जो गोमती नदी के किनार बसा है. इस जगह को नैमिषारण्य के अलावा नैमिष या नीमसार के नाम से भी जाना जाता है. इस जगह के बारे में कहा जाता है कि नैमिष की यात्रा के बिना चार धाम की यात्रा पूरी नहीं होती है. इस जगह के बारे में मान्यता है कि यहां सभी तीर्थों का वास रहता है. इस जगह को कलियुग से बचने के लिए 88 हजार ऋषि-मुनियों ने तप किया था. माना जाता है कि इस जगह पर अब तक कलियुग की अब तक एंट्री नहीं हुई है.
भगवान राम ने किया था अश्वमेघ यज्ञ-
इस जगह का जिक्र रामायण में मिलता है. कहा जाता है कि इस जगह पर भगवान श्रीराम ने अश्वमेघ यज्ञ पूरा किया था. इस जगह पर ही महर्षि वाल्मीकि और लव-कुश से उनका मिलन हुआ था. इस जगह का जिक्र महाभारत में भी है. नीमसार में युधिष्ठिर और अर्जुन आए थे. मान्यता है कि प्राचीन काल में इस जगह पर 88 हजार साधु-संतों ने तप किया था.
नैमिषारण्य के प्रमुख केंद्र-
नैमिषारण्य स्टेशन से करीब एक मील दूर चक्रतीर्थ सरोवर है. इसके चारों तरह जल भरा रहता है. श्रद्धालु इसमें स्नान करते हैं. यहां देवी-देवताओं के कई मंदिर हैं. लेकिन मुख्य मंदिर भूतनाथ महादेव का है. इसके अलावा यहां व्यास गद्दी, हवन कुंड, पंचप्रयाग, हनुमान गढ़ी, ललिता देवी का मंदिर, शिवाला-भैरव जी मंदिर, पंचपुराण मंदिर, पंच पांडव मंदिर, नारदानंद सरस्वती आश्रम-देवपुरी मंदिर, परमहंस गौड़ीय मठ काफी फेमस जगहें हैं.
नैमिषारण्य में दशाश्वमेघ टीला पर एक मंदिर हैं, जिसमें श्रीकृष्ण और पांचों पांडवों की मूर्तियां हैं. यहां जगन्नाथ धाम, बद्रीनाथ धाम, द्वारिकाधीश धाम और रामेश्वर धाम मंदिर है.
कैसे जा सकते हैं नैमिषारण्य-
नैमिषारण्य मंदिर शाम 6 बजे के बाद बंद हो जाता है. इसलिए अगर दर्शन करना है तो इससे पहले पहुँचना होगा. नैमिषारण्य रेलवे स्टेशन सीतापुर से करीब 25 किलोमीटर दूर है. यह बालामऊ जंक्शन और हरदोई से ट्रेन से जुड़ा हुआ है. बालामऊ से सीतापुर तक ट्रेन उपलब्ध है और इसी रास्ते में नैमिषारण्य पड़ता है. यह जगह लखनऊ से 90 किलोमीटर दूर है. जबकि संडीला रेलवे स्टेशन से 42 किलोमीटर दूर है. लखनऊ से सीतापुर का सफर ट्रेन से किया जा सकता है. इसके बाद बस से भी नैमिषारण्य से जाया जा सकता है.
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