Writer's Village: इस शहर में बना अपनी तरह का पहला 'लेखक गांव,' अटल बिहारी वाजपेयी से है कनेक्शन

अक्सर लेखन से जुड़े लोग शांति तलाशते हैं जहां वे बिना किसी डिस्टरबेंस के लिख सकें या पढ़ सकें. अब आपको ऐसी जगह देहरादून में मिल रही है, आप यहां 'लेखक गांव' जा सकते हैं.

Lekhak Gaon in Dehradun
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 24 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 11:09 AM IST

भारत गांवों का देश है यह हम सब जानते हैं. लेकिन आजकल लोग शहरों में भी गांव बनाने लगे हैं. और ऐसा ही एक गांव है 'लेखक गांव.' जी हां, आपको भले ही सुनकर अजीब लगे लेकिन यह सच है. अगली बार जब भी देहरादून जाना हो तो एक बार लेखक गांव जरूर जाएं. आपको बता दें कि, हाल ही में देहरादून के बाहरी इलाके में स्थित थानो क्षेत्र में 'लेखक गांव' के नाम से एक फैसिलिटी की शुरुआत की गई है. पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद, उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेवानिवृत्त), मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी सहित कई गणमान्य लोगों की उपस्थिति में इस जगह का उदिघाटन हुआ. 

25 एकड़ में फैला है लेखक गांव 
25 एकड़ में फैली इस पहल का उद्देश्य लेखकों और साहित्यकारों को रचनात्मक जगह देना है. गांव में एक मुख्य भवन, पुस्तकालय, संग्रहालय, लेखकों की कुटिया और पारंपरिक उत्तराखंडी व्यंजन परोसने वाला एक 'भोजनालय' शामिल है. लेखक गांव या राइटर्स विलेज की अवधारणा पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने की थी. निशंक को पूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की एक बात ने यह करने के लिए प्रेरित किया. बताया जाता है कि वाजपेयी ने भारत में लेखकों को सम्मान और जगह न मिलने पर चिंता जताई थी.

साहित्य के प्रचार-प्रसार के प्रति जुनूनी निशंक ने इस सोच को साकार कर दिखाया. हाल ही में, वीकेंड पर गांव का पहला कार्यक्रम, 'स्पर्श हिमालय महोत्सव' आयोजित किया गया था, जिसमें 40 से ज्यादा देशों के लेखक एक साथ आए थे और 25 देशों के कई लेखकों ने भाग लिया था. गांव के भीतर का आर्किटेक्चर डिजाइन पहाड़ी शैली का अनुसरण करता है, जिसमें पारंपरिक पहाड़ी पत्थर के स्लैब और देवदार की लकड़ी के दरवाजे का उपयोग किया जाता है, जो क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत को दर्शाता है. 

पहल को मिल रही है सराहना 
कोविंद ने गांव की संकल्पना में निशंक की दूरदर्शिता की सराहना करते हुए इसे एक अभिनव पहल बताया. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह अपनी तरह की पहली परियोजना है, जिसका उद्देश्य लेखकों, कवियों और अन्य रचनात्मक व्यक्तियों के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करना है. उन्होंने इस बात पर गर्व व्यक्त किया कि उत्तराखंड इस अनूठी अवधारणा का घर है, उन्होंने कहा कि भारत में किसी अन्य राज्य ने समर्पित लेखकों के गांव की स्थापना नहीं की है. 

राज्यपाल गुरमीत सिंह ने परियोजना के सांस्कृतिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि 'लेखक गांव' द्वारा साहित्य, कला और संस्कृति में लाया गया नवाचार राज्य की विरासत को एक नई दिशा प्रदान करेगा. उन्होंने इसे राज्य की परंपराओं का जीवंत प्रमाण बताया, जो लोगों को साहित्य के माध्यम से उनकी जड़ों से जोड़ता है. 'लेखक गाँव' की कल्पना एक ऐसे स्थान के रूप में की गई है जहाँ साहित्य पनप सके और भावी पीढ़ियों को प्रेरित कर सके. 

 

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