तुर्किये और सीरिया में 6 फरवरी को आए विनाशकारी भूकंप के बाद जिंदगी बचाने की जंग जारी है. दुनिया के मुख्तलिफ देशों से आए राहत और बचाव कर्मी देश काल की लकीरों को भूलकर मानवता की रक्षा में शिद्दत से जुटे हुए हैं.
मलबे में फंसे लोगों का रेस्क्यू करने धरती के हर हिस्से से तुर्किेये और सीरिया पहुंचे फरिश्ते ये भूल चुके हैं कि उनका धर्म क्या है. वो ये भूल चुके हैं कि उनका मुल्क कौन सा है. उनके भीतर अगर कुछ बचा है तो वो हैं मानवीय संवेदना. मलबे में फंसे लोगों को सकुशल बाहर निकालने के जुनून में वो अपना भूख-प्यास. सुध-बुध सबकुछ गंवा चुके हैं.
राहत और बचाव की तस्वीरें हताशा और दर्द के नामुराद अंधेरे में फंसी जिंदगी को संवेदना का कोमल स्पर्श दे रही हैं. तुर्किये के हाटय राहत और बचाव में जुटे धरती के फरिश्तों ने एक ऐसे नवजात का रेस्क्यू किया है जिसका जन्म भूकंप आने के बाद हुआ. भूकंप की असीम भयावहता में इस नौनिहाल की मां ने दम तोड़ दिया लेकिन अपनी कोख में पलने वाले बच्चे को छोड़ गई इन फरिश्तों के हवाले. राहत के ये फरिश्ते कुदरत के कोप से पैदा हुए हालत के खिलाफ जंग लड़ रहे हैं. और उसमें जीत भी हासिल कर रहे हैं.
तुर्किये पहुंचे NDRF के जवान लोगों को मौत के मुंह से बचाने में जुटे हुए हैं. तो वहीं दूसरी तरफ घायलों के इलाज का जिम्मा भारतीय सेना ने संभाल रखा है.
इंडियन आर्मी ने तुर्किये के हताय में भूकंप पीड़ितों के लिए फील्ड हॉस्पिटल तैयार किया है. इस अस्पताल में मरीजों के लिए कई बेड लगाए गए हैं.
यहां डॉक्टर लगातार घायलों के इलाज में लगे हुए है. सभी जरूरी दवाइयां भी यहां मौजूद हैं. भारत सरकार लगातार दवाइयां और दूसरी जरूरी चीजें तुर्किये भिजवा रही है.