म्यांमार के राजनीतिक संकट और अमेरिका-चीन प्रतिद्वंद्विता के चर्चाओं पर हावी होने की उम्मीद के साथ दक्षिण पूर्व एशियाई नेताओं ने शुक्रवार को कंबोडिया में आसियान शिखर सम्मेलन की शुरुआत की. उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ आसियान-भारत और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलनों में भाग लेने के लिए कंबोडिया के लिए रवाना हुए. उपराष्ट्रपति का पदभार संभालने के बाद यह उनकी पहली विदेश यात्रा है. उपराष्ट्रपति के साथ विदेशमंत्री डॉ. सुब्रह्मण्यम जयशंकर भी गए हैं. उपराष्ट्रपति इस यात्रा के दौरान नौम पेन्ह में 19वें आसियान-भारत स्मृति शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे. आसियान-भारत संबंधों की यह 30वीं वर्षगांठ है. इसे आसियान-भारत मैत्री वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है. उपराष्ट्रपति कंबोडिया के नेताओं और अन्य देशों के नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठक भी करेंगे. धनखड़ कंबोडियाई विरासत स्थलों में भारत द्वारा किए जा रहे संरक्षण और जीर्णोद्धार कार्य की समीक्षा के लिए सिएम रीप भी जाएंगे.
क्या है आसियान
द एसोसिएशन ऑफ साउथईस्ट एशियन नेशन्स (आसियान) एक क्षेत्रीय संगठन है. इस संगठन का मकसद एशिया-प्रशांत क्षेत्र के देशों के बीच सामाजिक और राजनीतिक स्थिरिता को बढ़ाना और विकास करना है. इस संगठन का नजरिया- एक दृष्टि, एक पहचान, एक समुदाय है. आठ अगस्त को इसका स्थापना दिवस मनाया जाता है. इसकी स्थापना 1967 में की गई थी. इसका मुख्यालय इंडोनेशिया के जकार्ता शहर में है. आसियान में इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलिपींस, सिंगापुर, थाइलैंड, ब्रुनेई, वियतनाम, लाओस, म्यांमार और कंबोडिया सदस्य हैं.
भारत और आसियान के रिश्ते
भारत की विदेशी नीति में आसियान का एक विशेष महत्व है. आसियान को ध्यान में रखते हुए ही भारत ने अपनी लुक ईस्ट नीति बनाई है. आसियान के लिए भारत का एक अलग मिशन है. आसियान में चीन का दखल लगातार बढ़ता जा रहा है, वहीं भारत का भी बड़ा व्यापार दक्षिण चीन सागर से होता है इसीलिए वह इस क्षेत्र को लेकर बेहद सक्रिय है. भारत और अमेरिका समुद्री रास्ते से स्वतंत्र रूप से व्यापार की बात करते रहे हैं. अगर चीन इस क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत कर लेता है तो इससे भारत का व्यापार प्रभावित होने के आसार बढ़ जाएंगे. इसलिए उसका आसियान से जुड़े रहना न सिर्फ जरूरी है बल्कि उसे इस संगठन के सामने इससे जुड़ी समस्याओं को रखना भी चाहिए. आसियान की सांस्कृतिक विविधता और महत्वपूर्ण भौगोलिक स्थिति, पश्चिम में हिंद महासागर और पूर्व में प्रशांत महासागर के बीच की समुद्री गलियों को भू-राजनीतिक स्तर पर अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है. कुल वैश्विक निर्यात के 7% के साथ, आसियान दुनिया का चौथा सबसे बड़ा निर्यात संगठन है.
दोनों के बीच निवेश
2000-2021 के बीच आसियान से भारत में कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) $117.88 बिलियन था. इसमें मुख्य रूप से भारत में सिंगापुर के निवेश (115 अरब डॉलर) शामिल है. अप्रैल 2019 से मार्च 2022 तक आसियान में भारतीय निवेश 55.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर है, जिसमें से 51.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश सिर्फ सिंगापुर में है.