दुनिया भर में बढ़ रहे प्रदूषण का प्रभाव हर किसी पर पड़ रहा है. ये हमारे स्वास्थ्य को काफी हद तक नुकसान पहुंचा रहा है. इसके नुकसान का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि चीन में हर साल 64,000 अजन्मे बच्चों का जीवन केवल इसी की वजह से जा रहा है. जी हां, हाल ही में हुई रिसर्च के मुताबिक, चीन में वायु प्रदूषण की वजह से हर साल 64,000 अजन्मे बच्चे कोख में ही मर जाते हैं. साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट (एससीएमपी) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि राजधानी बीजिंग पिछले दस वर्षों में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए लंबे समय से प्रयास कर रहा है.
कोख में भी बच्चे सुरक्षित नहीं
137 देशों के एक अध्ययन के अनुसार, 2015 में एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका में जन्म के तुरंत बाद या डिलीवरी से पहले ही मर रहे 40 प्रतिशत शिशुओं का कारण पीएम 2.5 (Particulate Matter) के संपर्क में आना था, जो ज्यादातर जीवाश्म ईंधन के जलने से पैदा होता है. नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, चीन के पीएम 2.5 की वजह से होने वाली भ्रूण मौतों की संख्या के मामले में चौथे स्थान पर है. ये जो दुनिया भर में जन्म के वक्त या डिलीवरी से पहले ही मर रहे शिशुओं का 98 प्रतिशत हिस्सा है.
दुनिया भर में प्रदूषण रोकने का हो रहा प्रयास
पेकिंग यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने कहा, "137 देशों (जैसे, चीन) में से कुछ में हवा की गुणवत्ता में सुधार होना इन मौतों में कमी ला सकता है. इससे वैश्विक बोझ में कमी आ सकती है. इसलिए, विश्व स्वास्थ्य संगठन के वायु गुणवत्ता लक्ष्यों को पूरा करने से शिशुओं को बचाया जा सकता है. इस तथ्य के बावजूद कि दुनिया भर में खराब वायु गुणवत्ता और जन्म के समय मर रहे बच्चों के बीच संबंध अच्छी तरह से स्थापित है, यह अध्ययन भ्रूण मृत्यु की सटीक संख्या का अनुमान लगाने वाला पहला अध्ययन है.
‘चीन सरकार कर रही है प्रयास’
हालांकि, चीन सरकार का कहना है कि लगभग 10 साल पहले, जब बीजिंग जैसे प्रमुख शहर अक्सर घने स्मॉग में ढके रहते थे, पीएम 2.5 प्रदूषण चीन में एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक चिंता बन गया था, जिससे कई सरकारी पहलों की शुरुआत हुई. आउटलेट के अनुसार, अध्ययन के एक अन्य प्रमुख लेखक झू टोंग ने पिछले साल पेकिंग विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर प्रकाशित खराब हवा और जन्म के समय मर रहे बच्चों के बीच संबंध पर एक लेख में काफी कुछ कहा था.