Mazu flies to Taiwan: चीन में इस देवी की प्रतिमा के लिए जारी हुआ खास फ्लाइट टिकट, टॉप सिक्योरिटी से लेकर खास सेफ्टी बेल्ट तक... जानिए मिलीं कौनसी सुविधाएं

पूर्वी चीन के फुजियान प्रांत के मेइज़ू आइलैंड पर लिन मो नाम की महिला का जन्म 960 ईसवी में हुआ था. मान्यता है कि यह महिला लोगों की बीमारियां ठीक कर सकती थी और मौसम का भी पता लगा सकती थी. मृत्यु के बाद लिन मो की पूजा होने लगी. आज ताइवान की 70 प्रतिशत आबादी लिन मो की पूजा करती है

माज़ू ने ताइवान की पहली उड़ान 1997 में भरी थी. (Photo/Xiamen Airlines)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 05 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 2:47 PM IST
  • दुनियाभर में हैं माज़ू के 5000 मंदिर
  • ताइवान की 70 प्रतिशत आबादी माज़ू की उपासक

चीन में एक एयरलाइन कंपनी अपनी फ्लाइट पर माज़ू (Mazu) नाम की देवी के लिए खास बोर्डिंग पास, सिक्योरिटी और सेफ्टी बेल्ट देकर सुर्खियों में आ गई है. माज़ू की दो प्रतिमाएं 29 मार्च को ज़ियामेन एयरलाइंस (Xiamen Airlines) की फ्लाइट एमएफ881 पर सवार होकर दक्षिण-पूर्वी चीन के ज़ियामेन गाओकी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से ताइवान के लिए रवाना हुईं. 

साउथ चाइन मॉर्निंग पोस्ट की ओर से प्रकाशित खबर के अनुसार, ज़ियामेन एयरलाइंस ने चीन और ताइवान के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान के सम्मान में यह कदम उठाया है. सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि एयरलाइन के क्रू मेंबर बहुत ही एहतियात के साथ दोनों प्रतिमाओं को कैबिन में ले जा रहे हैं. 

कौन हैं समंदर की देवी माज़ू?
पूर्वी चीन के फुजियान प्रांत के मेइज़ू आइलैंड पर लिन मो नाम की महिला का जन्म 960 ईसवी में हुआ था. मान्यता है कि यह महिला लोगों की बीमारियां ठीक कर सकती थी और मौसम का भी पता लगा सकती थी. इसी वजह से मछुआरों और नाविकों के बीच लिन मो की लोकप्रियता बढ़ती गई. 
 

माज़ू को फ्लाइट की ओर ले जाते क्रू मेंबर (Photo/Xiamen Airlines)

जब लिन मो की उम्र 28 वर्ष थी तब उन्होंने अपना जीवन अपने शहर के लोगों की मदद के लिए समर्पित करने का फैसला किया. हालांकि उन्होंने एक डूबती हुई नाव से लोगों को बचाने की कोशिश में अपनी जान गंवा दी थी. उनकी मृत्यु के बाद लोगों ने उन्हें माज़ू उर्फ 'समंदर की देवी' के तौर पर पूजना शुरू कर दिया. 

सन् 2009 में युनेस्को की कल्चरल हेरिटेज लिस्ट में माज़ू की मान्यताओं और रीतियों को शामिल कर लिया गया. आज दुनियाभर में माज़ू के करीब 5000 मंदिर हैं. सिर्फ ताइवान में ही माज़ू के 500 से ज्यादा मंदिर हैं और देश के 70 प्रतिशत लोग माज़ू के उपासक हैं.

खास सफर के लिए खास व्यवस्था
साल 1997 में चीन से माज़ू प्रतिमा ने ताइवान की अपनी पहली यात्रा की. ग्लोबल टाइम्स के अनुसार, इस बार ताइवान भेजी गई दो प्रतिमाएं पिछली यात्राओं की तुलना में बड़ी थीं. मूर्तियों में से एक में "ब्लैक-फेस्ड माज़ू" नामक देवी को दिखाया गया था. इस अश्वेत प्रतिमा का संबंध उस समय से था जब माज़ू ने हमलावरों को पीछे हटाने और अपने शहर को बचाने के लिए अपनी 'शक्तियों' का इस्तेमाल किया था. 
 

माज़ू के लिए खास सेफ्टी बेल्ट की व्यवस्था की गई. (Photo/Xiamen Airlines)

मान्यता है कि इस घटना में अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करने के बाद माज़ू का रंग काला पड़ गया था. दूसरी मूर्ति का रंग गुलाबी था जो एक प्यार करने वाली मां की छवि का प्रतीक था. एयरलाइन ने "लिन मो" नाम से मूर्तियों के लिए एक बोर्डिंग पास जारी किया और उड़ान के दौरान उन्हें सुरक्षित रखने के लिए अतिरिक्त लाल रस्सियों के साथ उनके लिए सुरक्षा बेल्ट भी दिए.  

उनके बड़े आकार के लिए एयरलाइन ने विशेष व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए हवाई अड्डे, कस्टम और इमिग्रेशन अधिकारियों और सुरक्षा विभागों के साथ पहले से तैयारी कर ली थी. इन प्रतिमाओं के लिए विशेष चेक-इन काउंटर, वेटिंग रूम और सिक्योरिटी स्क्रीनिंग लेन भी तैयार किए गए थे. 
 

माज़ू के लिए लिन मो नाम से टिकट जारी किया गया. (Photo/Xiamen Airlines)

चीन के लोगों ने ताइवान के लिए रवाना होती इन प्रतिमाओं को अपनी दुआएं दीं. एक व्यक्ति ने कहा, “माज़ू दुनिया को चीन और उसके लोगों के लिए शांति और समृद्धि का आशीर्वाद दें!" एक अन्य यूजर ने लिखा, “चीनी संस्कृति दोनों पक्षों के लोगों की साझा जीवनरेखा है. ताइवान की स्वतंत्रता सेनाएं इस बंधन को कभी नहीं तोड़ सकतीं. मातृभूमि का पुनर्मिलन जरूर हासिल किया जाएगा!” 

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