दुनिया भर में प्रदूषण अपनी चरम सीमा पर पहुंच रहा है. प्रदूषण के कारण ग्लोबल वार्मिंग बढ़ने के साथ-साथ कई दिक्कतें बढ़ रही हैं. ऐसे में अंटार्कटिका महाद्वीप से एक पेंगुइन 3,000 किमी के बर्फिले पानी को पार न्यूजीलैंड की दक्षिण-पूर्वी तटरेखा पर आ पहुंची है. दरअसल इस एडिले पेंगुइन को न्यूजीलैंड के दक्षिण द्वीप पर एक छोटी सी बस्ती, बर्डलिंग्स फ्लैट में देखा गया था. स्थानीय लोगों ने इसे प्यार से पिंगु नाम दिया है.
क्या है एडिले पेंगुइन?
एडेली पेंगुइन अंटार्कटिक महाद्वीप के पूरे तट पर आम पेंगुइन की एक प्रजाति है, जो इसका एकमात्र निवास स्थान है. यह सबसे व्यापक रूप से फैली हुई पेंगुइन प्रजाति है. इसका नाम एडेली लैंड रहने वाले एडेल ड्यूमॉन्ट डी'उरविल के नाम पर रखा गया है, जिनकी शादी फ्रांसीसी खोजकर्ता जूल्स ड्यूमॉन्ट डी'उरविल से हुई थी, जिन्होंने पहली बार 1840 में इस पेंगुइन की खोज की थी. एडिली पेंगुइन अपना भोजन शिकार और चारा दोनों से प्राप्त करते हैं. मुख्य रूप से क्रिल और मछली को अपना आहार बनाती है. े,
पर्यावरण परिवर्तन के कारण हो रहा पलायन
न्यूजीलैंड में देखी गई ये तीसरी जीवित एडिले पेंगुइन है. यह प्रजाति ज्यादा तर अंटार्कटिक प्रायद्वीप पर अपना घर बनाती है. इसका पेंगुइन का न्यूजीलैंड में आना पक्षियों को गर्म पानी से होने वाले खतरे, खाद्य आपूर्ति पर बढ़ती प्रतिस्पर्धा और परिवर्तित आवासों से होने वाले खतरों की याद दिलाता है.
स्थानीय लोगों ने किया पेंगुइन का बचाव
यह देखने के बाद कि पेंगुइन पानी में नहीं मिल रहा है और कुत्तों की चपेट में आ सकता है, स्थानीय लोगों ने क्राइस्टचर्च पेंगुइन रिहैबीलिटेशन के थॉमस स्ट्रेके को बुलाया. इसके बारे में पता चलते ही स्ट्रेके एक पशु चिकित्सक के साथ वहां पहुंचे.
मामले पर बात करते हुए स्ट्रैके ने द गार्डियन को बताया कि एडिले पेंगुइन को देखते ही पशु चिकित्सक चौंक गए. उन्होंने बताया कि वो पेंगुइन थोड़ा भूखा और प्यासा था, इसीलिए हमने उसे कुच तरल पदार्थ और कुछ मछली की स्मूदी दी. पेंगुइन को प्रायद्वीप के तट पर एक खाड़ी में छोड़ा गया था, जहां उसके सहायकों को उम्मीद थी कि वह यात्रा कर अपने घर तक पहुंच सकती है. स्ट्रेके ने बताया कि मैं उसे वायु सेना के विमान हरक्यूलिस के साथ उसे वापस छोड़वाना चाहता था. दरअसल ये विमान स्कॉट बेस पर कर्मचारियों की सुविधा के लिए है. लेकिन उन्हें संरक्षण विभाग द्वारा बताया गया था कि यह विचार संभव नहीं था."
गर्म पानी के कारण नहीं मिल रहा मछलियों को खाना
स्ट्रैके ने कहा कि, "गर्म पानी का मतलब है कि पक्षी भोजन की आपूर्ति खोजने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. जब पानी गर्म हो जाता है तो मछलियाँ आमतौर पर गहरे ठंडे पानी में चली जाती हैं. जहां आसपास कोई मछली नहीं होती है." इसी तरह
न्यूजीलैंड की पीली आंखों वाली पेंगुइन की आबादी भी संघर्ष कर रही थी, क्योंकि वे भोजन के लिए मछली पकड़ने के व्यवसायों पर भी फर्क डाल रही थी. जिसके बाद रिहैबीलिटेशन केंद्रों ने कुपोषित या भूखे पेंगुइन की बढ़ती संख्या को नोटिस भी किया था. वैज्ञानिकों ने इसे किसी बुरे सपने की तरह माना है. न्यूजीलैंड में एडिली पेंगुइन का आगमन एक चिंताजनक संकेत हो सकता है कि आबादी गर्म पानी से जूझ रही है.
पेंगुइन को प्रभावित कर रही है ग्लोबल वार्मिंग
ग्लोबल हीटिंग अंटार्कटिक पेंगुइन के आवासों को असमान और अप्रत्याशित तरीकों से प्रभावित कर रहा है. कुछ क्षेत्रों में, समुद्री बर्फ का विस्तार हो रहा है, लेकिन अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में यह घट रहा है. पेंगुइन आबादी पर इसका मिश्रित प्रभाव हो सकता है. नासा के अनुसार, अंटार्कटिका के क्षेत्रों में जो वार्मिंग का अनुभव कर रहे हैं, एडिली आबादी या तो घट रही है या अगले 40 वर्षों में गिरने की उम्मीद है, और जैसा समुद्री बर्फ कम हो जाती है यह रॉस सी पेंगुइन के प्रवासन पैटर्न में बदलाव का संकेत दे सकता है.