Afghan Tourism: मेहमाननवाज़ी पर Taliban दे रहा है ख़ास ध्यान, सैलानियों के लिए कर रहा है तैयारियां

अफगानिस्तान में तालिबान शासन आने के बाद से देश की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है. लेकिन तालिबान को टूरिज्म में देश की अर्थव्यवस्था सुधारने की संभावनाएं दिखती हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए यह समूह कई कदम भी उठा रहा है.

gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 01 मई 2024,
  • अपडेटेड 5:55 PM IST

अफगानिस्तान (Afghanistan) की राजधानी काबुल के नए टूरिज्म और हॉस्पिटैलिटी इंस्टीट्यूट की एक क्लासरूम में अलग-अलग उम्र के लोग बैठे हुए हैं. इनमें से एक स्टूडेंट पेशे से मॉडल है. एक 17 साल का नौजवान है जिसने अपने जीवन में इससे पहले कोई नौकरी नहीं की. ये सभी देश में बढ़ते टूरिज्म को ध्यान में रखते हुए इस इंडस्ट्री की A-B-C-D सीखने आए हैं. कारण यह कि अफगानिस्तान पर काबिज तालिबान सरकार (Taliban) को देश में टूरिज्म से जुड़ी अपार संभावनाएं नजर आती हैं. 

साल 2021 में तालिबान के शासन में आने के बाद से अफगानिस्तान की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है. ज्यादातर पश्चिमी देशों ने तालिबान सरकार को मान्यता नहीं दी है. अमेरिका ने अफगानिस्तान सेंट्रल बैंक के रिजर्व फ्रीज कर रखे हैं. नतीजतन, इस दक्षिण एशियाई देश में भुखमरी और बेरोजगारी अपने चरम पर है.

इस सब के बीच तालिबान सरकार को टूरिज्म एक ऐसा क्षेत्र लगता है जो देश को इन संकटों से निकाल भले न सके, कम से कम इनसे कुछ हद तक राहत तो दिला ही सकता है. 

हर साल बढ़ रहे हैं अफगानिस्तान में सैलानी
यह बात गौर करने के काबिल है कि सत्ता पलट के बाद से अफगानिस्तान में हर साल सैलानियों की संख्या बढ़ रही है. इसका प्रमुख कारण यह है कि तालिबान शासन में हिंसा और अन्य अपराधों में कमी आई है. दुबई जैसे कई देशों से अफगानिस्तान आने वाली फ्लाइट्स की संख्या बढ़ी है. साथ ही अफगानिस्तान जैसे 'सनसनीखेज' टूरिस्ट डेस्टिनेशन के साथ एक अलग तरह का रोमांच जुड़ा हुआ है.

अफगानिस्तान आने वाले सैलानियों की संख्या यूं तो कभी भी बहुत बड़ी नहीं रही. लेकिन पिछले कुछ सालों में आंकड़ों में तेज उछाल देखने को मिला है. तालिबान ने अगस्त 2021 में अफगानिस्तान की सत्ता संभाली और इस साल 691 विदेशी सैलानियों ने अफगान सरजमीन पर कदम रखे. अगले साल 2022 में यह संख्या बढ़कर 2,300 हो गई. पिछले साल करीब 7,000 विदेशी टूरिस्ट अफगानिस्तान गए थे.

साल दर साल बढ़ने वाली इस संख्या में सबसे बड़ा योगदान चीन का है, जो अफगानिस्तान के चुनिंदा आर्थिक सहयोगियों में से एक भी है. एसोसिएटेड प्रेस (AP) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, काबुल में टूरिज्म डायरेक्टरेट के अध्यक्ष मोहम्मद सईद कहते हैं, "हमारा सबसे बड़ा विदेशी सैलानी बाजार चीन है क्योंकि यह देश करीब भी है और इसकी आबादी भी ज्यादा है. उन्होंने मुझे बताया है कि वे पाकिस्तान नहीं जाना चाहते क्योंकि वह देश खतरनाक है. वहां उन पर हमले होते हैं. जापानी सैलानियों ने भी मुझसे यह कहा है. यह हमारे लिए अच्छा है."

टूरिज्म के साथ बढ़तीं बिजनेस की संभावनाएं
अफगानिस्तान की तालिबान सरकार महिलाओं से जुड़ी अपनी नीतियों को लेकर अकसर आलोचकों के निशाने पर रहती है. वर्तमान शासन ने महिलाओं पर शिक्षा सहित कई तरह की पाबंदियां लगाई हैं. हालांकि टूरिज्म के साथ जुड़ी व्यवसायिक संभावनाओं के कारण तालिबान अपना रवैया बदल सकता है. 

जियारत-ए-सखी, काबुल

एपी के अनुसार, काबुल में शुरू किए गए टूरिज्म इंस्टीट्यूट के एक अनाधिकारिक विषय में यह भी सिखाया जा रहा है कि विदेशी महिलाओं के साथ किस तरह मिला जाए और उनकी कुछ आदतें स्थानीय संस्कृति से कैसे अलग हो सकती हैं.

सनद रहे कि तालिबान ने अफगानिस्तान में महिलाओं के लिए ड्रेस कोड लागू करने के अलावा अकेले सफर करने पर भी पाबंदी लगाई हुई है. महिलाओं के लिए जिम (Gym) जाने पर पाबंदी है जबकि ब्यूटी सैलून बंद कर दिए गए हैं.

इस सब के बावजूद, तालिबान शासन ने महिला पर्यटकों को ध्यान में रखते हुए देश के इकलौते फाइव-स्टार होटल 'द सेरेना' (The Serena) में महिलाओं के लिए स्पा और सैलोन खोल दिए हैं. इस होटल में ये सुविधाएं पिछले एक महीने से बंद थीं. महिला सैलानियों को यहां सर्विस लेने के लिए अपना पासपोर्ट दिखाना होगा जबकि अफगान महिलाओं के लिए यह सुविधा अभी मौजूद नहीं है.

सामने हैं ये चुनौतियां
तमाम कोशिशों के बावजूद तालिबान के सामने अब भी कई चुनौतियां मौजूद हैं. वीजा प्राप्त करना मुश्किल और महंगा है. तालिबान के सत्ता में लौटने के बाद कई देशों ने अफगानिस्तान से संबंध तोड़ दिए और कोई भी देश उन्हें देश के असली शासकों के रूप में मान्यता नहीं देता है. अफगान दूतावास या तो बंद कर दिए गए हैं या खुद बंद हो गए हैं. कई  देशों में अफगान एम्बैसी (Afghan Embassy) और कॉन्सुलेट (Consulate) के बीच संघर्ष भी चलता रहता है.

सईद मानते हैं कि अफगान पर्यटन के विकास में बाधाएं हैं लेकिन वह उन्हें दूर करने के लिए मंत्रालयों के साथ काम कर रहे हैं. उनका लक्ष्य पर्यटकों को वीजा ऑन अराइवल (Visa on arrival) की सुविधा देना है, हालांकि इसमें कई साल लग सकते हैं. इन अड़चनों के बावजूद सईद चाहते हैं कि अफगानिस्तान एक पर्यटन पावरहाउस बने. उनके इस सपने को तालिबान के बड़े लीडरों का समर्थन भी प्राप्त है. 

वह कहते हैं, “मुझे बड़ों (मंत्रियों) के निर्देश पर इस विभाग में भेजा गया है. उन्हें मुझ पर भरोसा होगा तभी उन्होंने मुझे इस जरूरी जगह भेजा है.”

"अफगानिस्तान की नई कहानी लिखना चाहते हैं"
इंस्टिट्यूट में पढ़ने वाले विद्यार्थियों की भी कई आकांक्षाएं हैं. मॉडल अहमद मसूद तलाश अफगानिस्तान की खूबसूरत जगहों और इतिहास के बारे में जानना चाहते हैं. बिजनेस स्कूल से हाल ही में डिग्री लेने वाले समीर अहमदजई एक होटल खोलना चाहते हैं लेकिन सोचते हैं कि उन्हें पहले टूरिज्म और हॉस्पिटैलिटी सीख लेनी चाहिए. 

अहमदजई कहते हैं, "लोगों ने सुना है कि अफगानिस्तान पिछड़ा हुआ है, गरीब है और यहां सिर्फ युद्ध होता है. हमारा इतिहास 5000 साल पुराना है. हम अफगानिस्तान का एक नया अध्याय लिखना चाहते हैं."

 

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