रूस-यूक्रेन के बाद क्या चीन-ताइवान में भी हो सकता है युद्ध? पढ़िए एक्सपर्ट ओपिनियन

ये तर्क दिया जा रहा है कि जिस तरह से अमेरिका और नाटो ने यूक्रेन को अपने पर ही छोड़ दिया है, ठीक उसी तरह ताइवान में भी एक बार युद्ध छिड़ जाने के बाद ऐसा ही करेगा. अंतरा लिखती हैं कि यूक्रेन के मुद्दे पर अमेरिका का ये रवैया दिखाता है कि वह केवल एक कागजी शेर है जो अपने सहयोगियों के साथ विश्वासघात करता है और वह लड़ने को तैयार नहीं है.

China and Taiwan
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 02 मार्च 2022,
  • अपडेटेड 3:50 PM IST
  • मिलिट्री पावर में चीन दूसरे नंबर पर है, ताइवान 22वें पर
  • ताइवान है चीन का आंतरिक मामला

जहां पूरी दुनिया की नजरें रूस और यूक्रेन के युद्ध पर हैं, वहीं एक अलग तरह का युद्ध ताइवान में भी चल रहा है. ये युद्ध है पब्लिक ओपिनियन का युद्ध. यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद ये कयास लगाए जा रहे हैं कि चीन भी ताइवान पर हमला कर सकता है. इसीलिए ताइवान में यूक्रेन युद्ध को बारीकी से देखा और समझा जा रहा है. ताइवान में इसपर व्यापक रूप से चर्चा की जा रही है. 28 जनवरी को ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग-वेन ने यूक्रेन की स्थिति और उसका ताइवान पर प्रभाव के बारे में चर्चा करने के लिए व्यक्तिगत रूप से "राष्ट्रीय सुरक्षा उच्च स्तरीय बैठक" की अध्यक्षता की थी. 

चीन ने किया यूक्रेन और ताइवान को जोड़ने से इनकार 

हालांकि, चीन ने आधिकारिक तौर पर यूक्रेन और ताइवान को जोड़ने के मुद्दे को खारिज कर दिया है. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने 23 फरवरी, 2022 को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्पष्ट रूप से कहा, "ताइवान निश्चित रूप से यूक्रेन नहीं है, ताइवान के अधिकारियों के लिए यूक्रेन के मुद्दे को अपने फायदे के लिए उठाना नासमझी है.”

ताइवान है चीन का आंतरिक मामला 

चीन ने तर्क देते हुए कहा कि यूक्रेन और रूस का मुद्दा सिक्योरिटी और ताकत से जुड़ा है. जबकि ताइवान का मुद्दा चीन का आंतरिक मामला है. दोनों को मिलाना एक तरह से जाल में फंसने जैसा है. दूसरा , इसकी मदद से ताइवान का सत्तारूढ़ शासन केवल अंतरराष्ट्रीय समुदाय की सहानुभूति जीतना चाहते हैं. वे केवल ताइवान के मुद्दे का "अंतरराष्ट्रीयकरण" करना चाहते हैं और  ताइवान में "चीन विरोधी" भावना को उकसाना चाहते हैं.

इंटरनेट पर चल रही है अलग चर्चा 

जहां चीन ताइवान और यूक्रेन की तुलना को खारिज कर रहा है, वहीं चीन में इंटरनेट पर लगातार इसकी चर्चा हो रही है. चीन के कमेंटेटर्स यूक्रेन के हालात को एक नेगेटिव उदाहरण के तौर पर ले रहे हैं. वे ताइवान के लोगों और सरकार को यूक्रेन की दशा के बारे में बताकर डरा रहे हैं. 

अमेरिका और नाटो ताइवान के साथ भी करेंगे ऐसा ही

हालांकि, दिल्ली पॉलिसी ग्रुप में रिसर्चर और चीन की सिंघुआ यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट अंतरा घोषाल सिंह लिखती हैं कि यूक्रेन में जो कुछ भी हो रहा है वो कहीं न कहीं ताइवान और उसके लीडर्स को एक सीख दे रहा है. 

दरअसल, अब ये तर्क दिया जा रहा है कि जिस तरह से अमेरिका और नाटो ने यूक्रेन को अपने पर ही छोड़ दिया है, ठीक उसी तरह ताइवान में भी एक बार युद्ध छिड़ जाने के बाद ऐसा ही करेगा. अंतरा लिखती हैं कि यूक्रेन के  मुद्दे पर अमेरिका का ये रवैया दिखाता है कि वह केवल एक कागजी शेर है जो अपने सहयोगियों के साथ विश्वासघात करता है और वह लड़ने को तैयार नहीं है. 

अमेरिका और ताइवान के नहीं है राजनयिक संबंध 

इसके अलावा, वियतनाम, अफगानिस्तान, यूक्रेन सभी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त संप्रभु राज्य हैं, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय समुदाय अभी भी उनके लिए खड़ा नहीं हो सका है. जबकि ताइवान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक संप्रभु देश भी नहीं माना जाता है, तो फिर कोई इसकी मदद करेगा इसकी क्या संभावनाएं हैं? और अगर अमेरिका असल में ताइवान का समर्थन करना चाहता है, तो उसने अभी तक ताइवान के साथ राजनयिक संबंध क्यों स्थापित नहीं किए हैं? 

मिलिट्री पावर में चीन दूसरे नंबर पर है, ताइवान 22वें पर 

चीनी कमेंटेटर्स का कहना है कि जहां रूस और चीन ग्लोबल लिस्ट में टॉप तीन में हैं, वहीं ताइवान इस लिस्ट में  21वें स्थान पर है और यूक्रेन 22वें स्थान पर. इससे पता चलता है कि अगर रूस को यूक्रेन की राजधानी पर कब्जा करने में कुछ दिन लगे हैं, तो पीपुल्स लिबरेशन आर्मी को ताइपे पर कब्जा करने में घंटे ही लगेंगे. 

यूक्रेन जैसा ही हो सकता है ताइवान का हाल….या इससे भी बुरा!

यूक्रेन से आ रही मौत और विनाश की तस्वीरें, भारी बमबारी और गोलाबारी के बीच अपने जीवन के लिए भागने वाले यूक्रेनियन को देखकर कोई भी दुखी होगा. अंतरा लिखती हैं कि यूक्रेन की स्थिति ताइवान के लिए इस मायने में एक अच्छा सबक है कि यूक्रेन संकट में सबसे बड़ा नुकसान यूक्रेन की जनता का है. इसलिए अगर ताइवान में ऐसा कुछ होता है, तो ये इसमें सबसे ज्यादा नुकसान ताइवान के लोगों का ही होगा. अगर यूक्रेन में रूस इतना उग्र दिखाई दे रहा है तो सोचिये ताइवान में चीन कैसा होगा? चीनी अर्थव्यवस्था रूस की तुलना में 10 गुना अधिक है. तो, ताइवानी को सावधानी से रहना चाहिए. 


 

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