आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) यानी एआई (AI) का इस्तेमाल आज अधिकांश क्षेत्रों में धड़ल्ले से किया जा रहा है. AI की सहायता से कई कामों को करना अब पहले से काफी आसान हो गया है. दुनिया के अधिकांश देश एआई का उपयोग कर रहे हैं लेकिन संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने एक गजब का फैसला किया है. अब इस मुस्लिम देश में AI कानून बनाएगा. इतना ही नहीं आर्टिफिशियल ब्रेन बताएगा कि कौन सा कानून अपडेट करना है, क्या हटाना है और नया क्या जोड़ना है?
यूएई कैबिनेट की बैठक में लगी मुहर
यूएई के प्रधानमंत्री और दुबई के शासक शेख मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम ने घोषणा किया है कि अब उनके देश में कानून बनाने, बदलने और जांचने का जिम्मा AI करेगा. इसको लेकर यूएई कैबिनेट की बैठक में मुहर लग गई है. यूएई कैबिनेट ने एक नया एआई बेस्ड रेग्युलेटरी इंटेलिजेंस सिस्टम लॉन्च किया है, जो देश के लिए कानून बनाएगा.
मकतूम ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि रेग्युलेटरी इंटेलिजेंस सिस्टम एक बड़ा लॉ सिस्टम बनाने पर काम करेगा. यह सभी संघीय और स्थानीय कानूनों को एक साथ लाएगा. उन्होंने कहा कि रेग्युलेटरी इंटेलिजेंस सिस्टम लाने का मकसद एक ऐसा सिस्टम बनाना है, जो देश की सभी फेडरल और लोकल कानूनों को आपस में जोड़े और उन्हें अदालतों के फैसलों, सरकारी नियमों और जनसेवा योजनाओं से लिंक करे. ये सब एक आर्टिफिशियल ब्रेन की निगरानी में होगा.
कानून बनाने की प्रक्रिया में आएगी काफी तेजी
रेग्युलेटरी इंटेलिजेंस सिस्टम AI कानून का असली असर रीयल टाइम में जांचेगा यानी समाज पर क्या असर हुआ और अर्थव्यवस्था में क्या बदलाव आया. इसके आधार पर खुद ही बताएगा कि कौन सा कानून अपडेट करना है, क्या हटाना है और क्या नया जोड़ना है. शेख मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम का कहना है कि एआई बेस्ड इस सिस्टम से कानून बनाने की प्रक्रिया में काफी तेजी आएगी.
कानून निर्माता एआई की मदद से पहले जिस कानून को बनाने में महीनों लग जाता था, उसे हफ्तों या कुछ दिनों में बना सकते हैं या संशोधन प्रस्तावित कर सकते हैं. वो भी बिना थके, बिना रुके और पूरी सटीकता से. उन्होंने कहा, नए सिस्टम के जरिए हम बड़े पैमाने पर डेटा का इस्तेमाल करके लोगों और अर्थव्यवस्था पर कानूनों के रोजमर्रा के प्रभाव को ट्रैक कर सकते हैं और इससे लगातार हमें नियमित रूप से कानून में अपडेट करने में मदद मिलेगी.
जोड़ा जाएगा दुनिया के बड़े रिसर्च सेंटर्स से
शेख मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम ने कहा कि रेग्युलेटरी इंटेलिजेंस सिस्टम को दुनिया के बड़े रिसर्च सेंटर्स से जोड़ा जाएगा, ताकि वहां की बेस्ट प्रैक्टिसेज को अपनाया जा सके. यह सिस्टम यूएई की लोकल जरूरतों और संस्कृति को ध्यान में रखते हुए कानूनों को ढालेगा. शेख मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम इसे ‘पैराडाइम शिफ्ट’ बता रहे हैं, यानी पूरी सोच बदल देने वाला कदम.
हालांकि यूएई द्वारा किस एआई सिस्टम का उपयोग किया जाएगा, इसके बारे में नहीं बताया गया है. विशेषज्ञों का मानना है कि कानूनी पेचीदगियों की विविधता के लिए कई मॉडलों का उपयोग किया जा सकता है. कुछ भी हो यूएई की इस पहल ने इस देश को एआई का शासन में प्रयोग के मामले में सबसे आगे ला दिया है. आपको मालूम हो कि जब मशीन किसी इंसानी काम को इंसानों की तरह सोच-समझ कर करने लगे तो वह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कहलाती है.